यदि जज्बा और जुनून है तो आदमी अपनी किस्मत भी बदल सकता है

      यदि जज्बा और जुनून है तो आदमी अपनी किस्मत भी बदल सकता है

                                                                                                                                                                                        डॉ0 आर. एस. सेंगर

कहा जाता है कि अगर किसी भी मनुष्य में कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो वह अपने हाथों से अपनी किस्मत बदल सकता है। सफलता के शिखर पर पहुंचने के लिए कड़ी मेहनत और लगन से बढ़कर और कुछ नहीं चाहिए होता है। अगर आप किसी चीज के लिए जुनूनी है तो सबसे कठिन चुनौती भी आपको छोटी ही लगेगी। ऐसा ही कुछ कर दिखाया भारत के अरबपति नाई रमेश बाबू ने। बेंगलुरु के रमेश बाबू अरबपति नाई तो है ही साथ ही उनके पास लग्जरी कारों का सबसे बड़ा कलेक्शन भी है। रमेश बाबू के पास रोल्स रॉयस, मर्सिडीज बेन्ज, बीएमडब्ल्यू और ऑडर जैसे सैकड़ो लग्जरी कारें हैं। उनकी सफलता की कहानी किसी को भी अनोखे और नए-नए विचार खोजने के लिए प्रोत्साहित कर सकती हैं। अतः यदि आपको आगे बढ़ाना है तो आपके अंदर जुनून होना चाहिए और अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सदैव प्रयासरत रहना चाहिए।

                                                            

केवल एक समय ही भोजन करके किया गुजारा रमेश बाबू ने

रमेश बाबू का जन्म बेंगलुरु में हुआ था उनके पिता पी गोपाल नाई की एक दुकान चलाते थे। मात्र 7 वर्ष की उम्र में ही रमेश ने अपने पिता को खो दिया और उनके परिवार में कोई कमाने वाला नहीं रहा था। इसी के चलते उनकी मां ने अपने तीन बच्चों का पेट भरने के लिए लोगों के घरों में आया का काम करना शुरू किया। पति की नई की दुकान को भी प्रतिदिन ₹5 के किराए पर दे दिया। प्रतिमाह लगभग 40 से ₹50 की कमाई का ज्यादातर हिस्सा कपड़े किताबें फीस और बाकी चीजों में खर्च हो जाता था। स्थिति ऐसी थी कि परिवार दिन में सिर्फ एक बार भोजन करके गुजारा करना पड़ता था।

घर को रखना पड़ा गिरवी

रमेश बाबू बचपन से ही एक कार खरीदने का सपना देखते थे और वह फन्सी कारों के शैकीन भी थे। इस प्रकार उन्होंने वर्ष 1993 में मारूति ओमनी कार खरीदी। इस दौरान बैंक से लोन प्राप्त करने के लिए उन्हें अपने एक परिचित का मकान गिरवी भी रखना पड़ा।इस कार को पहले रमेश बाबू ने स्वयं के उपयोग के लिए बारे में विचार किया, परन्तु कार की ईएमआई लगभग 6,000 रूपये थी और वह जासनते थे कि एक नाई के रूप में वह नासिक में दस से बीस हजार रूपये तक कमा सकते हैं, जो कि उनके अन्य खर्चों के साथ ही ईएमआई चुकाने हेतु पर्याप्त नही था। अतः उन्होने अपनी इस कार को किरये पर चलवाना शुरू कर दिया।

कड़ी मेहनत से किया सफलता का सफर

                                                                

अपनी पहली कार किराए पर देने के साथ ही रमेश कार रिटेल के व्यवसाय में भी आ गए। इस प्रकार धीरे-धीरे उनके पास छह कारों का बेड़ा हो गया और यह सभी कारें एक ही व्यवसाय में लगी हुई थी। इसके साथ ही उनके पास ग्राहकों का एक अच्छा नेटवर्क भी बनता चला गया

इसके बाद रमेश ने अपने टूर एण्ड ट्रैवल्स और सैलून के व्यवसाय को आगे विस्तारित करने पर अपना ध्यान केन्द्रित किया। वर्ष 1994 और वर्ष 2004 के मध्य रमेश बाबू ने सात कारें और खरीद कर स्वयं का रमेश टूर एण्ड ट्रैवल्स का बिजनेस आरम्भ कर दिया।

अखबार बांटे तथा दूध भी बेचा

रमेश बाबू ने भी पैसा कमाने के लिए कई तरह के काम किए। वह 13 साल की उम्र में ही घर की जिम्मेदारियां को उठाने के लिए अखबार बांटे, दूध बेचा तथा अपने चाचा की दुकान में काम करने के साथ वह सब कुछ किया जो कि वह कर सकते थे। इसके साथ ही जैसे तैसे उन्होंने अपनी दसवीं की पढ़ाई पूरी की। दसवीं की परीक्षा पास कर लेने के बाद रमेश ने अपने पिता की साधारण सी नाई की दुकान को अपने हाथ में ले लिया और उसे ‘‘इनर स्पेस’’ नामक एक ट्रेडिंग हेयर स्टाइलिंग सैलून में बदल दिया। साथ ही अपनी मां के कहने पर उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक्स में डिप्लोमा भी किया। वह सुबह जल्दी उठकर 6ः00 बजे अपना सैलून खोलते और फिर 10ः00 बजे कॉलेज जाते थे। उनके ग्राहकों में सैन्य अधिकारी, बड़े राजनेता, पुलिस अधिकारी से लेकर फिल्म अभिनेता तक सभी शामिल है।

दिवालिया होकर खरीदी रोल्स रॉयस

                                                                 

रमेश बाबू ने हेयर कट और हेयर स्टाइल सीखने के लिए सिंगापुर जाकर कोर्स किया और वापस आकर उन्होंने खुद ही हेयर स्टाइल बनाना शुरू कर दिया। उनका मानना था कि यदि आप व्यवसाय करना चाहते हैं तो आपको हर प्रकार के व्यवसायिक जोखिम लेने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए। वर्ष 2011 में रमेश ने एक और लग्जरी कार रॉयल्स राइस खरीदने का विचार बनाया। कुछ लोगों ने उन्हें रॉयल्स प्राइस जैसी लक्जरी कर खरीदने के जोखिम के बारे भी में बताया। लेकिन रमेश ने इस कार को खरीदने के लिए अपनी पत्नी के जेवर तक गिरवी रख दिए और लगभग दिवालिया ही हो गए। लोगों ने उनसे उनकी सारी लग्जरी कारें बेचने के लिए कहा, परन्तु वह कोशिश करते रहे और डेढ़ साल बाद आखिरकार रमेश फिर से सफल होने में कामयाब रहे। वर्तमान में उनका बिजनेस दिल्ली और बेंगलुरु में सफलतापूर्वक चल रहा है

युवाओं को क्या मिलती है सीख

  • अपने लक्ष्य के प्रति दृढ़ संकल्पित होना आवश्यक होता है क्योंकि कोई व्यक्ति इसी से सफल होता है।
  • संघर्ष तो हम सभी के जीवन में होता ही है लेकिन जो लोग हौसलों से काम करते हैं, अन्त में वही लोग सफल होते हैं।
  • कुछ कर गुजरने की जिद से ही आपका कार्य अन्य लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनता है।
  • महानता जन्म से नहीं मिलती इसे पाने के लिए संघर्ष करना ही पड़ता है।
  • मंजिल तक पहुंचाने के लिए स्वयं पर विश्वास होना बहुत जरूरी है।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।