
मधुमक्खी पालन से आय बढ़ाएं Publish Date : 06/06/2025
मधुमक्खी पालन से आय बढ़ाएं
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर
मौन पालकों के अनुसार, कीटनाशकों का बेहताशा उपयोग बन रहा वजह, बढ़ता पारा भी झुलसा रहा है।
फूलों के रस में भरा जहर, चूसकर मर रहीं मधुमक्खियां
आज के इस बदलते परिवेश में शहद की तलाश मधुमक्खियों की जान पर भारी पड़ रही है। खेतों और बाग-बगीचों में कीटनाशकों के बेहिसाब छिड़काव से फूलों और फलों में जहर मिल रहा है और यही जहर मधुमक्खियों की मौत का कारण भी बन रहा है। इसके साथ ही बढ़ता हुआ तापमान भी मधुमक्खियों को झुलसा रहा है।
नवाबगंज के मौन पालक कमलवीर श्रीवास्तव के अनुसार, गर्मियों में वह मौन पालन के बक्से लेकर बागों और खेतों में जाते थे, जिससे कि मधुमक्खियों को भरपूर रस मिल सके। इस बीच खेतों से लौटने वाली मधुमक्खियां मरने लगीं। अन्य मौन पालकों से संपर्क किया तो उन्होंने खेतों में इस्तेमाल हो रहे कीटनाशकों के दुष्प्रभाव के बारे में बताया।
भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान परिसर स्थित कृषि विज्ञान केंद्र के विशेषज्ञ को परेशानी बताई तो उन्होंने मधुमक्खियों को चीनी आदि का रस उपलब्ध कराने का सुझाव दिया। वर्ष 2020 में जब उन्होंने यह कारोबार शुरू किया तो जिले में जगह-जगह घूमकर बक्से लगाते रहे। एक बार आम के बाग में बक्से रखे तो बक्सों में मौजूद सभी मधुमक्खियां मर गईं। इससे उन्हें काफी नुकसान हुआ। हालांकि, उस समय इसके कारण का पता नहीं चल सका था। अब तो वह जांच-परखकर ही मधुमक्खियों के बक्से लगाते हैं।
कृषि विज्ञान केंद्र के विभागाध्यक्ष डॉ. एच. आर. मीणा के अनसार, खेतों में कीटनाशक के छिड़काव के कारण, मधुमक्खियों को जान का जोखिम होता है। शहर में कंक्रीट के जाल बिछने से बड़ी तादाद में फलदार वृक्ष काट दिए गए। मधुमक्खियों को रस चूसने के लिए करीब चार एकड़ का क्षेत्रफल जरूरी है। लिहाजा, शहर में अब उनके छत्ते नजर नहीं आते। वहीं, कैंट, आईवीआरआई, मिनी बाइपास, महानगर कॉलोनी की तरफ छत्ते दिखते हैं।
मधुमक्खियों की कुछ विशेष बातें
कॉलोनी में एक रानी समेत कई नर व श्रमिक मधुमक्खियां होती हैं। तीन छोटी, दो बड़ी होती हैं। छह पैर रस जुटाने में मदद करते हैं। नृत्य के माध्यम से संवाद करती हैं। छत्ते की सफाई भी करती हैं। सिर्फ मादा मधुमक्खी ही डंक मारती हैं और इसके बाद वह मर जाती हैं। मधुमक्खी एक प्राकृतिक जीपीएस सिस्टम होता है। भटकने पर भी छत्ते तक पहुंच जाती हैं।
खतरे से निपटने की योजना बनाती हैं। कॉलोनी में बैठक होती है। रानी मधुमक्खी अंडे न दे तो उसे श्रमिक मक्खियां उसे मार देती हैं।
उत्पादन बढ़ाने की चाहत में दांव पर मधुमक्खियों का जीवन
एक प्रगतिशील किसान अनिल साहनी के अनुसार, गेहूं, धान की फसल के स्थान पर मधुमक्खियां फूलदार फसल जैसे सरसों, सूरजमुखी, सब्जियों के समेत पुष्प नर्सरियों की ओर अधिक आकर्षित होती हैं। आम, अमरूद, लीची, आंवला के बागों से रस चूसती हैं। खेत से ज्यादा घातक बाग हैं, क्योंकि उत्पादन बढ़ाने के लिए उनमें कीटनाशकों का बेहिसाब प्रयोग किया जाता है। मधुमक्खियों समेत अन्य लाभदायक कीटों के मरने से हमारा पारिस्थितिकी तंत्र प्रभावित होता है।
लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।