टिनिटस अर्थात सिर या कान से आवाज आने का होम्योपैथिक उपचार Publish Date : 23/05/2024
टिनिटस अर्थात सिर या कान से आवाज आने का होम्योपैथिक उपचार
डॉ0 राजीव सिंह एवं मुकेश शर्मा
क्या है टिनिटस
टिनिटस कानों से संबंधित ऐसी समस्या है जिसमें किसी व्यक्ति को बाहरी आवाज की अनुपस्थिति में भी सिर या कानों में कुछ प्रकार की आवाज़ें सुनाई देती हैं। ये ध्वनियाँ कभी-कभार हो सकती हैं या फिर यह लगातार भी महसूस की जा सकती हैं।
यह समस्या मध्य और भीतरी कान में गड़बड़ी के कारण उत्पन्न होती हैं और बेहद परेशान करने वाल हो सकती हैं। जानकार मानते हैं कि होम्योपैथिक दवाएं इस समस्या से प्रभावित लोगों की मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
ऐसा भी माना जाता है कि समय के साथ होम्योपैथिक दवाएं रोग की तीव्रता और आवृत्ति को कम करने की क्षमता रखती हैं। जो लोग रोग की शुरुआत में ही इलाज शुरू करते हैं और 4-6 महीने तक इलाज जारी रखते हैं, उन्हें सबसे अधिक इसका लाभ प्राप्त होता है।
होम्योपैथिक दवाएं अकेले या निर्धारित अन्य दवाओं के साथ ली जा सकती हैं और इनका कोई साइड इफ्ेक्ट, प्रतिकूल या दुष्प्रभाव नहीं होता है।
विशेष- टिनिटस कानों से संबंधित ऐसी समस्या है जिसमें किसी बाहरी शोर की अनुपस्थिति में भी सिर या कानों में आवाज़ें सुनाई देती हैं। यह समस्या मध्य और भीतरी कान में गड़बड़ी के कारण उत्पन्न होती हैं और बेहद परेशान कर सकती हैं। होम्योपैथिक दवाएं इस समस्या में बेहद प्रभावी पाई गयी हैं। शुरुआती चरण पर ही इलाज कराने से अधिक लाभ प्राप्त होता है।
टिनिटस होने के कारण
चक्कर आना, टिनिटस और कम सुनाई देना इसके प्रमुख लक्षण हैं। टिनिटस होने के कुछ प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं-
कॉक्लीया क्षति
कॉक्लिया आंतरिक कान का भाग है। उम्र के साथ, शोर, ड्रग्स आदि से होने वाले आघात कॉक्लिया को खराब करने का कारण बनते हैं, जिसके परिणामस्वरूप इस प्रकार की आवाजें अनुभव की जाती हैं।
अंग्रेजी दवाओं के कुप्रभाव
कुछ दवाओं का अति उपयोग जैसे एस्पिरिन, एंटीबायोटिक्स और कुनैन आदि के अपने कुछ दुष्प्रभाव होते हैं।
संक्रमण
ओटिटिस मीडिया संक्रमण का एक रूप है जो आमतौर पर बच्चों को प्रभावित करता है
ईयरवैक्स
अत्यधिक वैक्स टिनिटस को बढ़ा सकता है ।
ट्यूमर
ध्वनिक न्यूरोमा या ट्यूमर श्रवण तंत्रिका को प्रभावित करता है।
टीएमजे रोग
टेम्पोरोमैंडिबुलर ज्वाइंट के कारण एक क्लिक जैसी ध्वनि सुनाई जे सकती है।
मेनियार्स रोग
इस रोग का सटीक कारण अज्ञात है; हालाँकि कान के भीतर एक द्रव-असंतुलन इस स्थिति का कारण बनता है। रक्त की कमी, हाइपोथायरायडिज्म, बढ़ा हुआ रक्तचाप टिनिटस का कारण हो सकते हैं।
विशेष - यह बीमारी उम्र या किसी अन्य वजह से कॉक्लीय में क्षति के कारण भी हो सकती है। इसके अलावा यह दवाओं, वैक्स, ट्यूमर या किसी अन्य चिकित्सकीय कारणों से भी हो सकती है।
टिनिटस के लिए होम्योपैथिक उपचार
इन टिनिटस हमलों से बचने के लिए आमतौर पर नमक प्रतिबंध की सलाह दी जाती है।
होम्योपैथी में कुछ बहुत प्रभावी दवाएं हैं जो टिनिटस जैसे अनुपचारित संक्रमण और सूजन को दूर करने के साथ-साथ कान के भीतर तरल पदार्थ को प्रभावित करने में भी मदद करती हैं।
कैलकेरिया कार्बाेनिका
जब टिनिटस में ध्वनि के अलावा वर्टिगो का भी अनुभव किया जाता है तो ऐसे मामलों में कैलकेरिया कार्बाेनिका नामक होम्षेपैथिक दवा का सेवन करने की सलाह दी जाती है। जिन लोगों को सुनने में समस्या होती है, या कानों में दरारें और स्पंदन की अनुभूति होती है उन लोगों को भी यह दवा दी जाती है।
जिन लोगों को इस उपाय की आवश्यकता होती है वे आमतौर आसानी से थक जाते हैं, मीठा खाना अधिक पसंद करते हैं, और अस्वस्थ होने पर वे अपने आप को अभिभूत और चिंतित महसूस करते हैं।
चिनिनम सल्फ्यूरिकम
कुछ लोगों के लगातार कानों में भिनभिनाहट, घंटी बजने और गर्जन की आवाजें सुनाई दोती हैं , ऐसे में इस उपाय की आवश्यकता का सुझाव दिया जाता है। जिन लोगों को ठंड लगती है और चक्कर आता है और उनके टिनिटस के लक्षण अक्सर बदतर हो जाते हैं उन्हें भी यह दवा फायदा पहुंचा सकती है।
ग्रेफाइट्स
यह उपाय उस व्यक्ति के लिए फायदेमंद हो सकता है जिसे बहरेपन के साथ टिनिटस की समस्या है। कानों में हिसिंग और क्लिक की आवाजें अक्सर सुनाई देती हैं या गोलियां चलने जैसी तेज आवाजें भी सुनाई दे सकती हैं।
जिन लोगों को इस उपाय की आवश्यकता होती है उनमें कब्ज, खराब एकाग्रता और त्वचा के फटने की प्रवृत्ति भी हो सकती है।
लाइकोपोडियम
यह दवा उन लोगों को लाभ पहुंचाती है जिन्हें कानों में गुनगुनाहट और गर्जना सुनाई देने के साथ, सुनने की हानि भी होती है। लाइकोपोडियम की आवश्यकता वाले लोगों में अक्सर निर्वहन के साथ-साथ पुरानी पाचन समस्याओं या मूत्र पथ की शिकायतों के साथ कान के संक्रमण की प्रवृत्ति होती है।
कार्बाे वेजिटेबिलिस
यह दवा उस स्थिति में उपयोगी होती है यदि रोगी के कानों में आवाज़ आना, फ्लू या चक्कर और मतली से जुड़ी अन्य स्थितियां होती हैं। रोगी में शाम और रात में लक्षण गंभीर हो सकते हैं। रोगी ठंड और बेहोशी महसूस कर सकता है, लेकिन आमतौर पर ताजी हवा के लिए तरसता है। कार्बाे वेजिटेबिलिस तब भी मददगार होती है जब कोई बीमारी लंबी खिंच गई हो या रिकवरी धीमी हो।
चाइना (सीना)
इसे सिनकोना ऑफिसिनैलिस भी कहा जाता है। यह दवा अक्सर उन लोगों के लिए मददगार होती है जो शोर और टिनिटस के प्रति संवेदनशीलता के साथ संवेदनशील, कमजोर और घबराए हुए महसूस करते हैं।
उल्टी, दस्त, भारी पसीना, और सर्जरी या खून की कमी से जुड़ी अन्य स्थितियों के माध्यम से तरल पदार्थ की कमी हो जाने के बाद अक्सर इसे लेने की सलाह दी जाती है।
कॉफ़ी क्रुडा
यह दवा टिनिटस के साथ एक उत्तेजित, घबराए हुए व्यक्ति के लिए मददगार हो सकती है। इस दवा को लेने वाले रोगियों को के कान बेहद संवेदनशील होते हैं और सिर के पिछले हिस्से में भनभनाहट की भावना भी हो सकती है।
जिन लोगों को इस उपाय की आवश्यकता होती है उन्हें अक्सर मानसिक अतिउत्तेजना से अनिद्रा होती है।
काली कार्बाेनिकम
इस दवा से कानों में बजने या गर्जन के साथ टिनिटस, क्रैकिंग की आवाज़ और खुजली से राहत मिल सकती है। अचानक मुड़ने पर अनुभव होने वाला वर्टिगो एक और संकेत है जिसमें यह दवा दी जा सकती है।
जिन लोगों को इस उपाय की आवश्यकता होती है, वे अक्सर कठोर नियम कानून वाले होने के साथ काफी रूढ़िवादी होते हैं। वे पेट के क्षेत्र में चिंता महसूस करते हैं।
नैट्रम सैलिसिलिकम
कानों में बजने वाली आवाज़ धीमी, गुंजन जैसी हो तो यह उपाय फ़ायदेमंद हो सकता है। इस दवा को लेने वालों के लक्षणों में बोन कंडक्शन से संबंधित श्रवण हानि, साथ ही नर्व इंटरफियरेंस और चक्कर शामिल हो सकते हैं।
नेट्रम सैलिसिलिकम एक उपयोगी उपाय है जब इन्फ्लूएंजा के बाद या मेनियार्स रोग के साथ टिनिटस और थकान होती है।
सैलिसिलिकम एसिडम
यह दवा टिनिटस के कारण बहुत तेज गर्जना या बजने वाली आवाज़ सुनाई देने पर दी जाती है, जो बहरेपन या चक्कर के साथ हो सकता है। ऐसे रोगियों में समस्या फ्लू से शुरू हो सकती है, या मेनियार्स रोग वाले व्यक्ति में हो सकती है। अगर टिनिटस बहुत अधिक एस्पिरिन के कारण होता है तो सैलिसिलिकम एसिडम भी मददगार हो सकता है।
निष्कर्ष
टिनिटस में होम्योपैथिक दवाएं काफी प्रभावी हैं। समय के साथ ध्वनि के हमलों की तीव्रता और आवृत्ति को कम करने की क्षमता रखती हैं। होम्योपैथिक दवाएं अकेले या निर्धारित अन्य दवाओं के साथ ली जा सकती हैं। इनका कोई प्रतिकूल या दुष्प्रभाव नहीं होता है।
लेखक: मुकेश शर्मा होम्योपैथी के एक अच्छे जानकार हैं जो पिछले लगभग 25 वर्षों से इस क्षेत्र में कार्य कर रहे हे। होम्योपैथी के उपचार के दौरान रोग के कारणों को दूर कर रोगी को ठीक किया जाता है। इसलिए होम्योपैथी में प्रत्येक रोगी की दवाए दवा की पोटेंसी तथा उसकी डोज आदि का निर्धारण रोगी की शारीरिक और उसकी मानसिक अवस्था के अनुसार अलग.अलग होती है। अतः बिना किसी होम्योपैथी के एक्सपर्ट की सलाह के बिना किसी भी दवा सेवन कदापि न करें।
डिसक्लेमरः प्रस्तुत लेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के अपने हैं।