World Asthma Day Special Publish Date : 02/05/2023
World Asthma Day Special
विश्व दमा दिवस 2023: World Asthma Day 2023
डॉ0 आर. एस. सेंगर एवं मुकेश शर्मा
विश्व दमा दिवस अर्थात World Asthma Day 2023 पर एलर्जिक अस्थमा, कारण उपचर एवं इससे बचाव के तरीके-
दोस्तो, आज यानी 02 मई 2023 को वर्ल्ड अस्थमा डे सेलिब्रेट किया जा रहा है। इस दिन इस घातक रोग के प्रति लोगों में जागरूकता पैदा की जा रही है। इसलिए आज के इस लेख में हम एलर्जिक अस्थमा के होम्योपैथिक उपचार एवं इससे बचाव के तरीकों के बारे में बात करेंगे-
दोस्तों, अस्थमा की समस्या के होने पर इससे प्रभावित लोगों को सांस लेने में परेशानी का समाना करना पड़ता है। इसके अन्तर्गत एलर्जी के बढ़ जाने से कई लोगों को बार-बार के अटैक आते हैं। हालांकि, कई लोगों में इस समस्या की शुरूआत बचपन से होती है तो कुछ लोगों में यह समस्या समय के साथ बाद शुरू हो सकती है। जबकि होम्योपैथिकी के उपचार से आप इस समस्या से निजात पा सकते हैं।
एलर्जिक अस्थमा के कारण
सबसे पहले हम आपको बता दें कि एलर्जिक अस्थमा के विभिन्न कारण हो सकते हैं, जबकि इसका मेन कॉज आनुवांशिक माना जाता है। यदि किसी व्यक्ति के माता-पिता या उसके दादा-दादी या घर के किसी अन्य बुजुर्ग को पहले कभी अस्थमा की प्रॉब्लम हुई है तो ऐसे में उसको भी यह समस्या होने की उच्चतम सम्भावनाएं होती है।
एलर्जिक अस्थमा का उपचार
एलर्जिक अस्थमा के होने पर डॉक्टर सबसे पहले प्रभावित व्यक्ति को इस एलर्जी के कारकों को दूर करने की सलाह देते हैं और इसके बाद ही उसका उपचार शुरू किया जाता है।
होम्योपैथिक दवाओं से एलर्जिक अस्थमा का उपचार
होम्योपैथी के चिकित्सक अपनी पहली विजिट में प्रभावित व्यक्ति के साथ बात करने में लगभग 90 मिनट खर्च करते हैं। इस दौरान वे रोगी के परिवार की हिस्ट्री, उसके वातावरण,, शारीरिक स्थिति, मानसिक पोजीशन आदि के बारे में विस्तृत जानकारी हासिल करने के बाद ही उसके लिए होम्योपैथिकी की दवा का निर्धारण करते हैं।
दमा की कारगर होम्योपैथिक दावईयाँ
सर्दी का मौसम शुरू होते ही सबसे अधिक परेशानियाँ अस्थमा यानि कि दमा के रोगियों को होती है, जो कि साँस से सम्बन्धित रोगों में सर्वार्धिक कष्टकारी रोग होता है। दमा एक यूनानी शब्द है, जिसका हिन्दी में अर्थ होता है जल्दी- जल्दी साँस लेना या ‘साँस के लिए जोर लगाना’।
क्या होता है अस्थमा
अस्थमा एक ऐसी अवस्था होती है, जिसके अन्तर्गत व्यक्ति के श्वसन मार्ग में किसी प्रकार की कोई रूकावट जैसे कि सूजन, सिकुडन अथवा कफ आदि आ-जाती है और इस रूकावट के कारण ही रोगी को साँस लेने और बलगम को बाहर निकालने में तकलीफ होने लगती है। इससे रोगी की साँस फूलने या साँस नही आने के दौरे पड़ने लगते है, और रोगी साँस लेने के लिए तड़फता है।
अस्थमा कितने प्रकार का होता है-
अस्थमा दो प्रकार का होता है-
(1) बाहरी अर्थात (Extrisic)
इस प्रकार का अस्थमा छोटे बच्चों या किशोरावस्था में होता है। जिन लोगों को बचपन में एक्जिमा की (Skin–Diasease) शिकायत रहती है, उनके परिवार (Family) के किसी सदस्य को अस्थमा का रोग रहता है यानि कि यह अनुवांशिक होता है। इस प्रकार के अस्थमा का अटैक रूक-रूक कर होता है और रोगी जल्द ही सम्भल जाता है।
(2) भीतरी यानि (Intrinsic)
इस प्रकार का अस्थमा अधिकतर 35 वर्ष की आयु के लोगों को होता है। उन्हे अपने बचपन में किसी भी प्रकार के चर्मरोग (Skin Diseases) की शिकायत नही रहती है और न ही उनके परिवार के किसी सदस्य को अस्थमा का रोग रहता है। इस प्रकार के अस्थमा में अटैक अचानक और बहुत तेज (Severe) होता है। किसी प्रकार के इन्फेक्शन अथवा कसरत के बाद इस प्रकार के अस्थ्मा का अटैक पड़ता है।
अस्थ्मा के कारण
- ठंड़ी हवा या कोहरे के द्वारा
- साँस की नली में वायरल इन्फेक्शन (Viral Infection of the Respiratory Tract) के कारण
- किसी दवाई के साईड-इफ्ेक्ट के कारण
- धूल, धुएँ, पेन्ट या किसी अन्य प्रकार की (अगरबत्ती या इत्र आदि) की गंध के कारण
- तनाव के कारण
- किसी प्रकार की एलर्जी के कारण
- वातावरण के कारण
- गलत खान-पान की आदत के कारण
अस्थम के लक्षण
- रोगी को साँस लेने में कठिनाई का अनुभव होता है, और रोगी को मुँह से साँस लेना पड़ता है।
- रोगी को अधिकतर सूखी खाँसी आती है।
- रोगी की साँसे तेज-तेज चलती हैं।
- रोगी का बलगम (Sputum) कभी-कभी डौरी के जैसा लम्बा खिचता है।
- रोगी जब मुँह से साँस लेता है तो उसमें सीटी जैसी आवाजे आती हैं।
- जब अस्थमा का अटैक पड़ता है तो रोगी लेट नही पाता है।
- रोगी की छाती में (Chest) जकड़न और दर्द रहता है।
- रोगी बहुत जल्दी थक जाता है और हाँफने लगता है।
- रोगी के गले में बलगम (Sputum) चिपक जाता है, बलगम निकालने के लिए रोगी को बार-बार खाँसना पड़ता है।
- रोगी को रात्री में अधिक परेशानियाँ होती है।
- रोगी कमजोरी महसूस करता है।
अस्थमा किस समय बढ़ता है-
- अस्थमा अधिकतर रात या सुबह-सुबह बढता है।
ऽ अस्थमा में व्यायाम (Exercise) के बाद भी वृद्वि होती है।
ऽ वर्षा ऋतु अथवा सर्द मौसम में भी अस्थमा में वृद्वि होती है।
ऽ ठण्ड़ी हवा अथवा कोहरे में अस्थमा में वृद्वि होती है।
अस्थमा के रोगी को क्या परहेज एवं सावधानियाँ बरतनी चाहिए-
अस्थमा के रोगी को ठण्ड़ तथा खट्टी वस्तुओं से परहेज बरतना चाहिए। विशेष रूप से दही, छाछ और कसैले ठण्ड़ी प्रकृति के फलों एवं आइसक्रीम आदि बर्फ से बनी चीजों से।
फेफड़ों की सूजन को दमा कहते हैं इसके चार लक्षण होते हैं- खाँसी, साँस, छाती का कड़ा होना, साँस का छोटा होना। खाँसी आना, खरखराहट होना, सीटियाँ सी बजना, सीने में कसाव होना तथा (Suffocation) घुटन का होना यही दमा होता है।
S. N. | Name of medicine | Symptoms |
.1. | Arsenic Album | यदि मरीज सीलन वाले स्थान पर रहता है और मरीज की छाती में जकड़न हो जाती है और उसको गडगडाहट के साथ बलगम आ रहा है तो यह दवा काफी असरदार है। |
2. | Antim Tart | यदि मरीज सीलन वाले स्थान पर रहता है और मरीज की छाती में जकड़न हो जाती है और उसको गडगडाहट के साथ बलगम आ रहा है तो यह दवा काफी असरदार है। |
3. | Ipecac | अगर मरीज को सूखी खाँसी बहुत अधिक आ रही है और रोगी का चेहरा खाँसते-खाँसते नीला पड़ जाता है। |
4. | Natrum Sulf | पीलें रंग का बलगम, सांस का फूलना सुबह के समय पीला बलगम आना। |
5. | Spongia | सूखी खाँसी, छाती में सूखापन। |
6. | Nux Vomica |
शाम और रात में अस्थ्मा के अटैक पड़ने पर बेहतरीन काम करती है। |
7. | Kali Sulph | लगातार खाँसी का आना, सीने में रूखापन, सूखापन गर्म चीजों से आराम। |
8. | Bryata Carb | बुजुर्ग लोागें के अस्थमा की बहुत अच्छी दवाई, बलगम को बाहर निकालने की ताकत ही न बचे। |
9. | Senega | यह दवा भी बुजुर्गों के लिए अच्छी दवाई हैं, सीने में जकडन और खाँसी। |
10. | Bromium | सीने में बहुत अधिक कसाव के लिए। |
11. | Bryonia | थोड़ा सा चलने के बाद सांस फूलने पर। |
12. | Aconiticum | ठंण्ड़ी से परेशानी के बढ़ने में। |
13. | Blata Ori. | रोगी का दम घुटता है, साँस नहीं ले पाता है, पस जैस बलगम निकलता है, रोगी लेट नही पाता है, साँस की नलियों में सूजन रहती है, यह अस्थमा के अैटक को कम करती है। |
14. | Carbo Veg. | वृद्वजनों का अस्थमा, फेफड़ों से खून आता है, बहुत अधिक डकारें आती है, साँस में सीटियाँ सी बजती हैं, गले में खुजली होती है तथा रोगी की आवाज भी फटी-फटी सी रहती है। |
15. | Pothos |
धूल, धुआ तथा गर्द आदि से साँस की परेशानी का बढ़ना। |
16. |
Combination for Asthma Blata Ori.–Q Pothos-Q Grindelia-Q Aspidosperma-Q Lobelia-Q |
प्रत्येक मूल अर्क को बराबर मात्रा में लेकर इन्हें आपस में अच्छी तरह से मिलाकर 20-20 बूँद सुबह, दोपहर और शाम को रोगी को सेवन कराएं लगभग एक महीने के बाद रोगी को अच्छा फर्क महसूस होगा। दवाओं का प्रयोग लगातार छह माह तक करे तो रोग पूरी तरह से ठीक होगा। |
विशेषः मुकेश शर्मा होम्योपैथी के एक अच्छे जानकार हैं जो पिछले लगभग 25 वर्षों से इस क्षेत्र में कार्य कर रहे हे। होम्योपैथी के उपचार के दौरान रोग के कारणों को दूर कर रोगी को ठीक किया जाता है। इसलिए होम्योपैथी में प्रत्येक रोगी की दवाए दवा की पोटेंसी तथा उसकी डोज आदि का निर्धारण रोगी की शारीरिक और उसकी मानसिक अवस्था के अनुसार अलग.अलग होती है। अतः बिना किसी होम्योपैथी के एक्सपर्ट की सलाह के बिना किसी भी दवा सेवन कदापि न करें।
इसमें ऐसा भी हो सकता है कि आपकी दवा कोई और भी हो सकती है और कोई दवा आपको फायदा देने के स्थान पर नुकसान भी कर सकती है। अतः बिना चिकित्सीय परामर्श के किसी भी दवा का सेवन न करें। इसके लिए आप फोन न0. 9897702775 पर भी सम्पर्क कर सकते हैं।
डिसक्लेमरः प्रस्तुत लेख में व्यक्त किए गए विचार लेखकगण के अपने हैं।