डायरिया/दस्त के उपचार हेतु कुछ सिलेक्टिेड होम्योपैथिक दवाएं      Publish Date : 28/11/2024

       डायरिया/दस्त के उपचार हेतु कुछ सिलेक्टिेड होम्योपैथिक दवाएं

                                                                                                                                                        डॉ0 राजीव सिंह एवं मुकेश शर्मा

दस्त या डायरिया एक ऐसी स्थिति है जिसमें दिन में तीन या उससे अधिक बार पतला, ढीला, पानी जैसा मल आता है, इस स्थिति को मेडिकल लेंग्वेज में डायरिया कहते हैं। डायरिया आमतौर पर कम से कम दो दिन तक रहता है, लेकिन क्रोनिक मामलों में यह लंबे समय तक भी चल सकता है। डायरिया एक आम समस्या है और अगर समय रहते उपचार किया जाए तो यह गंभीर स्थिति नहीं है।

                                                                        

ऐसे मामलों में जहां डायरिया दो दिन या हफ़्तों से अधिक समय तक जारी रहता है, यह आंतों में एक अंतर्निहित संक्रमण या सूजन की इंगित करता है जिसका उपचार करने की आवश्यकता होती है। डायरिया के लिए होम्योपैथिक दवाएँ डायरिया के अंतर्निहित कारण का उपचार करके काम करती हैं।

होम्योपैथी दस्त का उपचार कर सकती है

                                                                

जी हां, दोस्तों होम्योपैथी दस्त के लिए प्रभावी उपचार प्रदान करती है। यह दस्त के मूल कारण का उपचार करती है ताकि लक्षणों को कम करने और ठीक होने में मदद मिल सके। दस्त के लिए होम्योपैथी दवाएं प्राकृतिक पदार्थों से तैयार की जाती है, इसलिए इनके कोई दुष्प्रभाव नहीं होते हैं। दस्त के लिए होम्योपैथी सभी आयु वर्ग के लोगों के लिए अच्छा काम करती है और बच्चों और बड़े, वयस्कों में सुरक्षित रूप से इसका उपयोग कर लाभ उठाया जा सकता है। इन दवाओं का कोई दुष्प्रभाव भी नही होता है।

दस्त के लक्षण

यदि आप दिन में तीन या उससे ज़्यादा बार मल त्याग कर रहे हैं और साथ ही मल पानीदार या ढीला है, तो इसका अर्थ यह है कि आपको दस्त है।

दस्त के अन्य लक्षण और संकेत जो ढीले मल के साथ हो सकते हैं, उनमें पेट में ऐंठन, मल में बलगम/रक्त और पेट में सूजन शामिल हैं। भोजन विषाक्तता के मामले में, उल्टी और मतली भी शामिल हो सकती है।

दस्त के कारण

दस्त कई स्थितियों और कारकों का परिणाम हो सकता है, लेकिन दस्त के सबसे आम कारणों में निम्न कुछ कारण शामिल हो सकते हैं:-

दूषित भोजन और पानी का सेवन

                                                  

‘खराब’ भोजन और पानी में रोग पैदा करने वाले रोगाणु (बैक्टीरिया और परजीवी) होते हैं जो हमारे शरीर में पहुँचकर शारीरिक कार्यप्रणाली को बाधित कर सकते हैं। इसे खाद्य विषाक्तता के रूप में भी जाना जाता है।

जिआर्डिया लैम्ब्लिया और क्रिप्टोस्पोरिडियम जैसे परजीवी दस्त का कारण बनते हैं, जबकि एस्चेरिचिया कोली (आमतौर पर ई.कोली के रूप में जाना जाता है), साल्मोनेला, शिगेला और कैम्पिलोबैक्टर दस्त पैदा करने वाले आम बैक्टीरिया हैं। विकासशील देशों में, ‘ट्रैवलर्स डायरिया’ एक आम शिकायत है, जो इन बैक्टीरिया और वायरस के कारण होती है।

बच्चों में रोटावायरस

                                                          

बच्चों में दस्त का एक अहम और व्यापक कारण रोटावायरस है, यह वायरस दूषित हाथों, वस्तुओं और सतहों के माध्यम से तेज़ी से फैलता है। यह वायरस पेट और आंतों में सूजन पैदा करता है, जिससे गंभीर दस्त, बुखार, निर्जलीकरण, पेट में ऐंठन और उल्टी होती है।

होम्योपैथी दस्त के लिए प्रभावी उपचार प्रदान करती है और संक्रमण (वायरल, परजीवी, जीवाणु), आंत्र सूजन रोग और चिड़चिड़ा आंत्र सिंड्रोम रोग के लिए भी यह अच्छी तरह से काम करती है।

दस्त के लिए कुछ चयनित होम्योपैथिक दवाएं

                                                                  

दस्त के लिए सबसे प्रभावी होम्योपैथी दवाओं में एलो सोकोट्रिना, क्रोटन टिग्लियम और पोडोफाइलम पेल्टेटम आदि को शामिल किया जा सकता हैं। हालांकि, इन दवाओं के अतिरिक्त भी अन्य होम्योपैथिक दवाएं है जिनका उपयोग रोगी के लक्षणों केे अनुसार किया जाता है।

1. कैमोमिला - शिशुओं में दांत निकलते समय होने वाले दस्त के लिए

कैमोमिला वह दवा है जो शिशुओं में दांत निकलने के दौरान होने वाले दस्त के लिए अनुशंसित की जाती है। कैमोमिला की आवश्यकता को इंगित करने वाले लक्षणों में दुर्गंधयुक्त, पानीदार, खट्टी-गंध वाला मल शामिल है जो पीले-हरे रंग का होता है। दस्त के साथ गुदा में सूजन भी हो सकती है और इस दवा का शिशु आमतौर पर चिड़चिड़ा, क्रोधित और बेचैन रहता है।

2. आर्सेनिक एल्बम - खाद्य विषाक्तता के कारण होने वाले दस्त के लिए

आर्सेनिक एल्बम भोजन विषाक्तता के मामलों में दस्त और उल्टी के लिए एक अच्छी दवा है। इसके विशिष्ट लक्षणों में दुर्गंधयुक्त, ढीला मल, अप्रिय गंध, अत्यधिक मतली, उल्टी, पेट में दर्द, कमजोरी और मुंह में खट्टा/कड़वा स्वाद शामिल होता हैं।

3. क्रोटन टिग्लियम - हल्का खाने और पीने के बाद वाले दस्तों के लिए

हल्का खाने-पीने से होने वाले दस्त के लिए, क्रोटन टिग्लियम की सलाह दी जाती है।

यह दवा तब दी जाती है जब रोगी को थोड़ी मात्रा में भोजन या पेय लेने के बाद भी मल त्यागने की इच्छा होती है। रोगी का मल पीला, पानीदार, प्रचुर मात्रा में और प्रकृति में बहता हुआ होता है। क्रोटन टिग्लियम का उपयोग गर्म मौसम के दौरान होने वाले दस्त के उपचार के लिए भी किया जाता रहा है।

4. चाइना ऑफिसिनेलिस - कमजोरी के साथ होने वाले दस्त के लिए

चाइना ऑफिसिनैलिस दस्त के लिए एक बहुत अच्छी दवा है, जिसमें अत्यधिक कमजोरी होती है। पीला, झागदार व ढीला मल, उसके बाद कमजोरी, पेट फूलना, कड़वे तरल पदार्थ की डकार आना और पेट के गड्ढे में गड़गड़ाहट जैसे लक्षण इस दवा की आवश्यकता को दर्शाते हैं।

5. कोलचिकम ऑटमनेल - बलगम के साथ वाले दस्त के लिए

कोलचिकम ऑटमनेल उन मामलों में संकेतित दवा है, जहां बलगम (मल में मौजूद) जेली जैसा होता है, जबकि मल पानीदार होता है, और इसमें तीव्र, खट्टी गंध होती है। इसक साथ ही रोगी की गुदा में खुजली और जलन भी हो सकती है।

6. पोडोफाइलम पेल्टेटम - पतले मल वाले दस्त के लिए

पोडोफिलम पेल्टेटम दस्त के लिए एक अच्छी दवा है, जिस दस्त में मल पानीदार, बदबूदार, दर्द रहित और बाहर निकलता है। मल बहुत अधिक मात्रा में होता है और यह पीला या हरा हो सकता है, और इसमें अपचित भोजन के कण भी उपलब्ध हो सकते हैं। इसके अतिरिक्त यह दवा उन मामलों में भी संकेतित है जहां मल का अनैच्छिक रूप से निकलना (पेट फूलने पर या नींद के दौरान) होता है।

7. अर्जेन्टम नाइट्रिकम - चिंता के कारण होने वाले दस्त के लिए

अर्जेंटम नाइट्रिकम का उपयोग चिंता या घबराहट से होने वाले दस्त के उपचार के लिए किया जाता है। इस दवा की आवश्यकता वाले रोगी को पानी जैसा मल (जिसमें बलगम भी हो सकता है) के साथ शोरगुल वाला पेट फूलना, तेज़ डकारें आना, काटने वाला दर्द और पेट में तेज़ गड़गड़ाहट होती है। प्रत्याशा के कारण या आईबीएस (चिड़चिड़ा आंत्र सिंड्रोम) के परिणामस्वरूप होने वाले दस्त भी इस दवा की आवश्यकता की और ईशारा करता है।

8. कोलोसिंथिस - पेट में ऐंठन और शूल वाले दस्त के लिए

कोलोसिंथ, दस्त के लिए अनुशंसित की जाने वाली दवा है, जब पेट में ऐंठन के साथ ढीला मल विद्यमान होता है। इसमें मल पानी जैसा, पीला, खट्टा गंध वाला मल, पेट फूलना, गुदा में जलन, चुभन वाला दर्द और पेट में तीव्र ऐंठन ऐसे ही कुछ लक्षण हैं जो इस दवा की आवश्यकता को दर्शाते हैं। झुकने या पेट पर दबाव डालने से पेट की ऐंठन में रोगी को राहत मिलती है।

9. एलो सोकोट्रिना - पतले मल वाले दस्त के लिए

एलो सोकोट्रिना का उपयोग ऐसे मामलों के उपचार के लिए किया जाता है जहां मल बहुत अधिक पानी जैसा, पीला या भूरे रंग का होता है। इस दवा के लक्षणों में मल त्यागने की तीव्र इच्छा, पेट में गड़गड़ाहट/गुड़गुड़ाहट, मलाशय में दबाव की निरंतर अनुभूति, पेट फूलने पर मल का अनैच्छिक रूप से निकल जाना के अलावा कुछ अन्य लक्षण भी होते हैं जो कि इस दवा की आवश्यकता की ओर संकेत करते हैं।

10. नैट्रम कार्ब - दूध का सेवन करने से होने वाले दस्त के लिए

नैट्रम कार्ब एक ऐसी दवा है जिसकी सिफारिश ऐसे मामलों में की जाती है जहाँ दूध पीने के बाद दस्त होता है। नैट्रम कार्ब के इस्तेमाल के प्राथमिक लक्षणों में पानी जैसा मल, बदबूदार पेट फूलना, मल त्याग के बाद मलाशय में जलन, मल त्याग के दौरान मलाशय में कटने वाला दर्द, गैस, सूजन और पेट में दर्द शामिल होता हैं।

लेखक: मुकेश शर्मा होम्योपैथी के एक अच्छे जानकार हैं जो पिछले लगभग 25 वर्षों से इस क्षेत्र में कार्य कर रहे हे। होम्योपैथी के उपचार के दौरान रोग के कारणों को दूर कर रोगी को ठीक किया जाता है। इसलिए होम्योपैथी में प्रत्येक रोगी की दवाए, दवा की पोटेंसी तथा उसकी डोज आदि का निर्धारण रोगी की शारीरिक और उसकी मानसिक अवस्था के अनुसार अलग-.अलग होती है। अतः बिना किसी होम्योपैथी के एक्सपर्ट की सलाह के बिना किसी भी दवा सेवन कदापि न करें।

डिसक्लेमरः प्रस्तुत लेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के अपने विचार हैं।