ताइवानी पिंक अमरूद, साल में तीन बार आते हैं फल      Publish Date : 17/08/2024

                      ताइवानी पिंक अमरूद, साल में तीन बार आते हैं फल

                                                                                                                                                          प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 वर्षा रानी

पिछले कुछ सालों से उत्तर प्रदेश के किसान परंपरागत खेती को छोड़ ऐसी खेती की तरफ रुख कर रहे हैं जो उन्हें मोटा मुनाफा दे रही है। विशेष रूप से फलों की बागवानी किसानों के लिए यह एक बेहतर कमाई की जरिया बन चुका है। 

                                                                                   

जिले के कई प्रगतिशील किसान इन दिनों अमरूद की खेती कर रहे हैं और विशेष रूप से अमरूद की ऐसी प्रजाति की बागवानी कर रहे हैं, जिसपर साल में तीन बार फल आते है।

ताइवान के पिंक अमरूद की है जबरदस्त है डिमांड

                                                                    

अमरूद की खेती करने वाले प्रगतिशील किसान बताते हैं कि अमरूद की खेती के लिए पहले 1 एकड़ बाग तैयार किया था। जब उन्हें अमरूद की बागवानी से अच्छा मुनाफा हुआ तो अब इसकी बागवान का एरिया बढ़ाकर अमरूद की बागवानी कर रहे हैं। अमरूद की डिमांड इस समय बाजार में सबसे अधिक है और इस समय बाजारों में यह 80 से लेकर 100 रूपए प्रतिकिलो की दर से बिक रहा है।

बागवानी करने वाले किसानों ने बताया कि अमरूद की बागवानी तो आपने बहुत देखी या की होगी, लेकिन अब ताइवानी पिंक अमरूद ने बाजार में खलबली मचा दी है। इस प्रजाति की अमरूद की डिमांड भी बहुत अधिक है और इसकी बागवानी करना भी बेहद आसान है। इसकी बागवानी से सीजन में किसान तगड़ी कमाई कर सकते हैं।

सालाना तीन से चार लाख रूपये तक की होती है कमाई

                                                                      

प्रगतिशील किसानों ने बताया कि पिंक ताइवान का पौधा एक वर्ष में ही फलने लगाता है और इसकी खास बात यह है कि इसमें साल में तीन बार फल लगता है। बताया कि इस अमरूद की बागवानी में शुरू के दिनों में केवल और केवल सिंचाई की ही जरूरत होती है तथा इसके अलावा इसमें कोई मेहनत नहीं होती है। करीब 6 महीने में ही इसका पेड़ फल देने लगता है। इसके एक फल का वजन 300 से 400 ग्राम तक का होता है।

अमरूद की इस बागवानी से हर साल 3 से 4 लाख की आमदनी हो रही है। बागवानी कर रहे किसांनो ने बताया कि आस-पास के किसान भी इसकी बागवानी की सलाह लेने के लिए आते रहते हैं।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।