छाती में जमाव के लिए होम्योपैथिक दवाएं      Publish Date : 16/01/2025

                 छाती में जमाव के लिए होम्योपैथिक दवाएं

                                                                                                                                              डॉ0 राजीव सिंह एवं मुकेश शर्मा

छाती में जमाव अपने आप में कोई रोग नहीं होता है, जबकि जमाव शब्द विभिन्न सामूहिक लक्षणों की व्याख्या करता है जो विभिन्न प्रकार के श्वसन रोगों में भी मौजूद होते हैं। छाती में जमाव को संदर्भित करने वाले लक्षणों में छाती में बलगम के जमा होने के कारण खड़खड़ाहट वाली खांसी, सांस लेने के दौरान घरघराहट या सीटी जैसी आवाज आना, सांस लेने में कठिनाई, फेफड़ों में जमा बलगम को बाहर निकालने में कठिनाई, दम घुटने के दौरे और सीने में दर्द होना आदि शामिल होते हैं।

                                                                      

अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और निमोनिया श्वसन रोग के कुछ उदाहरण हैं जो छाती में जमाव का कारण बनते हैं। एक साधारण सर्दी, जिसका अगर समय पर उपचार नहीं किया जाता है, तो संक्रमण फैलने के कारण छाती में जमाव हो सकता है। आज के हमारे इस लेख में, हमंने छाती में जमाव के सभी लक्षणों और छाती में जमाव के लिए सबसे अच्छी होम्योपैथिक दवाओं को कवर करने का प्रयास किया है।

छाती में जमाव के लिए शीर्ष होम्योपैथिक रेमेडीज

                                                          

1. इपेकैक - छाती में घरघराहट की आवाज के लिए

होम्योपैथी की इस दवा का उपयोग करने के लिए, रोगी की छाती में बलगम भरा होता है, लेकिन खांसने के बावजूद यह बाहर नहीं आता है। रोगी को छाती में जकड़न के साथ घुटन महसूस होती है। दम घुटने के कारण ऑक्सीजन की कमी के कारण रोगी का चेहरा नीला पड़ जाता है। कई बार बलगम में खून भी हो सकता है। खांसी और छाती में जमाव के साथ लगातार मतली भी होती है। छाती में जमाव के साथ उल्टी होने पर रोगी को राहत मिलती है।

2. एंटीमोनियम टार्ट - छाती में जमाव के लिए सबसे अच्छी दवाओं में से एक

एंटीमोनियम टार्ट छाती की जकड़न के उपचार के लिए प्रमुख होम्योपैथिक दवाओं में से एक है। छाती की जकड़न में इस दवा का उपयोग करने का प्रमुख संकेत खांसने पर फेफड़ों में बलगम का अत्यधिक खड़खड़ाना होता है। रोगी को अपने फेफड़े बलगम से भरे हुए महसूस होते हैं। हालांकि, बहुत अधिक खांसने पर भी बहुत कम मात्रा में बलगम बाहर निकल पाता है। सांस लेने में कठिनाई होती है और ऐसे में रोगी एक सामान्य सांस लेने के लिए कम सांस लेता है।

रोगी को घुटन भरे दौर आते हैं जो रोगी को बैठने के लिए मजबूर कर देते हैं। नम तहखाने में काम करने के कारण छाती की जकड़न इस दवा का सबसे खास लक्षण है। इस दवा में जन्म के तुरंत बाद होने वाली शिशुओं में सांस लेने में कठिनाई को ठीक करने की भी शक्ति होती है।

3. फॉस्फोरस - छाती में जमाव के लिए अति महत्वपूर्ण

                                                                      

होम्योपैथी की यह दवा ऐसे रोगियों को दी जाती है जो सीने में दर्द के साथ सीने में जलन की भी शिकायत करते हैं। इस दवा की आवश्यकता वाले रोगी को सीने में जकड़न, दबाव की शिकायत होती है जैसे कि सीने में कोई वजन पड़ रहा हो। खांसी होती है जो बात करने या हंसने से यह बढ़ जाती है। ठंडी हवा खांसी और सीने के दर्द को बढ़ा देती है। फॉस्फोरस की आवश्यकता वाले रोगी में अजीब लक्षण भी हो सकते हैं - उन्हें उपरोक्त लक्षणों के साथ-साथ ठंडे पेय, आइसक्रीम और जूस जैसी ताज़ा चीज़ों को लेने की इच्छा होती है।

4. आर्सेनिक एल्बम - घुटन के साथ कंजेशन तो

यह दवा मुख्य रूप से छाती में जमाव के उन रोगियों को दी जाती है जो मुख्य रूप से रात के समय दम घुटने से पीड़ित होते हैं। रोगी को सांस लेने में कठिनाई के साथ दम घुटने की समस्या लेटने पर अधिक बढ़ जाती है और बैठने पर यह ठीक हो जाती है। सांस लेते समय छाती में घरघराहट या सीटी जैसी आवाजें आती हैं। गर्म पेय पदार्थ पीने से खांसी ठीक हो जाती है। छाती में जलन वाला दर्द भी हो सकता है। यह दवा छाती में जमाव के ऐसे सभी मामलों में दी जा सकती है जो ठंडे पेय पदार्थ पीने के बाद हुए हों।

5. सेनेगा - वृद्धों में होने वाले कंजेशन के उपचार के लिए

सेनेगा एक शीर्ष दवा है जो मुख्य रूप से छाती में जमाव से पीड़ित बुजुर्ग लोगों के लिए अनुशंसित है। इस दवा की आवश्यकता वाले रोगी को छाती में बलगम के खड़खड़ाने और दबाव महसूस होने की शिकायत होती है। छाती से बलगम को बाहर निकालने के लिए बहुत प्रयास करना पड़ता है और यह बड़ी मुश्किल से बाहर निकल पाता है। बलगम सख्त और प्रचुर मात्रा में होता है और रोगी छाती में अत्यधिक दर्द महसूस करता है।

6. ब्रायोनिया अल्बा - सांस लेने में कठिनाई के साथ कंजेशन के उपचार के लिए

ब्रायोनिया के उपयोग करने का मुख्य संकेत खांसी के साथ सांस लेने में कठिनाई का होना है। सांस लेने में कठिनाई जो थोड़ी सी हरकत करने से बढ़ जाती है और आराम करने से ठीक हो जाती है। रोगी को लगातार गहरी सांस लेने की ज़रूरत महसूस होती है। खाने, पीने या गर्म कमरे में खांसी बढ़ जाती है। साँस लेने के दौरान छाती में चुभने वाले दर्द के उपचार में यह दवा शक्तिशाली प्रभाव डालती है। खांसते समय छाती में दर्द भी बढ़ जाता है।

खांसने पर सीने में तेज दर्द होने के कारण रोगी को छाती को हाथों से पकड़ना पड़ता है। बलगम गाढ़ा होता है। बहुत ज़्यादा खांसने के बाद ही बलगम निकल पाता है। ब्रायोनिया के रोगी को पानी की अधिक मात्रा में प्यास भी हो सकती है।

लेखक: मुकेश शर्मा होम्योपैथी के एक अच्छे जानकार हैं जो पिछले लगभग 25 वर्षों से इस क्षेत्र में कार्य कर रहे हे। होम्योपैथी के उपचार के दौरान रोग के कारणों को दूर कर रोगी को ठीक किया जाता है। इसलिए होम्योपैथी में प्रत्येक रोगी की दवाए, दवा की पोटेंसी तथा उसकी डोज आदि का निर्धारण रोगी की शारीरिक और उसकी मानसिक अवस्था के अनुसार अलग-.अलग होती है। अतः बिना किसी होम्योपैथी के एक्सपर्ट की सलाह के बिना किसी भी दवा सेवन कदापि न करें।

डिसक्लेमरः प्रस्तुत लेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के अपने विचार हैं।