घर में मशरूम की खेती कैसे करें Publish Date : 13/05/2024
घर में मशरूम की खेती कैसे करें
डॉ0 आर. एस. सेंगर एवं उनके सहयोगी
चार पाँच कमरों के एक मकान में सेहत से भरपूर मशरूम की खेती कर मेरठ का एक युवा लगभग एक लाख रूपये प्रतिमाह की कमाई कर रहा है। यह रकम किसी सरकारी नौकरी से अधिक है। मेरठ से लगभग 12 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम चिन्दौड़ी खास के रहने वाले रक्षित मित्तल अपने घर से ही मश्रूम की खेती कर रहें हैं जिसमें उन्हें एक से सवा कुंतल के आसपास का प्रोडक्शन मिलता है। इस प्रकार यह एक कमरे से महीने में लगभग 25 से 30 कुंतल तक मशरूम का प्रौडक्शन प्राप्त कर रहें हैं। अगर हम उनके खर्च के बारे में बात करें तो यह प्रति चैम्बर लगभग दो-सवा दो खाल रूपये का आता है। इस प्रकार से उकनी बिक्री सालना चार से साढे चार लाख रूपये की दर से हो जाती है। कुल मिलाकर उन्हें एक कमरे से लगभग एक लाख रूपये से सवा लाख रूपये तक की बचत वार्षिक तक हो जाती है।
कोरोना महामारी से पूर्व मित्तल एक कंपनी में नौकरी किया करते थे, लेकिन लॉकडाउन के चलते अन्य बहुत से लोगों की तरह ही उनकी नौकरी भी छूट गई। नौकरी के छूट जाने के कारण उन्हें वापस अपने गाँव लोटना पड़ा, परन्तु यहाँ पर कोई भी कमाई का साधन नही उपलब्ध था। अतः इसे परेशानी से दो-चार होते हुए उन्होंने अपने घर को ही कमाई के साधन में बदलने का विचार किया।
सेहत से भरपूर मशरूम का उत्पादन घर से ही करने का आईडिया उन्हें एक यू-ट्यूब विडियो देखकर आया। इसके बाद उन्होंने मोदीपुरम स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान सेंटर से ट्रेनिंग प्राप्त की। उन्होनें अपने पुराने पुस्तैनी घर में तीन एसी युक्त चैम्बरों का निर्माण किया जिनके माध्यम से उन्हें औसतन 100 से 125 किग्रा. तक मश्रूम प्राप्त हो जाती है। रक्षित ने अपना सेटअप स्थापित करने से पूर्व इंटरनेट पर अन्य बहुत से सेटअप भी देखें परन्तु फिर उन्होंने विचार किया कि अपने पुराने खेती के काम को ही नये तरीके से किया जाए। इसी दौरान उन्हें ज्ञात हुआ कि यदि मश्रूम की खेती को अपनाया जाए तो इसमें काफी सम्भावनाएं व्याप्त हैं। यूँकि पशिचमी उत्तर प्रदेश में इस तरह की खेती अधिक प्रचलन में नही है।
वर्तमान में सबसे अधिक मश्रूम का उत्पादन हरियाणा प्रदेश में किया जाता है और अपने व्यसाय को स्थापित करने के लिए रक्षित ने हरियाणा के मश्रूम की खेती करने वालों से सर्म्पक किया और उनके सेटअप का भी काफी बारकी से निरीक्षण कर इसके सम्बन्ध में उनसे जानकारी प्राप्त की। मश्रूम की खेती प्रणाली और इसकी पर्याप्त जानकारी प्राप्त कर उन्होंने सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय स्थित भारतीय कृषि उनुसंधान संस्थान से सात दिनों की ट्रेनिंग प्राप्त की। इस ट्रेनिंग के दौरान उन्हें मशरूम की विभिन्न वैरायटीज जैसे ऑयस्टर मशरूम, ढींगरी मशरूम, मिल्की (दूधिया) मशरूम और श्वेत बटन मशरूम आदि के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। उन्होंने बताया की हमारे यहाँ श्वेत बटन मशरूम की ही चलन अधिक होने के कारण उसी पर काम करने के बारे में विचार बनाया।
रक्षित ने बताया कि इसका सेटअप आरम्भ करने के लिए एक कंट्रोल ऐनवायरमेंट की आवश्यकता होती है, जिसके लिए उन्होनें तीनों कमरों में बड़े एसी लगवाये है जिससे वहाँ का तामान 16-17 डिग्री ही बना रहता है। इसके लिए उन्होंने मुजफ्फरनगर की एक कंपनी से पूरा सेटअप तैयार करा उसका इंस्टॉलेशन अपने मकान में कराया।
अपने यहाँ तैयार इस मशरूम की बिक्री करने के लिए उन्हें अधिक मेहनत नही करनी पड़ती है और मेरठ के स्थानीय बाजार में ही इसकी बिक्री आसानी से हो जाती है। 100 से 125 किलोग्राम प्रतिदिन 100 से 125 रूपये प्रति किलोग्राम की दर से मरठ के लोकल माकेर्ट में ही उनकी मशरूम की बिक्री हो जाती है। अधिक उत्पादन या मेरठ में कम डिमांड होने पर वह अपने उत्पाद को दिल्ली में भी बेच देते हैं।
इसे देखकर कहा जा सकता है कि यदि आपके अंदर कुछ नया करने की चाह और क्षमता है तो आप अपने घर से ही अच्छा कार्य कर सकते हैं और एक अच्छी इनकम जनरेट करते हुए कई अन्य लोगों को भी रोजगार देने वाले बन सकते हैं। रक्षित मित्तल की कहानी हमें यही बताती है।
हमारी वेबसाईट किसान जागरण डॉट कॉम को देखें। कृषि संबंधी समस्याओं के समाधान एवं हेल्थ से संबंधित जानकारी हासिल करने के लिए अपने सवाल भी उपरोक्त वेबसाइट पर अपलोड कर सकते हैं। विषय विशेषज्ञों द्वारा आपकी कृषि संबंधी जानकारी दी जाएगी और साथ ही हेल्थ से संबंधित सभी समस्याओं को आप लिखकर भेज सकते हैं, जिनका जवाब हमारे डॉक्टरों के द्वारा दिया जाएगा।
प्रस्तुति: प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।