मानसिक विकरों को दूर करने में होम्योपैथी Publish Date : 30/04/2023
मानसिक विकरों को दूर करने में होम्योपैथी
डॉ0 आर. एस. सेंगर एवं मुकेश शर्मा
कहते हैं कि इस संसार में यदि सागर से भी गहरा कुछ है तो वह है मानव मन। मानव मन की गहराई को नापा नही जा सकता। जिस प्रकार से समुद्र में लहरें आती जाती रहती हैं ठाीक उसी प्रकार से हमारे मन में भी विचारों का आना जाना लगा रहता है। हम सभी के मनों में विभिन्न प्रकार के विचार आते जाते रहते है।
जब यह विचार हमारे मन में बार-बार आते हैं तो हमारे मन में अनेक प्रकार के विकारों को भी जन्म देते हैं, जिन्हें आमतौर पर मनोविकार कह कर सम्बोधित किया जाता है। ऐसे मनोविकारों में गुस्से का आना, ईर्ष्या करना, अकेले में रहना, भय लगना और शक करना आदि को शामिल किया जाता है।
जिस समय यह मनोविकार बहुत अधिक वृद्वि कर लेते हैं हमें मानसिक रोगों के साथ साथ विभिन्न प्रकार के शारीरिक रोग भी होने लगते हैं। इसके सम्बन्ध में होम्योपैथी एक ऐसी चिकित्सा पद्वति है जिसके अन्तर्गत तमाम मेडिसिन्स का परीक्षण किसी स्वास्थ्य मनुष्य के ऊपर किया जाता है, जिससे शारीरिक लक्षणों के साथ ही मानसिक लक्षण भी प्राप्त होते हैं।
मनोविकार कितने प्रकार के होते हैं?
वर्तमान समय में अधिक व्यस्त जीवन शैली के चलते मनोविकार भी बहुत तीव्र गति के साथ बढ़ रहे हैं, जिसके कारण प्रभावित व्यक्ति को बहुत से मानसिक एव शारीरिक रोग हो जाने का खतरा कहीं अधिक बढ़ जाता है।
अगर इन मनोविकारों कह पहिचान समय के रहते ही कर ली जाए और इन्हे दूर करने का प्रयास किया जाए तो हम प्रभावित व्यक्ति को अनेक प्रकार के मानसिक एवं शारीरिक रोगों से बचा सकते हैं। होम्योपैथी पद्वति के माध्यम से हम इन विकारों को आसानी के साथ सुरक्षित तरीके से दूर कर सकते हैं। मनोविकार विभिन्न प्रकार के होते है जैसे-
1. गुस्सा आना
कुछ लोगों को बहुत अधिक गुस्सा आता है। यहाँ तक कि उन्हें छोटी छोटी बातों पर भी इतना अधिक गुस्सा आ जाता है कि वे गुस्से के कारण मारपीट, चीखना, दूसरों को अपशब्द कहना और सामाना को फेंकना शुरू कर देते हैं। धीरे धीरे यह सब उनके स्वभाव में शामिल हो जाता है और उनका स्वभाव ही चिड़चिड़ा हो जाता है।
कई बार उन्हें यह विचार भी आता है कि लोग उसके बारे में क्या कहेंगे और इसी बात उन्हें बहुत क्रोध आ जाता है, तो कई बार अपने गुस्से और अपमान आदि भावनाओं को दबा कर रखता हैं, जिसके कारण प्रभावित व्यक्ति में विभिन्न प्रकार के मन एवं शरीर से समबन्धित रोग प्रकट होने लगते हैं। इसके लिए होम्योपैथी की कुछ चयनित दवाओं के बारे में नीचे दिया जा रहा है जो इस प्रकार हैं-
केमोमिला, नक्स.वोमिका, स्टेफीसेंग्रिया, लायकोपोडियम
2. डर लगना
कुछ लोगों को हमेशा डर लगता रहता है जैसे कि किसी एग्जाम का डर, अंधेरे से डर, अकलेपन से डर, ऊचाई से डर, रोड पार करने में डर, भीड़ से डर, मरने से डर तथा अकेले रहने से डर आदि। तो इस प्रकार के डर को होम्योपैथी की इन मेडिसिन के माध्यम से दूर किया जा सकता है-
आर्जेंटिकम-नाइट्रीकम, एकोनाईटिकम, स्ट्रॉमोनियम तथा एनाकर्डियम
3. रोना अथवा रूआँसी का आना
आमतौर कुछ लोग जिनमें विशेषरूप से महिलाएं छोटी छोटी बातों पर रोने लगती हैं। इन लोगों को किसी ने कुछ कहा नही कि उनके आंसू बहने लगते हैं। ऐसे लोगों को बहुत ही छोटी छोटी बातों पर रोना आता है, जो एक प्रकार का मनाविकार ही होता है। इस समस्या के समाधान के लिए कुछ होम्योपैथिक मेडिसिन्स इस प्रकार हैं-
नेट्रम म्यूर, पल्सेटिला तथा सीपिया आदि।
4. आत्महत्या करने के विचार का आना
बहुत से लोगों में कई बार बहुत छोटी छोटी बातों पर आत्महत्या करने के विचार आने लगते हैं। ऐसे लोग थोड़ी सी पेरशानी के समाने आने पर मरने का विचार बनाने लगते हैं। ऐसे में इस प्रकार के मनोविकारों से निजात दिलाने के लिए हाम्योपैथी की कुछ चयनित दवाईयाँ इस प्रकार से हैं-
औरम-मेट तथा आर्सेनिक एल्बम
5. शक करना
कुछ लोगों को बात बात पर शक करने की आदत होती है। वे छोटी छोटी बातों में शक करते हैं। ऐसे लोग प्रत्येक आदमी एवं घटनाओं को शक भर नजरों से ही देखते हैं, यह भी एक प्रकार का मनोविकार ही होता है। इस प्रकार की स्थिति से उबरने के लिए होम्योपैथिक मेडिसिन्स इस प्रकार हैं-
हायोसियामस तथा लैकेसिस आदि।
6. झूठ बोलना
बहुत से व्यक्तियों को को प्रत्येक बात में झूठ बोलने की आदत होती है, जो कि अधिकतर लोगों में देखी जा सकती है। इस समस्या को दूर करने के लिए निम्नलिखित होम्योपैथिक दवाईयों का उपयोग किया जा सकता है-
आर्जेण्टम-नाईट्रकम एवं कॉस्टिकम
7. ईर्ष्या करना
वर्तमान समय में जहाँ प्रत्येक स्थान/कार्य में प्रतिस्पर्धा बहुत अधिक बढ़ रही है, वहीं लोगों में एक दूसरे के प्रति ईर्ष्या की भावना भी बढ़ती जा रही है। जब ऐसे विचार मन में बार बार आने लगते हैं तो सम्बन्धित व्यक्ति के तन तथा मन दोनों में ही विभिन्न प्रकार के रोग उत्पन्न होने लगते हैं। अतः इस ईर्ष्या नामक दुर्गुण को दूर करने में भी होम्योपैथी काफी मददगार सिद्व होती है और उसके लिए इन होम्योपैथी की दवाईयों का सेवन किया जा सकता है-
हायोसियामस, लैकेसिस तथा ऐपिस-मेलिफिका
एक पुरानी कहावत है कि यदि आपका मन स्वस्थ्य है तो तन भी स्वस्थ्य ही रहेगा, अतः ऐसे मनोविकारों को अपने ऊपर हावी न होने दें और स्वस्थ्य रहें।
विशेषः मुकेश शर्मा होम्योपैथी के एक अच्छे जानकार हैं जो पिछले लगभग 25 वर्षों से इस क्षेत्र में कार्य कर रहे हे। होम्योपैथी के उपचार के दौरान रोग के कारणों को दूर कर रोगी को ठीक किया जाता है। इसलिए होम्योपैथी में प्रत्येक रोगी की दवा, दवा की पोटेंसी तथा उसकी डोज आदि का निर्धारण रोगी की शारीरिक और उसकी मानसिक अवस्था के अनुसार अलग-अलग होती है। अतः बिना किसी होम्योपैथी के एक्सपर्ट की सलाह के बिना किसी भी दवा सेवन कदापि न करें।
इसमें ऐसा भी हो सकता है कि आपकी दवा कोई और भी हो सकती है और कोई दवा आपको फायदा देने के स्थान पर नुकसान भी कर सकती है। अतः बिना चिकित्सीय परामर्श के किसी भी दवा का सेवन न करें। इसके लिए आप फोन न0- 9897702775 पर भी सम्पर्क कर सकते हैं।
डिसक्लेमरः प्रस्तुत लेख में व्यक्त किए गए विचार लेखकगण के अपने हैं।