मशरूम की खेती से वंध्या चौरासिया, अन्य महिलाओं को भी बना रही आत्मनिर्भर      Publish Date : 20/09/2024

मशरूम की खेती से  वंध्या चौरासिया, अन्य महिलाओं को भी बना रही आत्मनिर्भर

                                                                                                                                                       प्रोफेसर आर. एस. सेंगर

बनारस की एक महिला किसान, वंध्या चौरासिया ने महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए एक प्रेरणादायक कहानी पेश की है। इस महिला ने की पारंपरिक खेती से हटकर मशरूम की खेती की और उसमें सफल होकर, उन्होंने न केवल स्वयं आत्मनिर्भरता हासिल की, बल्कि 25 से अधिक अन्य महिलाओं को भी रोजगार प्रदान किया है। मशरूम की खेती में वंध्या की सफलता ने साबित किया है कि सही मार्गदर्शन और मेहनत के माध्यम से महिलाएं आर्थिक स्वतंत्रता और सशक्तिकरण की नई ऊचाइयों को भी छू सकती हैं।

                                                        

बनारस की वंध्या चौरासिया ने पारंपरिक खेती से अलग हटकर मशरूम की खेती कर आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। महिला किसान की मेहनत और दक्षता से वह हर महीने लाखों रुपये का मुनाफा भी कमा रही हैं, तो अब वह अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बन चुकी है।

महिला किसान वंध्या ने मशरूम की सफल खेती से न केवल उन्हें आर्थिक स्वतंत्रता दिलाई है, बल्कि उन्होंने 25 से अधिक स्थानीय महिलाओं को रोजगार भी प्रदान किया है। इससे न केवल उनके परिवारों को आर्थिक मदद मिली है, बल्कि उनके पूरे समुदाय को भी आर्थिक लाभ हुआ है।

महिला किसान वंध्या ने मशरूम की खेती की शुरुआत लगभग 24 वर्ष पूर्व की थी। इसके लिए उन्होंने सोलन के मशरूम रिसर्च सेंटर और दिल्ली के पूसा इंस्टीट्यूट से विस्तृत प्रशिक्षण भी प्राप्त किया था और इसी के माध्यम से उन्हें इस व्यवसाय में सफलता प्राप्त हुई।

                                                                 

अब यह महिला किसान वंध्या चौरासिया अपने खेत से प्रतिदिन लगभग 2 क्विंटल मशरूम की पैदावार प्राप्त करती हैं। वंध्या की यह मशरूम बनारस और इसके आसपास के बाजारों में बिकते हैं, और उनकी मशरूम की मांग लगातार बनी रहती है।

मशरूम की बिक्री से वंध्या प्रतिदिन 32 से 35 हजार रुपये की आय प्राप्त कर लेती है। जबकि एक महीने में वह लगभग 10 लाख रुपये का मशरूम बेचती हैं, जिससे प्रत्येक महीने उन्हें करीब 2.5 लाख रुपये का मुनाफा होता है।

                                                                      

वंध्या के द्वारा खेती में किए गए इन अद्वितीय प्रयासों और सफलता को सम्मान देते हुए यूपी सरकार ने उन्हें उत्तर प्रदेश की ‘‘विशेष महिला किसान’’ पुरस्कार से भी सम्मानित किया है। महिला किसान वंध्या का बेटा सोहम चौरासिया भी अब इस उनके इस व्यवसाय में उनका सहयोग कर रहा है, जिससे परिवार की इस सफल खेती को और भी अधिक मजबूती मिली है।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।