किसान ने गोबर से शुरू किया यह काम, बदल गई तकदीर Publish Date : 16/08/2024
किसान ने गोबर से शुरू किया यह काम, बदल गई तकदीर
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर
आज घर बैठे कमा रहा लाखों, दर्जनों को मिल रहा रोजगार
उत्तर प्रदेश का महाराजगंज जिला जो कि पड़ोसी देश नेपाल के साथ लगा हुआ है. यहां का ज्यादातर क्षेत्र ग्रामीण परिवेश वाला ही है। जिले के ज्यादातर लोग कृषि और कृषि आधारित व्यवसाय में ही लगे हुए हैं। इनमें से ही एक है रामचंद्र चौधरी, जो वर्मी कंपोस्ट बनाने का काम करते हैं। कृषि से जुड़ा यह काम उनके लिए काफी फायदेमंद साबित हो रहा है, किसान रामचंद्र ने बताया कि वह पिछले 5 सालों से वर्मी कंपोस्ट बनाने का काम कर रहे हैं।
45 से 50 दिन वर्मी कंपोस्ट होता है तैयारः
कटका के रहने वाले रामचंद्र चौधरी को वर्मी कंपोस्ट बनाने का अच्छा खासा अनुभव हो गया है, उन्होंने बताया कि सिर्फ 45 से 50 दिनों में वर्मी कंपोस्ट बनकर तैयार हो जाता है। वर्मी कंपोस्ट बनाने के लिए उन्हें गोबर की जरूरत होती है, जो उन्हें गौसदन से भी मिल जाता है, या फिर लोकल एरिया में ही मिल जाता है। उन्हें जरूरी सामान के लिए ज्यादा परेशान होने की जरूरत भी नहीं पड़ती है। वह बताते हैं कि वर्मी कंपोस्ट बनाने के इस काम में उनकी पत्नी भी उनका पूरा सहयोग करती है।
हाथों हाथ बिक जाता हैं वर्मी कंपोस्ट
किसान रामचंद्र चौधरी बताते हैं कि उनके यहां बने वर्मी कंपोस्ट को बेचने के लिए उन्हें कहीं जाने की भी जरूरत नहीं पड़ती है। अधिकतर लोग स्वयं उन तक पहुंचकर वर्मी कंपोस्ट खरीदकर ले जाते हैं। इनके यहां 30 किलोग्राम के वर्मी कम्पोस्ट की बोरी की कीमत 225 रुपए होती है। वर्मी कंपोस्ट तैयार होते ही उनके यहां खरीदारों की लाइन लगना शुरू हो जाती है। वर्मी कंपोस्ट खरीदारों में किसान के साथ-साथ कुछ थोक व्यापारी भी उनके यहां से वर्मी कंपोस्ट खरीद कर ले जाते हैं।
वर्मी कंपोस्ट के व्यवसाय से देते हैं लोगो को रोजगार
वर्मी कंपोस्ट बनाने की प्रक्रिया में काफी मेहनत की जरूरत होती है, ऐसे में रामचंद्र एक स्वयं सहायता समूह की 12 महिलाओं को रोजगार भी दे रखा हैं। इन्होंने बताया कि एक महिला को ₹200 प्रतिदिन के हिसाब से मजदूरी भी देते हैं। रामचंद्र वर्मी कंपोस्ट बनाने के व्यवसाय में स्वरोजगार के साथ-साथ अन्य लोगों रोजगार भी दे रहे हैं।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।