
थायरॉयड की समस्या और इसका होत्योपैथिक उपचार Publish Date : 08/06/2025
थायरॉयड की समस्या और इसका होत्योपैथिक उपचार
डॉ0 राजीव सिंह एवं मुकेश शर्मा
थायरॉइड रोग क्या है?
थायरॉइड रोग दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रभावित करता है और उनके समग्र स्वास्थ्य और खुशहाल जीवन पर पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है।
थायरॉयड ग्रंथि, गर्दन में स्थित एक तितली के आकार की अंतःस्रावी ग्रंथि है, जो चयापचय और अन्य शारीरिक कार्यों को विनियमित करने वाले हॉर्मोन का उत्पादन करती है।
थायरॉयड ग्रंथि मुख्य रूप से तीन हॉर्मोन उत्पादित करती हैः ट्राईआयोडोथायोनिन, टेट्राआयोडोथायोनिन और कैल्सीटोनिन।
थायरॉइड हॉर्मोन विभिन्न शारीरिक क्रियाओं के लिए आवश्यक है। यह मस्तिष्क के विकास और उसके कार्य में मदद करता है, हृदय गति और शरीर के तापमान को नियंत्रित करता है और शरीर की कोशिकाओं के विकास और विभेदन में सहायता प्रदान करता है।
हालांकि, जब थायरॉयड हॉर्मोन के स्तर में असंतुलन होता है, तो यह महत्वपूर्ण कार्य प्रतिकूल रूप से प्रभावित हो सकते हैं। जब थायरॉयड ग्रंथि सही तरीके से काम नहीं कर पाती है, तो इससे थकान, वजन बढ़ना और अवसाद सहित अन्य कई लक्षण महसूस हो सकते हैं।
यह असंतुलन विभिन्न थायरॉयड विकारों को भी जन्म दे सकता है, जैसे हाइपरथायरायडिज्म और हाइपोथायरायडिज्म।
1. हाइपोथायरायडिज्म एक ऐसी स्थिति है जिसमें थायरॉयड ग्रंथि शरीर की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त हॉर्मोन का उत्पादन करने में विफल हो जाती है।
2. दूसरी ओर, हाइपरथायरायडिज्म एक ऐसी स्थिति है जिसमें थायरॉयड ग्रंथि आवश्यकता से अधिक हॉर्मोन का उत्पादन करने लगती है।
हालांकि, होम्योपैथी में थायराइड का सबसे अच्छा इलाज मिल सकता है। यह दोनों स्थितियों का इलाज कर सकता है और लक्षणों को आसानी से कम कर सकता है।
हाइपोथायरायडिज्म और हाइपरथायरायडिज्म के लिए प्रभावी शीर्ष होम्योपैथिक दवाएं-
हाइपोथायरायडिज्म का कारण
- परिसंचरण में थायरॉइड हॉर्मोन की मात्रा कम होने के कारण।
- आयोडीन की कमी और हाशिमोटो थायरायडाइटिस (एक स्वप्रतिरक्षी विकार) हाइपोथायरायडिज्म के मुख्य कारण हैं।
- इसके लक्षणों में अत्यधिक थकान, कब्ज, अवसाद, ठंड के प्रति असहिष्णुता, चेहरे पर सूजन, वजन बढ़ना, आवाज में भारीपन, कोलेस्ट्रॉल के स्तर में वृद्धि, मांसपेशियों में दर्द, जोड़ों में दर्द और मासिक धर्म संबंधी अनेक समस्याएं आदि शामिल हैं।
थायरॉइड की समस्या के लिए प्रमुख शीर्ष होम्योपैथी दवाएं
सीपिया ऑफिसिनेलिसः होम्योपैथिक की इस दवा का उपयोग तब किया जाता है जब रोगी में निम्नलिखित लक्षण दिखाई देते हैं:-
- रोगी का कमज़ोर, थोड़ा पीला दिखाई देना।
- विशेष रूप से ठंडे तापमान में, रोगी में बेहोश होने की प्रवृत्ति होना।
- रोगी का गर्म वातावरण में भी ठंड के प्रति अत्यधिक असहिष्णु होना।
- रोगी में चिड़चिड़ापन बढ़ना।
- रोगी के बालों का झड़ना।
- रोगी के मासिक धर्म प्रवाह में वृद्धि जो कि समय से पहले होता है।
- लगातार कब्ज का बने रहना।
- अचार और अम्लीय खाद्य पदार्थों के प्रति बढ़ती इच्छा।
कैल्केरिया कॉर्बोनिकम: यह लोकप्रिय होम्योपैथिक दवा है जो उस समय उपयोगी होती है जब रोगी में हाइपोथायरायडिज्म और हाइपरथायरायडिज्म के निम्नलिखित लक्षणों के साथ उपस्थित होते हैं:-
- रोगी एक मोटा, थुलथुला और गोरा व्यक्ति होता है।
- रोगी ठंड में प्रति असहिष्णुता अधिक होती है।
- रोगी को अत्यधिक पसीना आता है, विशेषकर सिर में।
- रोगी को वसायुक्त भोजन से घृणा होती है।
- रोगी में अजीबोगरीब खान-पान की आदतें, जिनमें अंडे, चाक, पेंसिल, नींबू आदि खाने की लालसा शामिल है।
- मासिक धर्म में वृद्धि जो लंबे समय तक रहती है और पैरों के ठंडे रहते है।
लाइकोपोडियम क्लैवेटमः होम्योपैथी की यह दवाई निम्न लक्षण वाले रोगियों के लिए उपयोगी हैः-
- रोगी शारीरिक रूप से कमज़ोर होता है।
- रोगी में चिड़चिड़ापन बढ़ जाता है।
- रोगी के बाल अत्यधिक मात्रा में झड़ते हैं।
- रोगी का चेहरा हल्का पीला है और उसकी आंखों के चारों ओर नीले रंग के घेरे होते हैं।
- रोगी गर्म और मीठे खाद्य पदाथ के सेवन की इच्छा रखता है।
- रोगी में शाम के समय एसिडिटी अधिक बढ़ जाती है।
- रोगी का अत्यधिक पेट फूलने के साथ गैस्ट्रिक समस्याएं।
- दर्दनाक, कठोर, अपूर्ण मल त्याग के साथ कब्ज बना रहता है।
ग्रैफ़ाइट्सः निम्नलिखित लक्षणों के होने पर होम्योपैथी दवा ग्रैफ़ाइट्स का मुख्य रूप से उपयोग किया जाता हैः-
- रोगी में मोटापे की स्थिति होती है।
- रोगी में ठंड के प्रति असहिष्णुता अधिक होती है।
- ग्रैफाइट्स का रोगी भावनात्मक रूप से उदास, डरपोक, अनिर्णायक, रोता हुआ और संगीत सुनता हुआ होता है।
- रोगी का पेट फूलता है बौर गैस अधिक बनती है।
- रोगी में कठोर, दर्दनाक मल त्याग प्रक्रिया के फलस्वरूप दीर्घकालिक कब्ज की प्रवृत्ति रहती है।
लोडियमः होम्योपैथिक दवा लोडियम जब रोगी निम्न लक्षणों से पीड़ित होता है, तो बहुत उपयोगी सिद्व होती है-
- रोगी को भूख तो अच्छी लगती है लेकिन उसका वजन तेजी से कम होता है।
- इस दवा के रोगी में नियमित अंतराल पर खाने की प्रवृत्ति पाई जाती है।
- इसके रोगी को अत्यधिक गर्मी और ठंडे वातावरण में रहने की आवश्यकता महसूस होती है।
- रोगी हर समय वर्तमान के प्रति चिंतित रहता है।
- रोगी के दिल की धड़कन अनियमित रहती हैं।
लैकेसिस म्यूटसः होम्योपैथिक दवा लैकेसिस म्यूटस थायरॉयड ग्रंथि की समस्या के इन लक्षण का उपचार करने के लिए बहुत उपयोगी रहती है-
- रोगी को बहुत गर्मी लगती है, इसलिए वह तंग कपड़े पहनने में असमर्थ रहता है।
- रोगी का सामान्यतः उदास रहना, किसी भी काम में मन न लगाना के जैसी प्रवृत्ति होती है।
- रोगी में बिलकुल अलग-थलग और अकेले रहने की प्रवृत्ति पाई जाती है।
- रोगी अत्यधिक बातूनी होता है।
- रजोनिवृत्ति की आयु के आसपास की रोगी महिलाएं।
उपरोक्त होम्योपैथी की दवाएं आमतौर पर की जाती हैं, हालाँकि, आपके होम्योपैथ के साथ विस्तृत चर्चा आवश्यक है ताकि वह उस उपचार को चुन सकें जो आपके लिए सबसे अच्छा काम करेगा। यदि आपको कोई चिंता या प्रश्न है तो आप हमेशा किसी विशेषज्ञ से परामर्श कर सकते हैं और अपने सवालों के उचित जवाब पा सकते हैं।
लेखक: मुकेश शर्मा होम्योपैथी के एक अच्छे जानकार हैं जो पिछले लगभग 25 वर्षों से इस क्षेत्र में कार्य कर रहे हे। होम्योपैथी के उपचार के दौरान रोग के कारणों को दूर कर रोगी को ठीक किया जाता है। इसलिए होम्योपैथी में प्रत्येक रोगी की दवाए, दवा की पोटेंसी तथा उसकी डोज आदि का निर्धारण रोगी की शारीरिक और उसकी मानसिक अवस्था के अनुसार अलग-.अलग होती है। अतः बिना किसी होम्योपैथी के एक्सपर्ट की सलाह के बिना किसी भी दवा सेवन कदापि न करें।
डिसक्लेमरः प्रस्तुत लेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के अपने विचार हैं।