सफलता उम्र की मोहताज नहीं      Publish Date : 08/04/2025

              सफलता उम्र की मोहताज नहीं

                                                                                                                          प्रोफेसर आर. एस. सेंगर

यह 70 वर्षीय बुजुर्ग दादी हैं, जो जैविक मिशन से प्रेरित होकर एक साल से जैविक खेती कर रही है और खरपतवारों को हमेशा अपने हाथों से ही निकालती है जो अपने गांव के लिए एक प्रेरणा के स्रोत हैं। ये भाग्य नगर ब्लॉक के एक गांव में रहती हैं और प्रत्येक वर्ष 3 बीघा के खेत में अरबी उगाती हैं। इनकी अरबी में सुंडी और फंगस की समस्या आ रही थी, जिसके लिए इनका फोन आया और हम बिना देरी किए कड़ी धूप में इनके फार्म पर पहुंचे और इनकी समस्या का समाधान निःशुल्क घरेलू उपचार के माध्यम से किया।

                                               

इसे सुनकर दादी की खुशी का ठिकाना न रहा और अपनी प्यार भरी आंखों से हमें अपना आशीर्वाद देकर हमारी खुशी को भी बढ़ा दिया। अरबी को हम देशी भाषा में घुइयाँ भी कहते हैं, अरबी को अंग्रेजी में Colocasia esculenta कहते हैं। अरबी एक कंद वाली सब्जी है, जिसके पत्ते बड़े और दिल के आकार के होते हैं। यह सब्जी भारत के अलावा अन्य कई एशियाई देशों में भी उगाई जाती है। अरबी की पत्तियों और कंद दोनों का उपयोग भोजन के रूप में किया जाता है। अरबी की सब्जी बनाने के अलावा इसके पत्तों का उपयोग पकौड़े और अन्य व्यंजन बनाने के लिए भी किया जाता है, जो भारतीयों की सबसे पसंदीदा सब्जी है।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।