
आम के बौर पर मधुआ कीट का अटैक, बचाव के उपाय Publish Date : 08/03/2025
आम के बौर पर मधुआ कीट का अटैक, बचाव के उपाय
प्रोफेसर आर एस. सेंगर एवं डॉ0 वर्षा रानी
आम के बौर पर मधुआ कीट, दहिया कीट और एन्थ्रेकनोज रोगों से बचाव के लिए नियमित छिड़काव करना बहुत महत्वपूर्ण होता है। इन तीन छिड़कावों को सही समय पर करना, सही कीटनाशक और फफूंदनाशी का चयन करना और उचित विधियों का पालन करने से आपके आम के बाग को सुरक्षित रखने और उच्च गुणवत्ता वाले फल प्राप्त करने में सहायक होगा।
आम का फल भारत में सबसे प्रिय और लोकप्रिय फल है, लेकिन इसके वृक्ष को कई प्रकार के कीट और रोगों का सामना भी करना पड़ता है.। इसके चलते आम की गुणवत्ता और उत्पादन पर कुप्रभाव भी पड़ सकता है। खासकर आम के बौर पर मधुआ कीट (Mango Hopper), दहिया कीट (Mango Mealy Bug), पाऊडरी मिल्ड्यु, और एन्थ्रेकनोज (Anthracnose) जैसे रोगों का हमला आम के बागों में गंभीर समस्या पैदा कर सकता है। इन समस्याओं से बचने और आम के पौधों की सुरक्षा के लिए तीन महत्वपूर्ण छिड़काव विधियां हमारे इस लेख में सुझाई गई हैं।
पहला छिड़काव
आम के मंजर आने से पहले पूरे वृक्ष पर छिड़काव करना चाहिए। यह छिड़काव कीटों और रोगों से सुरक्षा प्रदान करता है। इस छिड़काव में आपको कीटनाशकों के साथ एक फफूंदनाशी भी मिलाना चाहिए, जो आम के बौर और मंजरों पर असर डालने वाले कीटों और रोगों से प्रभावी ढंग से निपट सकता है।
दूसरा छिड़काव
जब मंजरों में सरसों के दाने के बराबर दाना लग जाए, तब दूसरे छिड़काव की जरूरत होती है। इस समय कीटों और फफूंदों का प्रभाव बढ़ सकता है। इसलिए कीटनाशक और फफूंदनाशी दोनों का उपयोग करना जरूरी होता है। यह छिड़काव खासतौर पर मधुआ कीट और दहिया कीट जैसे कीटों के हमले को रोकने के लिए अधिक प्रभावी होता है।
तीसरा छिड़काव
जब आम के टिकोले मटर के दाने के बराबर हो जाएं, तो तीसरा छिड़काव करने की जरूरत होती है। इस समय आम के पौधों पर कीट और रोगों का हमला और बढ़ सकता है। इस छिड़काव में, पहले और दूसरे छिड़काव के जैसे कीटनाशक और फफूंदनाशी का मिश्रण किया जाता है। साथ ही अल्फा नेप्थाईल एसीटिक एसीड (4.5% एस.एल.) का उपयोग भी किया जाता है, जो फल और मंजर को गिरने से बचाता है।
मधुआ कीट से बचाव
मधुआ कीट आम के वृक्ष के मंजरों को प्रभावित करता है और इसके कारण फल की क्वालिटी खराब हो सकती है। इस कीट के नियंत्रण के लिए निम्नलिखित कीटनाशकों का छिड़काव कर आसानी से बचाव किया जा सकता हैः
- इमिडाक्लोप्रिड 17.8 प्रतिशत एस.एल. - 1 मिली प्रति 3 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
- डाइमेथोएट 30 प्रतिशत ई.सी.-1 मिली प्रति 1 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
- थायोमेथाक्साम 25 प्रतिशत डब्लू.जी.-1 ग्राम प्रति 10 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
दहिया कीट से बचाव
दहिया कीट आम के वृक्षों को प्रभावित करता है और इससे फल की गुणवत्ता में गिरावट आ सकती है। इस कीट के नियंत्रण के लिए निम्नलिखित फफूंदनाशकों का उपयोग किया जा सकता हैः
- सल्फर 80 प्रतिशत धु.चू. - 3 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
- कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 50 प्रतिशत - 3 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
- कार्बेन्डाजिम 50 प्रतिशत -1 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
- हेक्साकोनाजोल 5 प्रतिशत एस.सी. - 2 मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
एन्थ्रेकनोज से बचाव
आम का यह रोग एन्थ्रेकनोज, मंजर के समय बूंदा-बादी होने पर उत्पन्न हो सकता है। इस रोग से बचने के लिए घुलनशील सल्फर, कार्बेन्डाजिम या हेक्साकोनाजोल का छिड़काव जरूर करना चाहिए। इसके अलावा, कीटनाशक घोल तैयार करते समय एक स्टीकर मिलाने की सलाह दी जाती है ताकि छिड़काव का प्रभाव अधिक हो सके।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।