नसों में दर्द (न्यूरोपैथिक दर्द) की होम्योपैथिक दवा और इलाज Publish Date : 16/05/2023
नसों में दर्द (न्यूरोपैथिक दर्द) की होम्योपैथिक दवा और इलाज - Homeopathic medicine and treatment for Neuropathic (Nerve) Pain
डॉ0 आर. एस. सेंगर एवं मुकेश शर्मा
नसों में दर्द या तंत्रिका दर्द को न्यूरोपैथिक दर्द कहते हैं। अक्सर यह दर्द तेज और जलन के साथ होता है। हालांकि, यह अपने आप ठीक हो जाता है, लेकिन कई मामलों में यह लंबे समय तक प्रभावित कर सकता है।
यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें संवेदनाओं को मस्तिष्क तक ले जाने वाली नसों को नुकसान होता है। तंत्रिका दर्द के कई कारण होते हैं। जैसे शराब, विटामिन बी12 की कमी, डायबिटीज, रीढ़ की हड्डी में तंत्रिका संपीड़न या सूजन, एचआईवी, रेडिएशन थेरेपी, कीमोथेरेपी दवाएं और हर्पीस जोस्टर इंफेक्शन द्वारा संक्रमण।
लगभग 30 प्रतिशत तंत्रिका दर्द डायबिटीज के कारण होता है। तंत्रिका दर्द के लक्षणों में स्पॉन्टेनियस पेन जैसे चुभन, जलन और धमक वाला दर्द, झुनझुनी, सुन्न होना, इवोक्ड पेन, नींद में कठिनाई और नींद प्रभावित होने के कारण भावनात्मक समस्याएं शामिल हैं।
तंत्रिका दर्द के प्रमाणित उपचार में फिजिकल थेरेपी और कॉन्गिनाइटिव बिहैवियरल थेरेपी (इसका उद्देश्य मानसिक स्वास्थ्य में सुधार करना है) के साथ ओपिओइड ड्रग्स और एंटी-डिप्रेसेंट (यह अवसाद के अलावा मानसिक स्थितियों से जुड़ी कुछ अन्य स्थितियों को ठीक करने के लिए इस्तेमाल की जाती हैं) शामिल हैं।
इस समस्या के लिए होम्योपैथिक उपचार की मदद भी ली जा सकती है। होम्योपैथिक दवाइयों को प्राकृतिक उत्पादों से बनाया जाता है। ये उपाय व्यक्ति के लक्षणों और मिजाज (विशेष परिस्थितियों से पीड़ित होने की प्रवृत्ति) के आधार पर निर्धारित किए जाते हैं। जब होम्योपैथिक दवाइयों को चिकित्सक की सलाह के अनुसार लिया जाता है, तो यह न केवल रोग के लक्षणों को दूर करते हैं, बल्कि समस्या को जड़ से खत्म करते हैं।
तंत्रिका दर्द के उपचार के लिए जिन होम्योपैथिक दवाओं का उपयोग किया जाता है, उनमें प्लैटिनम मेटेलिकम, फॉस्फोरस, एगारिकस मस्करी, कैमोमाइल, कैप्सिकम ऐनम, कैल्केरिया फॉस्फोरिका, कोकेनम हाइड्रोक्लोरिकम, बेलाडोना, ऑक्सालिकम एसिडम, जिंकम मेटालिकम, ऑलियंडर और एकोनिटम नेपेलस शामिल हैं।
1. न्यूरोपैथिक दर्द के लिए होम्योपैथिक दवाएं -
2. होम्योपैथी के अनुसार न्यूरोपैथिक दर्द के लिए आहार और जीवन शैली में बदलाव -
3. न्यूरोपैथिक दर्द के लिए होम्योपैथिक दवाएं और उपचार कितने प्रभावी हैं -
4. न्यूरोपैथिक दर्द के लिए होम्योपैथिक दवा के साइड इफेक्ट्स, जोखिम और उपचार -
5. न्यूरोपैथिक दर्द के होम्योपैथिक उपचार से संबंधित टिप्स -
न्यूरोपैथिक दर्द के लिए होम्योपैथिक दवाएं -
प्लेटिनम मेटालिकम
सामान्य नाम- दि मेटल प्लैटिनम
लक्षण- प्लेटिनम मेटालिकम सुन्नता और ठंड के लिए एक प्रभावी उपाय है। नीचे दिए गए लक्षणों को प्रबंधित करने के लिए भी इस उपाय का उपयोग किया जाता है-
- भुजाओं या टांगों में तेज थकावट व लकवाग्रस्त महसूस करना
- ऐंठन जैसा दर्द
- प्रभावित हिस्से की मांसपेशियों में जकड़न
- चेहरे की हड्डियों में दर्द और सुन्नता
शाम के समय, बैठने या खड़े होने पर लक्षण खराब होना, जबकि चलने पर लक्षण बेहतर हो जाते हैं।
फास्फोरस
सामान्य नाम- फॉस्फोरस
लक्षण- इस उपाय का उपयोग चुभन वाला दर्द, रीढ़ की हड्डी की सूजन और लकवा के इलाज के लिए किया जाता है। इसके अलावा यह निम्नलिखित लक्षणों से भी राहत दिलाने में मदद करता है रू
ऽ तेज और कटने जैसा दर्द
ऽ ऊपरी अंगों (हाथ और भुजाओं) का सुन्न हो जाना
ऽ बाहों और पैरों में कमजोरी और कंपकंपी
मौसम बदलने, थकावट, प्रभावित हिस्से को छूने और गर्म भोजन व पेय पदार्थों का सेवन करने के बाद यह लक्षण बढ़ जाते हैं। ठंडे खाद्य पदार्थ खाने, सोने और खुली व ठंडी हवा में लक्षणों में सुधार होता है।
एगारिकस मस्करी
सामान्य नाम- टोड स्टूल
लक्षण- इस उपाय से लाभान्वित होने वाले मरीजों को ऐसा लगता है, जैसे उन्हें सुई से छेद किया जा रहा है। दर्द वाले हिस्से में ठंड और सुन्न महसूस होता है। निम्नलिखित कुछ लक्षणों के बारे में बताया गया है, जिन्हें इस उपाय के जरिए ठीक किया जा सकता हैरू
- चुभन वाला दर्द, प्रभावित हिस्से को छूने पर दर्द होना
- अकड़न विशेष रूप से चेहरे, हाथ और पैर में
- कमजोरी और कंपकंपी
- पैर हिलाना, जिसके कारण नींद आने में दिक्कत आती है।
सभी शिकायतें ठंड के मौसम में, ठंडी हवा, भोजन व सेक्स के बाद खराब हो जाते हैं। धीमे चलने पर इन लक्षणों में सुधार होता है।
कैमोमाइल
सामान्य नाम- जर्मन कैमोमाइल
लक्षण- जर्मन कैमोमाइल उन लोगों के लिए निर्धारित है, जिन्हें रात में पसीना और सुन्न होने जैसी समस्या के साथ असहनीय दर्द होता है। निम्नलिखित कुछ अन्य लक्षणों के बारे में भी बताया गया है, जिनका उपचार कैमोमिला के उपयोग के जरिए किया जा सकता है रू
- बेचौनी
- गर्दन में अकड़न
- रात के समय में पैरों में लकवाग्रस्त महसूस होना
- चिंता और डरावने सपनों के साथ-साथ गंभीर दर्द, जिसकी वजह से व्यक्ति असहज हो जाता है
- उंघाई
- पेट में दर्द व पेट बढ़ना
यह लक्षण रात में, गर्मी और खुली हवा के संपर्क में आने पर खराब हो जाते हैं। गुस्सा करने से भी लक्षणों को बढ़ावा मिलता है, लेकिन गर्म मौसम और बरसात के मौसम में इन लक्षणों में सुधार होता है।
कैप्सिकम ऐनम
सामान्य नाम- केयेन पेप्पर
लक्षण- केयेन पेप्पर जलन वाले दर्द (विशेष रूप से मांसपेशियों में दर्द) के इलाज में सहायक है। यह दर्द अक्सर ठंड लगने से शुरू होता है। इस उपाय के जरिए निम्नलिखित लक्षणों का इलाज किया जा सकता है-
- कूल्हों से पैरों तक दर्द जैसे साइटिका
- नींद न आना
- खांसते समय शरीर के कुछ हिस्सों (जैसे मूत्राशय और कान) में दर्द
- घुटनों में दर्द
खुली हवा में और प्रभावित हिस्से को खुला रखने पर यह लक्षण बिगड़ जाते हैं, जबकि भोजन करते समय और गर्म मौसम में इनमें सुधार होता है।
कैल्केरिया फॉस्फोरिका
सामान्य नाम- फॉस्फेट ऑफ लाइम
लक्षणः यह उपाय मुख्य रूप से उन बच्चों को दिया जाता है, जो चिड़चिड़े, दुर्बल और जिनके हाथ-पैर ठंडे होते हैं। यह उपाय सुन्न होने की समस्या के प्रबंधन के लिए अच्छी तरह से काम करता है। इसका उपयोग निम्नलिखित लक्षणों के उपचार के लिए भी किया जाता है-
- दर्द, सुन्न होना और ठंड लगने के साथ प्रभावित हिस्से का अकड़ना
- हाथ-पैर की हड्डियों और जोड़ों में दर्द (और पढ़ें रू जोड़ों में दर्द का कारण)
- पीठ में दर्द (किडनी के पास), खासकर नाक बहने और वजन उठाने के दौरान
जब व्यक्ति नम और ठंडे मौसम के संपर्क में होता है तो यह लक्षण बढ़ जाते हैं, जबकि गर्म और शुष्क मौसम में यह लक्षण बेहतर होते हैं।
कोकेनम हाइड्रोक्लोरिकम
सामान्य नाम- एल्कालॉयड फ्रॉम इरीथ्रॉक्सिलॉन कोका
लक्षण- यह उपाय उन लोगों के लिए असरदार है, जिन्हें लगता है कि उनकी त्वचा पर सूक्ष्म कीड़े हैं। इस उपाय का उपयोग करने वाले निम्नलिखित लक्षणों को प्रबंधित किया जा सकता है रू
- बेचैनी
- हाथ सुन्न होना, विशेष रूप से आगे के हाथ में
- सोने में कठिनाई
- अल्कोहल का सेवन छोड़ने पर कंपकंपी
- बुखार, जो कि सर्दी जुकाम से जुड़ा होता है
बेलाडोना
सामान्य नाम- डेडली नाइटशेड
लक्षण- बेलाडोना लैंसिंग, तेज और चुभन वाले दर्द के प्रकारों के लिए एक प्रभावी चिकित्सा है, विशेष रूप से जिन्हें स्पॉन्टेनियस पेन होता है। बेलाडोना का उपयोग करके निम्नलिखित लक्षणों का इलाज किया जा सकता है-
- प्रभावित हिस्से में लालिमा और जलन
- जोड़ों में सूजन
- बाहों और पैरों में ठंड लगना
- लंगड़ाना
- उंघाई, लेकिन सोने में दिक्कत
दर्द वाले हिस्से को छूने, लेटने पर और दोपहर के समय में यह लक्षण बिगड़ जाते हैं, जबकि सेमी इरेक्ट पोजिशन (लेटने व बैठने के बीच वाली स्थिति) में बैठने पर लक्षण बेहतर होते हैं।
ऑक्सालिकम एसिडम
सामान्य नाम- सोरेल एसिड
लक्षण- ऑक्सालिकम एसिडम तेज दर्द और लकवा के इलाज में मदद कर सकता है। इस उपाय का उपयोग करके अन्य लक्षणों का इलाज किया जा सकता है-
- थकान
- प्रभावित हिस्से में कमजोरी, सुन्न होना और झुनझुनी
- चिड़चिड़ापन
- दर्द या चुभन वाला दर्द, धीरे-धीरे शरीर के निचले हिस्से को प्रभावित करता है
- रीढ़ में दर्द, जो हाथ पैरों तक फैलता है
यह शिकायत प्रभावित हिस्से को छूने और बाईं ओर लेटने पर बिगड़ती है। इसके अलावा जब व्यक्ति अपने लक्षणों के बारे में अत्यधिक सोचता है तब भी यह लक्षण खराब हो सकते हैं।
जिंकम मेटालिकम
सामान्य नाम- जस्ता
लक्षण- जिंक निम्नलिखित लक्षणों के साथ मरोड़, दर्द और कंपकंपी से राहत देता है-
- दुर्बलता
- वैरिकोज वींस (नसों का असामान्य रूप से बढ़ना, ज्यादातर ऐसा पैरों या टांगों में होता है)
- ऐंठन
- बाहों और हाथों में दर्द और ठंडक
- शोर पसंद न करना
- नींद में दिक्कत
- रात के पसीने के साथ बुखार और कंपकंपी
मासिक धर्म के दौरान, रात के खाने के बाद, 5 से 7 बजे के बीच और प्रभावित हिस्से को छूने पर यह लक्षण बिगड़ जाते हैं। खाते समय लक्षणों में सुधार होता है।
ओलियंडर
सामान्य नाम- रोज-लॉरेल
लक्षण- यह उपाय मरोड़ की समस्या में सहायक है, जो ऐंठन जैसा महसूस करता है। यह निम्नलिखित लक्षणों का इलाज करने में भी मदद कर सकता है जैसे-
- उंगलियों में सूजन और जलन के साथ अकड़न
- जोड़ों का अकड़ना
- निचले अंगों में कमजोरी और लकवा
व्यक्ति के आराम करने पर सभी शिकायतें बिगड़ जाती हैं। टाइट कपड़े पहनने और उतारते समय यह लक्षण बिगड़ जाते हैं।
एकोनिटम नेपेलस
सामान्य नाम- मॉन्कसूद
लक्षण- मॉन्कसूद उन व्यक्तियों के लिए सबसे उपयुक्त है, जो अपने शरीर के आंतरिक अंगों में झुनझुनी, सुन्नता और जलन के साथ ठंड लगने जैसा महसूस करते हैं। यह बेचौनी को ठीक करने के लिए भी शानदार उपाय है। इस उपाय का उपयोग करके निम्नलिखित लक्षणों को प्रभावी ढंग से प्रबंधित किया जा सकता है-
- प्रभावित हिस्से में दर्द और जकड़न
- चेहरे पर लालिमा और सूजन
- सोने में कठिनाई
- नसों में दर्द, विशेष रूप से चेहरे वाले हिस्से में
- भौहों के बीच वाले हिस्से में दर्द
विशेष रूप से शाम और रात में, शुष्क और ठंडी हवाओं के संपर्क में आने पर यह लक्षण बिगड़ जाते हैं। दर्द वाले हिस्से के बल लेटने और धूम्रपान भी लक्षणों को खराब करता है। खुली हवा में बाहर जाने पर लक्षण बेहतर होते हैं।
होम्योपैथी के अनुसार न्यूरोपैथिक दर्द के लिए आहार और जीवन शैली में बदलाव -
होम्योपैथिक डॉक्टर अक्सर उपचार के साथ-साथ आहार और जीवन शैली में कुछ बदलाव करने की सलाह देते हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि होम्योपैथिक दवाओं को प्राकृतिक पदार्थों से घुलनशील रूप में बनाया जाता है, जिन्हें बाहरी कारक आसानी से प्रभावित कर सकते हैं, ऐसे में निम्नलिखित सलाह को अपनाना जरूरी है रू
क्या करना चाहिए-
- व्यक्तिगत और पर्यावरणीय स्वच्छता बनाए रखें।
- नैदानिक स्थिति के अनुसार उपयुक्त खाद्य पदार्थ खाएं।
- शारीरिक रूप से सक्रिय रहें और खुली व ताजी हवा में समय बिताएं।
क्या नहीं करना चाहिए-
- उन खाद्य पदार्थों को न खाएं या पिएं, जिनमें औषधीय गुण होते हैं या डॉक्टर ने आपको खाने से मना किया है
- तेज गंध वाली कैफीन और पेय पदार्थ न पिएं
- मसालेदार भोजन से बचें
- अधिक मीठे या नमकीन भोजन का सेवन न करें
- ऐसे कार्य न करें, जिनसे बेचौनी महसूस हो सकती है जैसे, क्रोध करना और दुख मनाना
- नम वातावरण से बचें
विशेषः मुकेश शर्मा होम्योपैथी के एक अच्छे जानकार हैं जो पिछले लगभग 25 वर्षों से इस क्षेत्र में कार्य कर रहे हे। होम्योपैथी के उपचार के दौरान रोग के कारणों को दूर कर रोगी को ठीक किया जाता है। इसलिए होम्योपैथी में प्रत्येक रोगी की दवाए दवा की पोटेंसी तथा उसकी डोज आदि का निर्धारण रोगी की शारीरिक और उसकी मानसिक अवस्था के अनुसार अलग.अलग होती है। अतः बिना किसी होम्योपैथी के एक्सपर्ट की सलाह के बिना किसी भी दवा सेवन कदापि न करें।
ऐसा भी हो सकता है कि आपकी दवा कोई और भी हो सकती है और कोई दवा आपको फायदा देने के स्थान पर नुकसान भी कर सकती है। अतः आपको सलाह इी जाती है कि बिना किसी चिकित्सीय परामर्श के किसी भी दवा का सेवन न करें। इससे आपको फायदा न होकर नुकसान भी हो सकता है।
डिसक्लेमरः प्रस्तुत लेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के अपने हैं।