मल के साथ अपचित भोजन का निकलना, समस्या का होम्योपैथिक प्रबंधन      Publish Date : 12/12/2024

मल के साथ अपचित भोजन का निकलना, समस्या का होम्योपैथिक प्रबंधन

                                                                                                                                                          डॉ0 राजीव सिंह एवं मुकेश शर्मा

विभिन्न चिकित्सा स्थितियों से उत्पन्न होने वाले मल में अपचित भोजन के मामलों के प्रबंधन में होम्योपैथी बहुत अधिक मददगार साबित हो सकती है। होम्योपैथिक दवाएँ, बिना किसी दुष्प्रभाव के इसके पीछे के अंतर्निहीत कारणों को लक्षित करके अति उत्कृष्ट परिणाम प्रदान करती हैं।

                                                                  

इस समस्या के प्रबंधन के लिए होम्योपैथिक दवाएँ व्यक्तिगत संकेतों और लक्षणों के आधार पर व्यक्तिगत आधार पर निर्धारित की जाती हैं।

इस समस्या के प्रबंधन के लिए किसी भी होम्योपैथिक दवा, किसी होम्योपैथिक डॉक्टर की देखरेख में लेने की सलाह दी जाती है, जो विस्तृत मामले का मूल्यांकन करने के बाद उपयुक्त दवा और खुराक निर्धारित कर सकता है। ऐसे मामलों में जहाँ अत्यधिक वजन कम होना, मल में अत्यधिक रक्त आना, कुपोषण के कारण पोषण की गंभीर कमी और एनीमिया जैसे गंभीर लक्षण और संकेत होते हैं, अतः इन दवाओं के स्वतंत्र उपयोग से बचना चाहिए।

हालाँकि, ऐसे मामलों में, इन्हें पारंपरिक उपचार पद्धति के साथ-साथ लक्षण प्रबंधन के लिए सहायक सहायता के रूप में भी लिया जा सकता है।

इस समस्या के पीछे क्या कारण हैं?

                                                                    

यह समस्या केवल और केवल भोजन को ठीक से चबाए बिना तेजी से खाने से उत्पन्न हो सकती है। ठीक से चबाया गया भोजन गैस्ट्रिक एंजाइमों द्वारा आसानी से टूट जाता है और यह पचने में भी आसान होता है। यदि भोजन को ठीक तरीके से चबाया नहीं जाता है, तो पाचन एंजाइमों को इस भोजन को तोड़ने और पचाने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है, और भोजन के बिना पचे रहने की संभावना बढ़ जाती है।

तेजी से खाया गया भोजन गैस्ट्रिक मार्ग से भोजन के गुजरने की गति को बढ़ा देता है, जिसके परिणामस्वरूप भोजन अधूरा टूटता है और आंशिक रूप से पचता है।

                                                         

इस समस्या का अगला कारण उच्च फाइबर आहार या कठोर बाहरी आवरण वाले भोजन (जैसे  बीज, मक्का आदि) लेना है कि जो पचाने में कठिन होते हैं। पाचन एंजाइम ऐसे भोजन को पूरी तरह से तोड़ने में असमर्थ होते हैं, ओर यह पाचन तंत्र में अवशोषित नहीं हो पाता है। नतीजतन, यह बिना पचे ही मल में ऐसे ही निकल जाता है।

इसके अतिरिक्त, फाइबर आहार से मल त्याग की गति बढ़ जाती है और पाचन तंत्र में भोजन के रहने की अवधि कम हो जाती है जिससे कुछ भोजन के बिना पचे निकलने की संभावना बढ़ जाती है। भोजन के कुछ उदाहरण जो गैस्ट्रिक एंजाइम द्वारा आंशिक रूप से पच जाते हैं और मल में ऐसे ही निकल जाने की अधिक संभावना होती है, वे हैं बीन्स, मटर, टमाटर का छिलका, क्विनोआ जैसे अनाज, बीज और मेवे आदि।

इसके अलावा, अधिक पका हुआ खाना भी एक कारण हो सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि भोजन को अधिक पकाने से उसकी रासायनिक संरचना बदल जाती है जिससे उसे पचाना पाचन तंत्र के लिए कठिन हो जाता है।

उपरोक्त कारणों के अलावा, इसके पीछे कुछ चिकित्सीय कारण भी हो सकते हैं, जिनका निदान और उपचार किया जाना बहुत आवश्यक होता है।

मल में अपचित भोजन के लिए कुछ चयनित होम्योपैथिक दवाएँ-

                                                         

आर्सेनिक एल्बम - पेट के होने वाले संक्रमण के मामलों के लिए

यह पेट के संक्रमण के मामलों के प्रबंधन के लिए यह एक प्रमुख होम्योपैथिक दवा है। यह तब उपयोगी है जब मल में पानी जैसा कुछ उपस्थित हो और उसमें अपचित भोजन के कण आते हों इसके साथ ही मल से सड़ी हुई दुर्गंध भी आती है। कभी-कभी मरीज के मल में हरा बलगम भी हो सकता है। इसके मरीज को नाभि के आस-पास जलन महसूस हो सकती है। इसके साथ ही इन लक्षणों के साथ कमजोरी भी महसूस हो सकती है। अंत में, उपरोक्त लक्षणों के साथ उल्टी भी हो सकती है।

चाइना- मल में अनपचा भोजन अना, बार-बार मल आना और गैस के लिए

यह एक प्राकृतिक औषधि है जो सिनकोना ऑफिसिनेलिस नामक पौधे की सूखी छाल से तैयार की जाती है, जिसे ‘‘पेरूवियन छाल’’ के नाम से भी जाना जाता है। यह मल में अपचित भोजन और बार-बार मल आने की स्थिति के लिए बहुत कारगर होम्योपैथिक दवा है। इसके साथ ही,  मरीज को अत्यधिक गैस  और  पेट में सूजन भी होती है। मल अधिक मात्रा में, ज़रूरत पड़ने पर ढीला होता है और कभी-कभी मल झागदार भी हो सकता है।

चायना के रोगी में बहुत अधिक गैस निकलती है और उसके मल में दुर्गंध आती है। उपरोक्त लक्षणों के साथ मरीज को अत्यधिक कमज़ोरी भी हो सकती है।

लाइकोपोडियम  - पेट में अत्यधिक गैस और पेट में सूजन के लिए

                                                       

होम्योपैथी की इस दवा को लाइकोपोडियम क्लैवेटम नामक पौधे से तैयार किया जाता है, जिसे आमतौर पर ‘‘क्लब मॉस’’ के नाम से जाना जाता है। जिन लोगों को इस दवा की आवश्यकता होती है, उनमें मल में अपचित भोजन के कणों और पेट में गैस और सूजन की शिकायत होती हैं।

मरीज का मल पीला, पानीदार और दुर्गंधयुक्त होता है। कभी-कभी मल पीला या भूरा रंग का होता है और इसमें सख्त गांठें भी उपस्थित होती हैं।

फॉस्फोरस- मल में अपचित भोजन के साथ लंबे समय तक दस्त के लिए

होम्योपैथिक की यह दवा में लंबे समय से दस्त (ढीला मल) के मामलों में अच्छी तरह से संकेतित है, जिसमें मल में बिना पचा हुआ भोजन भी शामिल होता है। जिन लोगों को इसकी ज़रूरत होती है, उनका मल पीला, हरा, भूरा या हल्का भूरा हो सकता है। कुछ मामलों में इसमें हरा या सफ़ेद बलगम भी मिला हो सकता है।

इस दवा के मल में खट्टी गंध आती है और कभी-कभी मल में खून भी उपस्थित हो सकता है। मल निकलने से पहले, पेट में गड़गड़ाहट और पेट में दर्द महसूस हो सकता है। जिन मामलों में इस दवा की ज़रूरत होती है, उनमें दस्त कभी-कभी कब्ज के साथ भी हो सकता है। कुछ मामलों में, मल अनैच्छिक रूप से ही निकल जाता है।

पोडोफाइलम - मल में अपचित भोजन के पीस के साथ अत्यधिक दस्त के लिए

होम्योपैथिक दवा को पोडोफिलम, पेल्टाटम नामक पौधे की जड़ से तैयार किया जाता है, जिसका सामान्य नाम ‘‘मे एप्पल’’ है। यह दवाई ऐसे लोगों के लिए बहुत लाभदायी दवा है जो मल में बिना पचा हुआ भोजन के साथ ही अत्यधिक मात्रा में दस्त की समस्या से पीड़ित होते हैं।

उन्हें बार-बार, अधिक मात्रा में, पानी जैसा, हरा या पीला, चिपचिपा और बदबूदार मल होता रहता है। इसमें पेट में दर्द भी हो सकता है। उपरोक्त लक्षणों के साथ मरीज का वजन भी कम हो सकता है।

कोलोसिंथ - मरीज के पेट में ऐंठन के लिए

यह प्राकृतिक औषधि सिट्रुलस कोलोसिंथिस नामक फल के गूदे से तैयार की जाती है, जिसे कुकुमिस कोलोसिंथिस और ‘‘कड़वा सेब’’ भी कहते है। यह पौधा कुकुरबिटेसी परिवार से संबंधित है। यह दवा तब कारगर साबित होती है जब मल में अपचित भोजन हो और  पेट में दर्द और ऐंठन हो।

मात्रा में मल बहुत अधिक होता है और साथ में बहुत अधिक गैस भी निकलती है। मल पतला, झागदार, पीला या हरा-पीला हो सकता है। इस दवा के मल में बासी गंध होती है। कभी-कभी यह चिपचिपा और खून से सना हुआ भी हो सकता है। कुछ भी खाने या पीने से मरीज के पेट का दर्द बढ़ जाता है। पेट के ऊपरी हिस्से को आगे और नीचे की ओर झुकाना, पेट पर दबाव डालना या लेटना दर्द में राहत देता है।

कैल्केरिया कार्ब - कठोर या पतले मल के साथ अपचित भोजन के लिए

यह एक उपयोगी दवा है जब अपचित भोजन मल में निकल जाता है और मल या तो कठोर या पतला होता है। कुछ मामलों में, मल का पहला भाग कठोर होता है, फिर चिपचिपा और फिर तरल होता है। इसमें अप्रिय दुर्गंध या खट्टी गंध भी हो सकती है।

मर्क सोल - मल में बलगम और खून के साथ ढीलापन के लिए

इस दवा का प्रयोग तब किया जा सकता है जब मल ढीला हो, साथ में  बलगम और खून भी मिश्रित हो, साथ ही मल में अपचित भोजन के कण उपस्थित हों। मल पीला या हरा हो सकता है और इसमें खट्टी गंध आती है। जहां इसकी आवश्यकता होती है तो इस दवा के मरीज की आंतों में सूजन भी हो सकती है।

लेखक: मुकेश शर्मा होम्योपैथी के एक अच्छे जानकार हैं जो पिछले लगभग 25 वर्षों से इस क्षेत्र में कार्य कर रहे हे। होम्योपैथी के उपचार के दौरान रोग के कारणों को दूर कर रोगी को ठीक किया जाता है। इसलिए होम्योपैथी में प्रत्येक रोगी की दवाए, दवा की पोटेंसी तथा उसकी डोज आदि का निर्धारण रोगी की शारीरिक और उसकी मानसिक अवस्था के अनुसार अलग-.अलग होती है। अतः बिना किसी होम्योपैथी के एक्सपर्ट की सलाह के बिना किसी भी दवा सेवन कदापि न करें।

डिसक्लेमरः प्रस्तुत लेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के अपने विचार हैं।