पपीता की रेड लेडी-786 वैरयटी देती है भरपूर उपज Publish Date : 31/08/2024
पपीता की रेड लेडी-786 वैरयटी देती है भरपूर उपज
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 रेशु चौधरी
एक पेड़ में डेढ़ क्विंटल तक आता है फल, कम लागत में होती है अच्छी कमाई
अधिकतर किसान अब पारपंरिक खेती को छोड़कर नगदी फसलों की खेती करने पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं. क्योंकि इससे कम समय और कम लागत में अच्छी कमाई हो जाती है। पपीता की खेती भी ऐसी ही एक नगदी फसल की है और किसान इससे भी बेहतर मुनाफा कमा सकते हैं। पपीता की खेती में पपीते की वैरायटी का चयन करना बेहद महत्वपूर्ण होता है। यदि आप भी पपीते की खेती करना चाहते हैं तो अपने जनपद में संचालित किसी अच्छी नर्सरी से कम कीमत पर बेहतर वैरायटी के पौधे प्राप्त कर सकते हैं।
पपीता की उन्नत वैरायटी - रेड लेडी - 786
सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय के प्रोफेसर आर. एस. सेंगर ने बताया कि पपीता की खेती में पौधे का सही चयन और उनका उचित तरीके से प्रबंधन बेहद जरूरी होता है, तभी आप बेहतर उत्पादन प्राप्त कर अच्छी कमाई कर सकते हैं। पपीता की सबसे बेस्ट वैरायटी रेड लेडी 786 है। उन्होंने बताया कि इसके एक पौधे की कीमत 30 रूपए है। वहीं एकड़ खेत में पपीता की खेती करने के लिए 600 से 700 पौधे की जरूरत पड़ती है। पपीते के पौधे को हमेशा नमी युक्त मिट्टी में ही लगाना चाहिए। इसके बाद उसमें समय से सिंचाई करते रहना और नियमित अंतराल पर जैविक गोबर से तैयार की गई खाद डालते रहना चाहिए।
एक पौधे में डेड़ क्विंटल तक आता है फल
प्रोफेसर सेंगर ने बताया कि खेत में पौधे की रोपाई करने से 10 से 12 दिन पहले एक फीट गड्ढे की गहराई करने के बाद छोड़ देना चाहिए, इसके बाद 30 रुपए की कीमत में मिलने वाला प्रत्येक पौधा इस गड्ढ़े में लगा सकते हैं। वहीं 6 महीने में ही यह पौधा फल देने लगता है। फल देने के बाद करीब 2 से 3 महीने में फल पक कर तैयार हो जाता है। मार्केट में इस समय पपीते की डिमांड भी अधिक है और किसान पपीते की खेती के माध्यम से अपनी आय को दोगुनी कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि एक पेड़ में करीब एक से डेढ क्विंटल तक फल आते हैं। पपीता की खेती के प्रति जिले में किसानों का रूझान बढ़ रहा है और किसान नई प्रजाति के पौधे खरीदकर लगा भी रहे हैं और अधिक लाभ कमा रहे हैं।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।