कम उम्र में हार्ट अटैक से बचाव के लिए होम्योपैथिक दवाईयाँ Publish Date : 21/12/2023
कम उम्र में हार्ट अटैक से बचाव के लिए होम्योपैथिक दवाईयाँ
डॉ0 राजीव सिंह एवं मुकेश शर्मा
1. पिछले कुछ वर्षों से एजिंग को मृत्यु से संबंधित कई बीमारियों के जोखिम कारकों में से एक माना जाता रहा है।
2. युवा पीढ़ी में दिल के दौरे से पीड़ित होने का पहला और सबसे महत्वपूर्ण कारण गतिहीन जीवनशैली और शारीरिक गतिविधि और फिजिकल वर्कआउट में कमी होती है।
3. आहार विकल्प और प्रसंस्कृत भोजन के कारण होने वाले अन्य कारण टाइप 2 मधुमेह प्रमुख हैं।
4. इन दिनों वजन का बढ़ना और मोटापा भी कम उम्र में दिल के दौरे का कारण बनता जा रहा है।
5. वर्तमान के इस टेक्नो सेवी युग में लोगों की दिनचर्या और शहरी खान-पान में काफी बदलाव आ रहा है, जिससे स्क्रीन पर बिताए जाने वाले समय में लगातार बढ़ोतरी होती जा रही है।
6. लगभग नब्बे प्रतिशत आबादी भावनात्मक तनाव और चिंता पैदा करने वाली महामारी के कारण नौकरी की सुरक्षा आदि की समस्याओं का सामना कर रही है।
दिल का दौरा पड़ने के प्रमुख लक्षणः-
- प्रभावित व्यक्ति की छाती के बायीं और मौजूद दर्द कंधे, जबड़े और बांहों दर्द जो गर्दन के पिछले हिस्से तक फैलता है।
- प्रभावित व्यक्ति को चक्कर आना और थोड़े से परिश्रम के बाद थकान का अनुभव करना।
- प्रभावित व्यक्ति को लगातार चक्कर आते हैं।
- प्रभावित व्यक्ति को अधिक मात्रा में पसीना आता है।
- प्रभावित व्यक्ति के पेट में अक्सर जलन रहती है।
- प्रभावित व्यक्ति अपच का शिकार रहता है।
- प्रभावित व्यक्ति अत्याधिक चिंता करता है।
- प्रभावित व्यक्ति के दिल की धड़कनें अनियमित रहती हैं।
- प्रभावित व्यक्ति को सांस लेने में कठिनाई होती है।
- प्रभावित व्यक्ति की त्वचा ठंडी और चिपचिपी रहती है।
- प्रभावित व्यक्ति को आसन्न विनाश की अनुभूति रहती है।
- प्रभावित व्यक्ति के हृदय गति बढ़ी हुई रहती हैं।
- प्रभावित व्यक्ति को मितली या उल्टी आदि की समस्या भी हो सकती है।
दिल से सम्बन्धित ऐसे खतरों को रोकने के लिए निम्नलिखित तरीके अपनाए जाने चाहिए:-
- मरीज को अपनी शारीरिक गतिविधियों अर्थात फिजिकल एक्टिविटीज में वृद्वि करनी चाहिए।
- प्रभावित व्यक्ति स्वस्थ आहार की आदतों को अपनाना चाहिए।
- दिल के मरजों को फास्ट फूड और प्रोसेस्ड पैकेज तैयार भोजन से बचना चाहिए।
- प्रभावित व्यक्ति को धूम्रपान करने की आदतों पर भी प्रतिबंध लगाना चाहिए।
- ऐसे लोगों को अपने वजन पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
- प्रभावित व्यक्ति की बुनियादी रक्त प्रोफाइल की नियमित एवं मासिक चिकित्सा जांच आवश्यक रूप से की जानी चाहिए।
- महीने में कम से कम एक बार परिवार के साथ बाहर घूमने के लिए जाना और अपनी दैनिक दिनचर्या में उचित बदलाव करना चाहिए।
- जिन लोगो का हृदय रोग का वंशानुगत पारिवारिक इतिहास हो तो उन्हें अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता होती है।
होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति में हृदय संबंधी समस्याओं के इलाज में उपयोगी पाई जाने वाली होम्योपैथिक दवाएं इस प्रकार से हैं-
1. अर्निका:-
होम्योपैथी का यह उपाय तब सबसे प्रभावी होता है जब मरीज की छाती के बाईं ओर से बांह की ओर दर्द हो रहा हो। विभिन्न होम्योपैथिक चिकित्सक अक्सर कहते हैं कि दर्द के अनुभव के कारण मानसिक और शारीरिक सदमे के लिए अर्निका एक श्रेष्ठ उपचार होना चाहिए। जो कि अत्यन्त सुखदायक प्रभाव देने में मदद करता है और गतिविधि को शांत करता है। यह साबित हो चुका है कि अर्निका आंतरिक रक्तस्राव को कम करने में मदद करता है और व्यक्ति अको आंतरिक चोट लगने से बचाता है।
2. आर्सेनिकम:-
होम्योपैथी की यह दवाई सीने की ऐसी जलन होने की स्थिति में दी जाती है जो रात के समय अधिक बढ़ जाती है। रोगी को अक्सर पानी पीने की इच्छा होती है और पीठ के बल लेटने पर मरीज अधिक घुटन महसूस होती है। सीने में गंभीर दर्द भी मरीज को असहज कर देता है। आर्सेनिक आमतौर पर बेचौनी और चिंता की स्थिति में बेहतर मदद करने वाली होम्योपैथिक दवाई है।
3. एकोनाइटिकम:-
होम्योपैथी की यह दवाई तीव्र हृदय गति के साथ अचानक सीने में दर्द का इलाज अक्सर इस उपयोग की जाती है। अचानक सीने में दर्द होने पर एकोनाइट देने से तुरंत राहत मिल जाती है। कई चिकित्सकों का कहना है कि यदि किसी मरीज को एकोनाइट को अर्निका के साथ मिलाकर दिया जाए तो मरीज के हृदय गति कम हो जाती है और उसे मानसिक चिंता से भी राहत प्राप्त होती है।
4. नक्स वोमिका:-
होम्योपैथी की यह दवाई को अक्सर सीने में दर्द के समय बेचौनी के साथ-साथ थकान के लक्षणों में उपयोग किया जाता है। नक्स के मरीज में यह लक्षण अक्सर भोजन करने के बाद या भावनात्मक तनाव के कारण बढ़ जाते हैं। अन्य उत्तेजक पदार्थ जैसे शराब, कॉफी और दवाएं भी सीने में दर्द को बढ़ाने का कार्य करती हैं।
5. क्रैटेगस ऑक्सीकैंथा:-
होम्योपैथी की यह दवाई हृदय की मांसपेशियों पर विशिष्ट कार्य करती है और होम्योपैथिक में इस दवा को हृदय का टॉनिक भी माना जाता है। मायोकार्डिटिस, हृदय की अनियमितता, धमनी-काठिन्य और कार्डियक ड्रॉप्सी के मामलों में भी यह उत्कृष्ट मदद करती है। अगर मरीज़ अपने हृदय और बाएं हंसली के नीचे दर्द बताता है तो इस दवा को इसके उपचार के लिए दिया जा सकता है।
6. ऑरम मेटालिकम:-
ऑरम मैट के रोगी को ऐसा महसूस होता है कि जैसे उसकी दो या तीन सेकंड के लिए दिल की धड़कन बंद हो गयी हो। मरीज को छाती में दर्द होता है जो आमतौर पर रात में बढ़ जाता है। यह मायोकार्डियल कमजोरी और उच्च रक्तचाप का प्रभावी उपचार भी करती है।
7. कैक्टस ग्रैंडिफ्लोरस:-
होम्योपैथी की यह दवाई दवा उस समय मददगार साबित होती है, जब मरीज को हिंसक और तीव्र क्रिया के साथ माइट्रल अपर्याप्तता के साथ एंडोकार्टिटिस भी होता है। इसके साथ ही इसके मरीज में धमनी-काठिन्य के कारण धमनियां और हृदय कमजोर होते हैं। यह एनजाइना पेक्टोरिस में भी बहुत अच्छा काम करती है।
8. डिजिटलिस पुरपुरिया:-
डिजिटलिस पुरपुरिय के मरीज की नाड़ी कमजोर या अनियमित, रुक रुक कर, असामान्य रूप से धीमी या तेज होती है, तो इस प्रकार के मरीज़ को इस दवाई से काफी आराम मिलता है। मरीज़ को ऐसा महसूस होता है जैसे उसके हिलने डुलने पर दिल की धड़कन बंद हो जाएगी और कई बार वह अपनी सांसो को रोके रखने के बारे में भी सोचता है।
क्या हो होम्योपैथिक दवाओं की डोज?
होम्योपैथिक दवाओं की डोज रोगी के रोग की स्थिति पर निर्भर करती है। यदि व्यक्ति का रोग गंभीर स्थिति में है तो उसके लिए अलग प्रकार की होम्योपैथिक दवा की खुराक दी जाती है। होम्योपैथिक दवा की खुराक हर मरीज़ के लिए अलग-अलग होती है। इसलिए किसी भी होम्योपैथिक दवा को शुरू करने से पहले रोगी को किसी योग्य होम्योपैथिक चिकित्सक से परामर्श लेने की आवश्यकता होती है।
होम्योपैथिक दवाईयों को हार्ट अटैक के खतरे को कंट्रोल करने में कितना समय लग सकता है और यह कैसे कम करती है?
होम्योपैथी दवा की एक ऐसी प्रणाली है जो रोगी के लक्षणों के अनुसार काम करती है। रोगी के विशिष्ट लक्षणों के आधार पर दवाओं का चयन या निर्धारण किया जाता है। ये दवाएं रोग के प्रति रोगी की रोग प्रतिरोधक क्षमता/जीवन शक्ति को भी बढ़ाती हैं। होम्योपैथी रोगी को विशेष मानती है और रोग का उसके मूल कारण का उपचार करती है। तो, होम्योपैथी दवाएं न केवल दिल के दौरे के उपचार में मदद करती हैं बल्कि यह उच्च रक्तचाप, उच्च कोलेस्ट्रॉल और मधुमेह जैसे जोखिम वाले कारकों के इलाज में भी मददगार सिद्व होती हैं।
लेखक: मुकेश शर्मा होम्योपैथी के एक अच्छे जानकार हैं जो पिछले लगभग 25 वर्षों से इस क्षेत्र में कार्य कर रहे हे। होम्योपैथी के उपचार के दौरान रोग के कारणों को दूर कर रोगी को ठीक किया जाता है। इसलिए होम्योपैथी में प्रत्येक रोगी की दवाए दवा की पोटेंसी तथा उसकी डोज आदि का निर्धारण रोगी की शारीरिक और उसकी मानसिक अवस्था के अनुसार अलग.अलग होती है। अतः बिना किसी होम्योपैथी के एक्सपर्ट की सलाह के बिना किसी भी दवा सेवन कदापि न करें।
डिसक्लेमरः प्रस्तुत लेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के अपने हैं।