होम्योपैथी के द्वारा एचआईवी/एड्स का उपचार      Publish Date : 02/12/2023

                          होम्योपैथी के द्वारा एचआईवी/एड्स का उपचार

                                                                                                                                     डॉ0 राजीव सिंह एवं मुकेश शर्मा

                                                                  

  अक्वायर्ड इम्यून डेफिशियेंसी सिंड्रोम (एड्स) मानव इम्यूनोडेफिशियेंसी वायरस (एचआईवी) नामक एक वायरस के कारण होता है। यह याद रखना चाहिए कि यह आवश्यक नहीं है कि एचआईवी से ग्रस्त होने हर वाला व्यक्ति एड्स से पीड़ित है या अनिवार्य रूप से इसके परिणामस्वरूप है। यह बीमारी प्रभावित व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली को नुकसान पहुंचाती है और उन्हें बीमारियों और संक्रमणों के प्रति अधिक संवेदनशील बना देती है। चूंकि सिंड्रोम प्रगति करता है, अवसरवादी संक्रमण रोगी पर हमला करते है और अंततः यह उनकी मृत्यु का कारण बन जाते है।

एड्स के कारण क्या हैं?

एचआईवी वायरस व्यक्तिगत रूप से संपर्क में आने से फैलता है जैसेः

1.   किसी संक्रमित व्यक्ति के यौन संपर्क में आने के माध्यम से।

2.   संक्रमित एक ही सुई या संक्रमित रक्त के माध्यम से।

3.   यह बीमारी एक संक्रमित मां से नवजात शिशु तक पहुँच सकती है।

एड्स के लक्षण क्या हैं?

                                                                             

1.   एचआईवी से संक्रमित व्यक्ति को उच्च बुखार हो सकता है या वह लगातार दस्त से पीड़ित हो सकता है, जो सप्ताहों तक चल सकता है।

2.   एचआईवी से संक्रमित व्यक्ति की त्वचा पर लाल चकत्ते दिखाई दे सकते हैं।

3.   एचआईवी से संक्रमित व्यक्ति हर समय अपने आपको कमजोर और थका हुआ महसूस कर सकता हैं।

4.   एचआईवी से संक्रमित व्यक्ति को विशेष रूप से रात में अत्याधिक पसीना आ सकता है।

5.   एचआईवी से संक्रमित व्यक्ति की मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द हो सकता है।

6.   एचआईवी से संक्रमित व्यक्ति की ग्रंथियां, सूजन से हफ्तों तक ठीक नहीं होती हैं।

एड्स से संबंधित जटिलताएं क्या-क्या होती हैं?

संक्रमण के अंतिम चरण के दौरान, जीवन को खतरनाक बीमारियों का एक बड़ा खतरा है। जिसमें निम्न स्थितियाँ शामिल हैं-

1.   तंत्रिका तंत्र, परिधीय न्यूरोपैथी जैसे तंत्रिका तंत्र आदि में संक्रमण है।

2.   एसोफैगस के निचले सिरे में सूजन व्याप्त होती है।

3.   सर्वाइकल कैंसर, गर्दन कैंसर और लिम्फोमा जैसे कैंसर विकसित हो सकते हैं।

4.   टीबी के जैसे संक्रमणों का खतरा अधिक रहता है।

क्या किसी एड्स के रोगी का होम्योपैथिक उपचार सम्भव है-

                                                  

जी हाँ, होम्योपैथिक उपचार ऐसे मरीजों के लिए बहुत मददगार हो सकता है। होम्योपैथी उपचार न केवल शारीरिक स्वास्थ्य बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के स्तर को भी बढ़ा सकता है। यह उपचार रोगी की प्रतिरक्षा शक्ति को बढ़ाकर अवसरवादी संक्रमणों का मुकाबला बहुत ही प्रभावी ढंग से कर सकता है। अफ्रीका में किए गए होम्योपैथिक उपचार से इन दवाओं के साथ अद्भुत परिणाम प्राप्त किए जा चुके हैं चूँकि यह एड्स के सन्दर्भ में एक महामारी वाला क्षेत्र है।

होम्योपैथी का उपयोग करने के बाद एड्स के कई रोगी मरने की प्रतीक्षा कर रहे हैं और उनकी जीवन की गुणवात्त में भी काफी सुधार आया है। होम्योपैथी उपचार प्रतिरक्षा प्रणाली को संशोधित करके काम करता है, जो कि एक एड्स रोगी में एक महत्वपूर्ण कारक होता है। एड्स के लक्षणों का इलाज करने के लिए उपयोग की जाने वाली होम्योपैथी की कुछ दवाएं इस प्रकार से हैं-

                                                                         

 

1.   सिफिलिनम

2.   आर्सेनिक आयोडम

3.   सल्फर

4.   सिलिका,

5.   टीबी

6.   काली कार्बोनिकम

7.   कैल्सरिया आयोडम

8.   बेसिलिनम

9.   आर्सेनिका एल्बम

10.  फॉस्फोरस

                                                                   

उपरोक्त दवाओं का उपयोग अन्य उपचारों के साथ एआरटी या एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी के साथ संयोजन में भी आसानी से किया जा सकता है। इसके साथ ही एड्स से संबंधित जटिलताओं के कुछ आम लक्षणों को कम करने में बहुत प्रभावी साबित होता है। हालांकि, रोगी व्यक्ति की अत्यधिक देखभाल सुनिश्चित की जानी चाहिए और इन दवाइयों को होम्योपैथिक डॉक्टर से परामर्श किए बिना सेवन नहीं किया जाना चाहिए।

लेखक: मुकेश शर्मा होम्योपैथी के एक अच्छे जानकार हैं जो पिछले लगभग 25 वर्षों से इस क्षेत्र में कार्य कर रहे हे। होम्योपैथी के उपचार के दौरान रोग के कारणों को दूर कर रोगी को ठीक किया जाता है। इसलिए होम्योपैथी में प्रत्येक रोगी की दवाए दवा की पोटेंसी तथा उसकी डोज आदि का निर्धारण रोगी की शारीरिक और उसकी मानसिक अवस्था के अनुसार अलगण्अलग होती है। अतः बिना किसी होम्योपैथी के एक्सपर्ट की सलाह के बिना किसी भी दवा सेवन कदापि न करें।

डिसक्लेमरः प्रस्तुत लेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के अपने हैं।