
आम की खेती के दौरान किसान रखें इन बातों का ध्यान, मिलेगी बेहतर उपज Publish Date : 10/06/2025
आम की खेती के दौरान किसान रखें इन बातों का ध्यान, मिलेगी बेहतर उपज
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 रेशु चौधरी
आम की खेती से अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए किसानों को कई महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना चाहिए. जिससे कि वह कम समय में उच्च उपज प्राप्त कर सकें। आम विटामिन ए व बी का अच्छा स्रोत होता है। आम की खेती के बारे में हमारे बागवानी विशेषज्ञ आपको विस्तार से जानकारी प्रदान कर रहे हैं।
आम की खेती लगभग पूरे देश में की जाती है और यह मनुष्य का बहुत ही प्रिय फल माना जाता है। आम में खटास लिए हुए मिठास पाई जाती है, जो कि आम की अलग अलग प्रजातियों के अनुसार उनके फलों में कम ज्यादा पायी जाती है। कच्चे आम से चटनी, अचार और अनेक प्रकार के पेय के रूप में प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा कच्चे आम की सहायता से जैली, जैम और सिरप आदि भी बनाए जाते हैं।
जलवायु और भूमि
आम की खेती के लिए किस विशेष प्रकार प्रकार की जलवायु और भूमि की आवश्यकता होती है? आम की खेती उष्ण व समशीतोष्ण दोनों प्रकार की जलवायु में की जा सकती है। आम की खेती समुद्र तल से 600 मीटर की ऊँचाई तक सफलतापूर्वक की जा सकती है। आम की खेती के लिए 23.8 से 26.6 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान अति उत्तम होता है। आम की खेती प्रत्येक किस्म की भूमि में की जा सकती है, परन्तु अधिक बलुई, पथरीली, क्षारीय तथा जल भराव वाली भूमि में इसे उगाना लाभकारी नहीं रहता है, तथा आम की खेती के लिए अच्छे जल निकास वाली दोमट भूमि सर्वोत्तम मानी जाती है।
आम की प्रजातियाँ
हमारे देश में उगाई जाने वाली किस्मों में, दशहरी, लगडा, चौसा, फजरी, बाम्बे ग्रीन, अल्फांसो, तोतापरी, हिमसागर, किशनभोग, नीलम, सुवर्णरेखा और वनराज आदि प्रमुख एवं उन्नतशील प्रजातियाँ है।
आम के थालों की तैयारी में सावधानियां
आम की फसल तैयार करने के लिए इसके थालों की तैयारी किस प्रकार से करें और वृक्षों का रोपण करते समय किस प्रकार की सावधानी बरती जानी चाहिए? वर्षाकाल आम के पेड़ो को लगाने के लिए सम्पूर्ण देश में सबसे उपयुक्त समय माना गया है, जिन क्षेत्रों में वर्षा अधिक होती है, उन क्षेत्रों वर्षा के अन्त में आम का बाग लगाया जाना चाहिए।
इसके लिए लगभग 50 सेंटीमीटर व्यास एक मीटर गहरे गड्ढे, मई माह में खोद कर उनमे लगभग 30 से 40 किलोग्राम प्रति गड्ढा सड़ी गोबर की खाद मिट्टी में मिलाकर और 100 किलोग्राम क्लोरोपायरीफॉस पावडर को बुरककर गड्ढे को भर देना चाहिए। पौधों की किस्म के अनुसार 10 से 12 मीटर पौध से पौध की दूरी रखनी चाहिए, परन्तु आम्रपाली किस्म के आम के लिए यह दूरी 2.5 मीटर रखी जानी चाहिए।
प्रवर्धन या प्रोपोगेशन
आम का प्रोपेगेशन किन-किन विधियों के द्वारा किया जा सकता है? आम के बीजू पौधे तैयार करने के लिए आम की गुठलियों की बुवाई जून-जुलाई के महीने में कर दी जाती है। आम की प्रवर्धन की विधियों में भेट, कलम, विनियर, सॉफ्टवुड ग्राफ्टिंग, प्रांकुर कलम, तथा बडिंग आदि प्रमुख है, विनियर एवं साफ्टवुड ग्राफ्टिंग द्वारा आम की अच्छी किस्म के पौधे कम समय में तैयार कर लिए जाते है।
खाद एवं उर्वरक
आम की फसल में खाद एवं उर्वरक का प्रयोग कब और कितना करना रहता है? आम के बागो की दस साल की उम्र तक प्रतिवर्ष उम्र के गुणांक में नाइट्रोजन, पोटाश तथा फास्फोरस प्रत्येक को 100 ग्राम प्रति पेड़ जुलाई माह में पेड़ के चारो तरफ बनायीं गयी नाली में देनी चाहिए। इसके अतिरिक्त मृदा की भौतिक एवं रासायनिक दशा में सुधार हेतु 25 से 30 किलोग्राम गोबर की सड़ी खाद प्रति पौधा देना भी बहुत प्रभावी पाया गया है। जैविक खाद हेतु जुलाई-अगस्त में 250 ग्राम एजोस्पाइरिलम को 40 किलोग्राम गोबर की खाद के साथ मिलाकर थालों में डालने से उत्पादन में वृद्धि होती है।
सिंचाई का समय
आम की फसल में सिंचाई हमें कब करनी चाहिए, और किस प्रकार करनी चाहिए? आम की फसल के लिए बाग़ लगाने के प्रथम वर्ष सिंचाई 2-3 दिन के अन्तराल पर आवश्यकतानुसार करनी चाहिए। 2 से 5 वर्ष पर 4-5 दिन के अन्तराल पर आवश्यकता अनुसार सिंचाई करनी चाहिये. तथा जब पेड़ों में फल लगने लगे तो बाग की दो से तीन सिंचाई करनी अति आवश्यक होती है। आम के बागों में पहली सिंचाई फल लगने के पश्चात, दूसरी सिंचाई फलो का काँच की गोली के बराबर अवस्था में तथा तीसरी सिंचाई फलो की पूरी बढ़वार होने पर करनी चाहिए। सिंचाई नालियों द्वारा थालों के माध्यम से ही करनी चाहिए, जिससे कि पानी की बचत की जा सके।
गुड़ाई और खरपतवार नियंत्रण
आम की फसल में निराई गुड़ाई और खरपतवार का नियंत्रण किसान भाई किस प्रकार से करें?
आम के बाग को साफ बनाए रखने के लिए उसकी निराई गुड़ाई तथा बागो में वर्ष में दो बार जुताई करना आवश्यक है, क्योंकि इससे खरपतवार तथा भूमिगत कीट नष्ट हो जाते है इसके साथ ही साथ समय समय पर घास निकालते रहना चाहिए।
कीट और उनका नियंत्रण
वह कौन-कौन से कीट है, जो आम में लगते हैं और उनका नियंत्रण किस प्रकार से किया जाना चाहिए?
आम में आमतौर पर भुनगा, फुदका कीट, गुझिया कीट, आम के फल खाने वाली सुंडी तथा तना छेदक कीट, आम में डासी मक्खी आदि कीट मुख्य रूप से है। आम की फसल को फुदका कीट से बचाव के लिए इमिडाक्लोरपिड 0.3 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में घोलकर प्रथम छिडकाव फूल खिलने से पहले करना चाहिए। दूसरा छिड़काव जब फल मटर के दाने के बराबर हो जाये, तब कार्बरिल 4 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए।
इसी प्रकार से आम की फसल को गुझिया कीट से बचाव के लिए दिसंबर माह के प्रथम सप्ताह में आम के तने के चारों ओर गहरी जुताई करें, तथा क्लोरोपाइरीफास चूर्ण 200 ग्राम प्रति पेड़ तने के चारो ओर बुरक देना चाहिए।
यदि कीट पेड़ पर चढ़ गए हो तो इमिडाक्लोरपिड 0.3 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में घोलकर जनवरी माह में 2 छिड़काव 15 दिन के अंतराल पर करना चाहिए तथा आम के फल खाने वाली सुंडी तथा तना छेदक कीट के नियंत्रण के लिए मोनोक्रोटोफास 0.5 प्रतिशत रसायन के घोल में रूई को भिगोकर तने में किये गए छेद में डालकर छेद बंद कर देना चाहिए। ऐसा करने से ये सुंडी खत्म हो जाती है।
आम की डासी मक्खी के नियंत्रण के लिए मिथाइल यूजीनोल ट्रैप का प्रयोग प्लाई लकड़ी के टुकड़े को अल्कोहल मिथाइल एवं मैलाथियान के छः अनुपात चार अनुपात एक के अनुपात में घोल में 48 घंटे डुबोने के पश्चात पेड़ पर लटकाए और ट्रैप मई के प्रथम सप्ताह में लगा दे तथा ट्रैप को प्रत्येक दो माह के बाद बदल देना चाहिए।
फलों को तोड़ने का समय
आम की फसल में फलों की तुड़ाई कब और किस प्रकार से करनी चाहिए?
आम के परिपक्व फलो की तुड़ाई 8 से 10 मिमी लम्बी डंठल के साथ करनी चाहिए, जिससे फलों पर स्टेम रॉट बीमारी के लगने का खतरा नहीं रहता है। तुड़ाई के समय फलो को चोट या खरोच न लगने दें, तथा इसके साथ ही आम के फलों को मिट्टी के सम्पर्क आने से भी बचाया जाना चाहिए। आम के फलो का श्रेणीकरण फलों की प्रजाति, आकार, भार, रंग अैर परिपक्वता के आधार पर करना चाहिए।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।