आयुर्वेदिक दोहे Publish Date : 24/04/2023
∥ आयुर्वेदिक दोहे ∥
- दही मथें माखन मिले, केसर संग मिलाय,
होठों पर लेपित करें, रंग गुलाबी आय..
- बहती यदि जो नाक हो, बहुत बुरा हो हाल,
यूकेलिप्टिस तेल लें, सूंघें डाल रुमाल..
- अजवाइन को पीसिये , गाढ़ा लेप लगाय,
चर्म रोग सब दूर हो, तन कंचन बन जाय..
- अजवाइन को पीस लें , नीबू संग मिलाय,
फोड़ा-फुंसी दूर हों, सभी बला टल जाय..
- अजवाइन-गुड़ खाइए, तभी बने कुछ काम,
पित्त रोग में लाभ हो, पायेंगे आराम..
- ठण्ड लगे जब आपको, सर्दी से बेहाल,
नीबू मधु के साथ में, अदरक पियें उबाल..
- अदरक का रस लीजिए. मधु लेवें समभाग,
नियमित सेवन जब करें, सर्दी जाए भाग..
- रोटी मक्के की भली, खा लें यदि भरपूर,
बेहतर लीवर आपका, टी.बी भी हो दूर..
- गाजर रस संग आँवला, बीस औ चालिस ग्राम,
रक्तचाप हिरदय सही, पायें सब आराम..
- शहद आंवला जूस हो, मिश्री सब दस ग्राम,
बीस ग्राम घी साथ में, यौवन स्थिर काम..
- चिंतित होता क्यों भला, देख बुढ़ापा रोय,
चौलाई पालक भली, यौवन स्थिर होय..
- लाल टमाटर लीजिए, खीरा सहित सनेह,
जूस करेला साथ हो, दूर रहे मधुमेह..
- प्रातः संध्या पीजिए, खाली पेट सनेह,
जामुन-गुठली पीसिये, नहीं रहे मधुमेह..
(१४) सात पत्र लें नीम के, खाली पेट चबाय, दूर करे मधुमेह को, सब कुछ मन को भाय..
(१५) सात फूल ले लीजिए, सुन्दर सदाबहार,
दूर करे मधुमेह को, जीवन में हो प्यार..
(१६) तुलसीदल दस लीजिए, उठकर प्रातःकाल,
सेहत सुधरे आपकी, तन-मन मालामाल..
(१७) थोड़ा सा गुड़ लीजिए, दूर रहें सब रोग,
अधिक कभी मत खाइए, चाहे मोहनभोग.
(१८) अजवाइन और हींग लें, लहसुन तेल पकाय,
मालिश जोड़ों की करें, दर्द दूर हो जाय..
(१९) ऐलोवेरा-आँवला, करे खून में वृद्धि,
उदर व्याधियाँ दूर हों,जीवन में हो सिद्धि..
(२०) दस्त अगर आने लगें, चिंतित दीखे माथ,
दालचीनि का पाउडर, लें पानी के साथ..
(२१) मुँह में बदबू हो अगर, दालचीनि मुख डाल,
बने सुगन्धित मुख, महक, दूर होय तत्काल..
(२२) कंचन काया को कभी, पित्त अगर दे कष्ट,
घृतकुमारि संग आँवला, करे उसे भी नष्ट..
(२३) बीस मिली रस आँवला, पांच ग्राम मधु संग,
सुबह शाम में चाटिये, बढ़े ज्योति सब दंग..
(२४) बीस मिली रस आँवला, हल्दी हो एक ग्राम,
सर्दी कफ तकलीफ में, फ़ौरन हो आराम..
(२५) नीबू बेसन जल शहद, मिश्रित लेप लगाय,
चेहरा सुन्दर तब बने, बेहतर यही उपाय..
(२६.) मधु का सेवन जो करे, सुख पावेगा सोय,
कंठ सुरीला साथ में, वाणी मधुरिम होय.
(२७.) पीता थोड़ी छाछ जो, भोजन करके रोज,
नहीं जरूरत वैद्य की, चेहरे पर हो ओज..
(२८) ठण्ड अगर लग जाय जो नहीं बने कुछ काम, नियमित पी लें गुनगुना, पानी दे आराम..
(२९) कफ से पीड़ित हो अगर, खाँसी बहुत सताय,
अजवाइन की भाप लें, कफ तब बाहर आय..
(३०) अजवाइन लें छाछ संग, मात्रा पाँच गिराम, कीट पेट के नष्ट हों, जल्दी हो आराम..
(३१) छाछ हींग सेंधा नमक, दूर करे सब रोग,
जीरा उसमें डालकर, पियें सदा यह भोग..।
💁 गीत विरह के गाये-----।💁
गीत विरह के गाये पपिहा!
कानन-कानन कुञ्जन-कुञ्जन,
दीपित दावा गुन्जित गुन्जन,
वन-वन आग लगाये,
पपिहा गीत विरह के गाये!
🔸 🔸 🔸 🔸 🔸
पिउ कहँ पिउ कहँ पिहंकत जहँ तँह,
अगिन विरह की सुलगति हिय मंह,
पिय परदेशवाँ छाये,
पपिहा गीत विरह के गाये!
जेठ दुपहरी लहके लह-लह,
वन बिच पपिहा पिहंके रह-रह,
बेदरदी ना आये,
पपिहा गीत विरह के गाये!
🔹 🔹 🔹 🔹 🔹
रात-रात भर नींद न आये,
पपिहा पिउ-पिउ शोर मचाये,
याद पिया की लाये,
पपिहा गीत विरह के गाये!
नव घन घिर-घिर आये नभ में,
सजल सघन घन छाये नभ में,
प्यास बुझा न पाये,
पपिहा गीत विरह के गाये!
◾ ◾ ◾ ◾ ◾
पपिहा प्यासा स्वाति बिंदु का,
नहीं चाहिये कोष सिन्धु का,
स्वाति प्यास बुझाये,
पपिहा गीत विरह के गाये!
(काव्य संकलन-'एकान्त के क्षण',वर्ष-१९५४)
⛲बालसोम गौतम-बस्ती (उप्र)⛲