नदिया धीरे बहो (गीत) Publish Date : 14/06/2024
नदिया धीरे बहो (गीत)
डॉ0 आर. एस. सेंगर
प्यासे हैं पृथ्वी के होठ
कहीं नहीं छिपने की ओट
झुलस गए पत्ते हजार
ग्लेशियर पिघल रहे पर्वत के पार
कि नदिया धीरे बहो ।
धीरे बहो थोड़ा धीरे चलो ।
हो रही दुनिया शर्मसार
कि नदिया धीरे बहो
धीरे चलो थोड़ा रुक के बहो
पृथ्वी की सुन लो पुकार
नदिया धीरे बहो ।
बढ़ गया हर ओर हवा का ताप
उड़ने लगा गर्मी से सागर का भाप
कि नदिया धीरे बहो ।
धीरे बहो थोड़ा धीरे चलो
तपने लगी धरती हम सबके आस- पास
बढ़ने लगी गर्मी में पानी की प्यास
कि नदिया धीरे बहो
धीरे बहो जरा रुक कर चलो ।
सूख रहे हर तरफ गाँव और खेत
हरे - भरे पत्तों की ऐंठन से चेत
कि नदिया धीरे बहो
धीरे बहो जरा रुक कर चलो ।
बहने दो आस-पास शीतलता खास
पानी की बूँदों में जीवन की आस
कि नदिया धीरे बहो
रुक कर चलो जरा धीमे चलो ।
धरती की पीठ जले खाली है पेट
बाहर की गर्मी को करो थोड़ा सेट
धीरे बहो जरा रुक कर चलो
कि नदिया धीरे बहो ।
पानी को रिसने दो धरती के पेट में
पी सकें लोग थोड़ा सीच सकें खेत में
चीख रहे पशु पक्षी देखो आर -पार
सुन लो उन सबकी पुकार
कि नदिया धीरे चलो
धीरे चलो जरा रुक के चलो ।
सूख गए ताल और जोहड़ अभी
प्यासे मवेशी पशु पक्षी सभी
तप रहे चारों ओर पत्थर पहाड़
बरस रही दिन भर ही हवा से आग
बहुत से जीव हैं बेचौन औ बेजार
कि नदिया धीरे चलो
धीरे चलो जरा रुक कर बहो
सुन लो हम सबकी गुहार
कि नदिया धीरे चलो ।
बारिश में उफनीं हो खूब इस साल
डूब गए खेत और लोग सब बेहाल
बाढ़ बन के बह गयी तोड़ दिए गेट
खाली ही रह गया धरती का पेट
बार -बार करें सब तुमसे मनुहार
कि धीरे चलो जरा धीरे चलो
भरना है पृथ्वी का पेट
कि नदिया धीरे चलो
धीरे चलो थोड़ा हौले बढ़ो ।
बाँधे जलदूतों ने छोटे -छोटे बांध
तली में ताल पोखर गर्मी की काट
पत्थर से फूट पड़ी पानी की प्रीत
लोग सभी गाने लगे पानी के गीत
बन गए लोग पानीदार इज्जतदार
कि नदिया धीरे बहो धीरे बहो
जरा रुक रुक बहो
कि नदिया धीमे चलो ।
खेत लहलहायें उठी कोयल की कूक
बागी सभी चंबल के छोड़े बन्दूक
दुनिया को दे दो अब शाँति संदेश
सैरनी ने रच दिया देशों में देश
धीरे चलो नदी धीरे चलो
लोग तुम्हें माने महान
नदिया धीरे चलो
धीरे चलो जरा धीरे चलो ।
प्रस्तुतिः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।