
आम के बौर पर मधुआ कीट का अटैक और इससे बचाव के उपाय Publish Date : 21/03/2025
आम के बौर पर मधुआ कीट का अटैक और इससे बचाव के उपाय
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 कृशानु
आम के बौर पर मधुआ कीट, दहिया कीट और एन्थ्रेकनोज रोगों से बचाव के लिए नियमित रूप से दवाओं का छिड़काव करना बहुत महत्वपूर्ण होता है। प्रस्तुत लेख में दिए गए इन तीन छिड़कावों को सही समय पर करना, सही कीटनाशक और फफूंदनाशी का चयन करना और उचित विधियों का पालन करना आपके आम के बाग को सुरक्षित रखने और उच्च गुणवत्ता वाले फल प्राप्त करने में सहायक सिद्व होगा।
आम का फल भारत में सबसे प्रिय और लोकप्रिय फल है, लेकिन इसके वृक्ष को कई प्रकार के कीट और रोगों का सामना भी करना पड़ता है. इसकी वजह से आम की गुणवत्ता और उत्पादन पर बुरा प्रभाव पड़ता है। विशेषरूप से आम पर बौर आने के समय मधुआ कीट (Mango Hopper), दहिया कीट (Mango Mealy Bug), पाऊडरी मिल्ड्यु, और एन्थ्रेकनोज (Anthracnose) जैसे रोगों का हमला आम के बागों में गंभीर समस्या पैदा कर सकता है।
हमारे इस लेख में आम के बाग में आने वाली इन समस्याओं से बचाव और आम के वृक्षों की सुरक्षा के लिए तीन महत्वपूर्ण छिड़काव करने की विधियां सुझाई गई हैं, किसान भाईयों से अपील है कि वह हमारे इस लेख को पढ़कर इसका लाभ उठाएं।
आम पर पहला छिड़काव
आम के मंजर आने से पहले पूरे वृक्ष पर छिड़काव करना चाहिए। यह छिड़काव कीटों और रोगों से सुरक्षा देता है। इस छिड़काव में आपको कीटनाशकों के साथ एक फफूंदनाशी भी मिलाना चाहिए, जो आम के बौर और मंजरों पर असर डालने वाले कीटों और रोगों से प्रभावी ढंग से निपट सके।
आम का दूसरा छिड़काव
जब मंजरों में सरसों के दाने के बराबर दाना लग जाए, तब दूसरे छिड़काव की जरूरत होती है. इस समय कीटों और फफूंदों का प्रभाव बढ़ सकता है. इसलिए कीटनाशक और फफूंदनाशी दोनों का उपयोग करना जरूरी होता है. यह छिड़काव खासतौर पर मधुआ कीट और दहिया कीट जैसे कीटों के हमले को रोकने के लिए एक प्रभावी उपाय है।
आम का तीसरा छिड़काव
जब आम के टिकोले मटर के दाने के बराबर हो जाएं, तो तीसरे छिड़काव की जरूरत होती है। इस समय आम के पौधों पर कीट और रोगों का हमला और बढ़ सकता है। इस छिड़काव में, पहले और दूसरे छिड़काव के जैसे ही कीटनाशक और फफूंदनाशी का मिश्रण कर किया जाता है। साथ ही अल्फा नेप्थाईल एसीटिक एसीड (4.5% एस.एल.) का उपयोग किया जाता है, तो यह आम के फल और मंजर आदि को गिरने से बचाता है।
मधुआ कीट से बचाव कैसे करें
मधुआ कीट आम के वृक्ष के मंजरों को प्रभावित करता है और इसके कारण फल की क्वालिटी खराब हो सकती है। इसके कीट के नियंत्रण के लिए निम्नलिखित कीटनाशकों का छिड़काव किया जा सकता हैः-
- इमिडाक्लोप्रिड 17.8 प्रतिशत एस.एल. - 1 मिली प्रति 3 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना उचित रहता है।
- डाइमेथोएट 30 प्रतिशत ई.सी. - 1 मिली प्रति 1 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए।
- थायोमेथाक्साम 25 प्रतिशत डब्लू.जी. - कीट से बचाव के लिए 1 ग्राम प्रति 10 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
दहिया कीट से बचाव
दहिया कीट आम के वृक्षों को प्रभावित करता है और इसके प्रकोप से आम के फल की गुणवत्ता में गिरावट आ सकती है। इस कीट के नियंत्रण के लिए निम्नलिखित फफूंदनाशकों का उपयोग किया जा सकता हैः-
- सल्फर 80 प्रतिशत- 3 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करने से आम का प्रभवी बचाव होता है।
- कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 50 प्रतिशत- 3 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए।
- कार्बेन्डाजिम 50 प्रतिशत- 1 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करने से इस कीट आम का प्रभावी बचाव होता है।
- हेक्साकोनाजोल 5 प्रतिशत एस.सी.- 2 मिली प्रति लीटर पानी की दर से पानी में मिलाकर छिड़काव करना उचित रहता है।
एन्थ्रेकनोज से बचाव
आम के बाग में एन्थ्रेकनोज रोग मंजर के समय बूंदा-बादी होने पर उत्पन्न हो सकता है। इस रोग से बचने के लिए घुलनशील सल्फर, कार्बेन्डाजिम या हेक्साकोनाजोल का छिड़काव जरूर करना चाहिए। इसके अलावा, कीटनाशक घोल तैयार करते समय एक स्टीकर मिलाने की सलाह दी जाती है ताकि इस छिड़काव का अधिक प्रभाव हो सके।
आम के बौर पर मधुआ कीट, दहिया कीट और एन्थ्रेकनोज रोगों से बचाव के लिए नियमित रूप से छिड़काव बहुत महत्वपूर्ण होता है। इन तीन छिड़कावों को सही समय पर करना, सही कीटनाशक और फफूंदनाशी का चयन करना, और उचित विधियों का पालन करना आपके आम के बाग को सुरक्षित रखने और उच्च क्वालिटी वाले फल प्राप्त करने में सहायक होता है।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।