होम्योपैथी के माध्यम से समग्र स्वास्थ्य Publish Date : 19/09/2023
होम्योपैथी के माध्यम से समग्र स्वास्थ्य
डा0 आर. एस. सेंगर एवं मुकेश शर्मा
मानव की सभी अवस्थाओं अर्थात बचपन, युवावस्था, वृद्वावस्था तथा विशेष रूप से महिलाओं आदि से सम्बन्धित अमुमन समस्त शारीरिक एवं मानसिक समस्याओं का समाधान होम्योपैथी चिकित्सा के माध्यम से समाधान करते हुए सम्पूर्ण स्वास्थ्य की रक्षा कर पाना सम्भव है।
वर्तमान समय में हमारी जीवनशैली में जो तमाम असंगतियां शामिल हैं, जो कि हमारे स्वास्थ्य के प्रति जोखिमों को बढ़ा रही हैं। जैसे कि हमारे बैठने और खान-पान का तरीका, हमारे सोने का समय, जो कि समुचित एवं सही नही है आदि से न केवल हमारे शारीरिक स्वास्थ्य अपितु हमारे मानसिक स्वस्थ्य में भी तमाम गड़बड़ियां पैदा हो रही हैं।
ऐसे में होम्योपैथी के माध्यम से हम अपने तन-मन के स्वास्थ्य का समग्र विकास कर सकते हैं। सस्ती और प्रभावी होम्योपैथी के उपचार से हम वर्तमान में विकराल रूप धारण करती जा रही मधुमेह, रक्तचाप थायराईड इत्यादि समस्याओं के साथ ही अनेक संक्रामक रोगों पर नियन्त्रण कर उनका उपचार कर सकते हैं।
चूंकि होम्योपैथी के माध्यम से हमारे शरीर के किसी हिस्से विशेष का उपचार किये जाने की अपेक्षा हमारे सम्पूर्ण शरीर का उपचार किया जाता है और इसी कारण से होम्योपैथी उपचार के दौरान हमारे शरीर के किसी अन्य हिस्से पर होम्योपैथी दवाओं का कोई दुष्प्रभाव नही पड़ता है।
होम्योपैथी चिकित्सा के माध्यम से निम्न समस्याओं के साथ अन्य सभी प्रकार की समस्याओं में आराम मिलता है-
1. बच्चों को होने वाली लगभग प्रत्येक समस्या, जिनमें जन्मजात समस्याएं भी शामिल होती हैं का उपचार बेहतर ढंग से किया जाता है।
2. महिलाओं से जुड़ी समस्त प्रकार की समस्याओं का बेहतर समाधान।
3. अस्थमा/दमा, बवासीर, हार्निया, मोतियाबिन्द, सर्वाईकल, सायटिका, सूजन, मोटापा, मानसिक समस्याएं, व्यवहार में कमी, नींद का नही आना, सीढ़ियों का नही चढ़ पाना तथा लीवर सम्बन्धित एवं गैस, एसिडिटी आदि के साथ ही अन्य सभी प्रकार की समस्याओं का बेहतर प्रबन्धन किया जाता है।
संक्रमण का उपचार बेहतर ढंग से किया जाता है- विभिन्न के संक्रमणों का उपचार होम्योपैथी में बेहतर ढंग से किया जाता है और यह उनके प्रबन्धन एवं निदान में बहुत अधिक असरकारक सिद् होती है।
होम्योपैथिक उपचार के दौरान निम्न तथ्यों का ध्यान विशेष रूप से रखें-
1. होम्योपैथी की किसी भी दवा का सेवन अपने मन से न करें।
2. अपनी किसी भी व्याधि के अपचार के लिए किसी विशेषज्ञ चिकित्सक से परमार्श अवश्य करें।
3. होम्योपैथी की दवाओं का सेवन करते समय चिकित्सक के दिये गये निर्देशों का शत-प्रतिशत पालन करने का प्रयास करें।
4. चिकित्सक के द्वारा दिए गए खान-पान सम्बन्धी निर्देशों का पालन करें।
5. होम्योपैथी की दवाओं का सेवन करते समय स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें तथा किसी भी होम्योपैथी दवाई को अपने हाथ से स्पर्श न करें।
किसी रोग का ही नही, अपितु समस्याओं का उपचारः होम्योपैथी के उपचार के दौरान प्रभावित व्यक्ति की समस्याओं का समाधान और उसके लक्षणों को ठीक करके किया जाता है। होम्योपैथी चिकित्सा पद्ति इस विचार के अन्तर्गत कार्य करती है कि यदि एक ही विकार से पांच लोग गस्त हैं तो उन सबकी दवाएं भी उनके व्यक्तिगत लक्षणों के आधार पर अलग-अलग ही होगी। हमारी जीवनशैली से सम्बन्धित समस्याओं के निदान के प्रति होम्योपैथी दवाओं का बहुत अच्छा प्रभाव होता है।
होम्योपैथिक दवाओं का इस्तेमाल कर बढ़ाएं रोग प्रतिरोधक क्षमता
होम्योपैथिक दवाओं का सेवन करके भी लोग अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा सकते हैं।
दोस्तों, जैसा कि आप सभी लोग जानते हैं कि कोरोना एक बार फिर से मुखर हो रहा हैं ऐसे में हम सभी के लिए सवाधानियों को अपनाना बहुत ही आवश्यक हो गया है। जिस प्रकार से हमने पहले एक अनुशासित तरीके से कोरोना को सफलतापूर्वक मात दी थी, ठीक उसी प्रकार अब समय वही सावधानियां बरतने वाला आ गया है।
कोरोना की यह वापसी हमारे अपनों के द्वारा बरती गई लापरवाहियों का ही नतीजा है। यदि हम मास्क पहनना, सोशल डिस्टेन्स और स्वच्छता का पूर्ण ध्यान रखते हुए जीवन यापन कर रहे होते तो कोरोना का वापसी शायद नही होती, परन्तु हम ऐसा करने में असफल रहे, तो उसका परिणाम अब हमारे सामने है।
दोस्तों इसके अलावा हमें अपने शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को भी मजबूती प्रदान करने के प्रयास आवश्यक रूप से करते रहना चाहिए, जिससे की रोगों का आक्रमण होने पर हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली उनसे लड़कर उन्हें समाप्त कर सकें।
दोस्तो, हम अपने शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में वद्वि करने के लिए होम्योपैथिक चिकित्सा पद्ति का सहारा ले सकते हैं। यह पद्ति पुरी तरह से प्राकृतिक और बेहद प्रभावी है।
इन परिस्थितियों में हम होम्योपैथिक की कुछ चयनित दवाओं का वर्णन कर रहे हैं जिससे कि आप यदि किसी होम्योपैथिक चिकित्सक के पास इस बाात जाते हैं तो आपको इसके बारे में थोड़ा ज्ञान रहे, जिससे आपको आसानी होगी।
हाम्योपैथिक दवाओं का सेवन करने से भी लोग अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता में पर्याप्त वृद्वि कर सकते है। रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ानें के लिए होम्योपैथिक दवा आर्सेनिक एल्बम का एक महीने में तीन दिन लगातार सेवन तथा कम्फेयर नामक दवा के सेवन महीने में केवल एक दिन करने से रोग-प्रतिरोधक क्षमता में वृद्वि होती है। जीनम एपिडेमिक्स नामक दवा भी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में अच्छा काम करती है। इस होम्योपैथिक दवा का उपयोग स्वाइन फ्लू का उपचार करने में भी किया जाता हैं। विशेषज्ञ बताते हैं कि लोगों की लापरवाही के चलते कोरोना संक्रमण एक बार फिर तेजी के साथ पनप रहा है जिसको लेकर केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकारें भी चिन्तित नजर आ रही हैं। कोरोना की दोबारा से फैलनें का कारण लोगों का बिना मास्क लगाए घूमना, सैनिटाईजर का प्रयोग न करना, बाजार एवं भीड़-भाड़ वाले इलाकों में शारीररिक दूरी का पालन नही करना आदि है। वैसे तो कोरोना पर काबू पाने के लिए सरकार के द्वारा विभिन्न सरकारी अस्पतालों में मुफ्त टीके लगवा रही है, परन्तु लोगों को इन टीकों के साथ ही अन्य सावधानियाँ भी बरतने की आवश्यकता है।
कोरोना ऐसे लोगों को अधिक प्रभावित करता है, जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। टीबी, सांस, कैंसर, अस्थमा तथा डायबिटीज आदि रोगों से प्रभावित लोग कोरोना की चपेट में जल्द आते हैं। विशेषज्ञों ने बताया कि रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए होम्योपैथिक दवाओं का अपना एक विशेष महत्व है।
रोग.प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में होम्योपैथिक दवाओं का भी विशेष महत्व है। कई लोग चिकित्सकों की सलाह पर इन दवाओं को इस्तेमाल भी कर रहे हैं। कहा कि आर्सेनिकम अल्बम और कंपेयर दवा विशेष रूप से कारगर है। आयुष मंत्रालय की गाइडलाइन के अनुसार आर्सेनिकम अल्बम दवा महीने में तीन बार सुबह, शाम, दोपहर लेनी आवश्यक है जबकि, कंपेयर दवा महीने में एक बार ही सेवन करनी है। इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। बताया कि जीनस एपि डेमिकस दवा भी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में कारगर सिद्ध हुई है और इसकी नगर में 70 हजार डोज बिक चुकी हैं।
आपके शरीर के भीतर प्रतिरक्षा प्रणाली क्या है जो आपको दुनिया के बाहर के विभिन्न रोगणुओं के सभी हमलों से बचाती है। हालांकि, प्रतिरक्षा प्रणाली ही समस्याओं का सामना कर सकती है और केवल इतना शरीर का बचाव कर सकती है। इस प्रकार यह कुछ होम्योपैथिक दवाइयां जोड़ने और प्रतिरक्षा प्रणाली को संभव घुसपैठियों से बेहतर लड़ने में मदद करना है, उनमें से कुछ पर एक नजर डालें:
1. ग्रीस्मियायम: यह दवा बेल ग्रेसेमीम सेप्वार्विर्न्स से निकाली जाती है और जब आपको ठंड जैसे लक्षणों, थकावट, शरीर में दर्द और बुखार जैसे लक्षणों का फ्लू होता है, तो यह एक बहुत ही प्रभावी उपाय के रूप में जाना जाता है।
2. आर्सेनिकम एल्बम: भोजन विषाक्तता के साथ-साथ अन्य पाचन विकारों के लिए एक बहुत अच्छी तरह से ज्ञात उपाय, आर्सेनिकम एल्बम विदेशी सूक्ष्मजीवों की प्रतिक्रिया के कारण पेट संबंधी बीमारियों की एक विस्तृत विविधता के उपचार में बहुत प्रभावी हो सकता है।
3. ऑस्सिलोोकसिनम: इस दवा में बत्तख, यकृत और दिल की मात्रा होती है और इसे एक अच्छा प्रतिरक्षा बूस्टर कहा जाता है। सर्दी और फ्लू जैसे लक्षणों में प्रभावी, ओस्सिलोोकोस्किनम बुखार को फ्लू और अन्य लक्षणों के साथ प्रभावी रूप से इलाज कर सकता है। हालांकि इसके लिए अभिनय शुरू करने में कुछ समय लग सकता है। इस प्रकार एक कोर्स शुरू करने से पहले अपने होम्योपैथिक चिकित्सक से परामर्श करना सर्वोत्तम है।
4. एलीयम सेपा: यदि आप टीरी आंखों और नाक की भीड़ के साथ फ्लू वाले लक्षण हैं, तो एलियम सेपा एक बहुत अच्छा उपाय है। लक्षणों को कम करने से पहले आपको कुछ खुराक लेना पड़ता है एक खुराक में तीन से पांच छर्रों होते हैं और लक्षणों को कम करने के लिए आपको कुछ दिनों के लिए रोजाना दो से तीन खुराक लेना पड़ सकता है।
5. संयोजन दवाएं: कई चिकित्सा संयोजन हैं, जो आपकी प्रतिरक्षा को भी बढ़ावा दे सकते हैं। अपने विशिष्ट स्थिति के लिए सबसे अच्छा संयोजन प्राप्त करने के लिए अपने होम्योपैथिक चिकित्सक से परामर्श करें।
इनमें से कुछ संयोजन हैं:
- कैलेकेरा कार्बोनिका 30:1 खुराक, फास्फोरस 1 मात्रा, लाइकोपॉडियम 30-1 खुराक, यह संयोजन संवेदनशील सर्दी के उपचार में बहुत प्रभावी है। यहां बुखार मौजूद हो सकता है या नहीं, लेकिन अत्यधिक नाक अवरोधों का कारण बन सकता है
ऽ लाइकोपॉडियम, साबिल्ला: यह संयोजन बहुत प्रभावी है जब ठंड और नाक अवरुद्ध पराग संवेदनशीलता के कारण होते हैं और परागण मौसम के दौरान होते हैं। यह केवल एक नियमित खुराक में इस्तेमाल किया जा सकता है न केवल लक्षणों को रोकना है बल्कि एलर्जी को पहले स्थान पर होने से रोकना भी है
लेखकः मुकेश शर्मा, होम्योपैथी के एक अच्छे जानकार हैं जो पिछले 25 वर्षों से इस क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। होम्योपैथी में किसी व्यक्ति की शारीरिक, मानसिक एवं उसके अन्य क्रियाकलापों के आधार पर किसी दवा का चयन किया जाता है। अतः दो व्यक्तियों में भले ही दिक्कतें एक जैसी हो तो भी उनकी दवाएं अलग-अलग हो सकती हैं और उनकी डोज एवं पोटेसी भी अलग अलग हो सकती हैं।
अतः आपको सलाह दी जाती है कि आप स्वयं अपने आप ही किसी भी दवा सेवन न करें, अपितु किसी योग्य होम्योपैथिक चिकित्सक से सलाह कर दवाईयों का सेवन उन्हीं के बताए अनुसार करें।
डिस्क्लेमरः उपरोक्त व्यक्त विचार लेखक के स्वयं के हैं।