कोविड़ शील्ड के दुष्प्रभावों का प्रबन्धन करने वाली कुछ होम्योपैथिक दवाएं

कोविड़ शील्ड के दुष्प्रभावों का प्रबन्धन करने वाली कुछ होम्योपैथिक दवाएं

                                                                                                                                                                        डॉ0 राजीव सिंह एवं मुकेश शर्मा

कोविड शील्ड वैक्सीन के चलते रक्त में थक्का जमने की समस्या अब आम होती जा रही है। इसके चलते हार्ट ब्लॉक या हार्ट फेल्योर की स्थिति बनती है जिसके कारण सम्बन्धित व्यक्ति की असमय मौत भी हो जाती है और इसके अलावा वह व्यक्ति पर्मानेंट डिसेबल अर्थात पूर्ण रूप से अपाहजि भी हो सकता है। क्योंकि रक्त में जमने वाला यह थक्का आपके शरीर को भी प्रभावित कर सकता है। अपनी आज की इस पोस्ट में हम इसीके बारे में बात करने जा रहें हैं और आपके मन में उठने वाले समस्त प्रश्नों का जवाब देने का प्रयास करते हैं। अतः आपसे अपेक्षा करते हैं कि आप इस पोस्ट के प्रत्येक शब्द को ध्यान और समझदारी से पढ़ते हुए अपनी सभी आशंकाओं का निवारण करेंगे-

                                                                             

क्या होता है रक्त का थक्का बनना (टीटीएस)-

                                                         

किसी प्रकार चोट लगने पर या तो हमारे शरीर से खून बहना शुरू हो जाता है या वहाँ एक गूमड़ा सा बन जाता है। जब हमारे शरीर से चोट लगने के कारण बाहर खून बहने लगता है तो इसे आउटर ब्लीडिंग और जब खून के जमा हो जाने कारण यह गूमड़ बना जाता है तो इसे इनर ब्लीडिंग कहते हैं। इस प्रकार से बहते हुए खून को हमारी प्लेटलेट्स रोकने का काम करती हैं तथा इस प्रक्रिया को रक्त का थक्का जमना या थ्रोम्बोसिस कहते हैं।

    हालांकि कुछ लोग अन्य कई बीमारियो से पीड़ित भी होते हैं जिनके चलते उन्हें यह की परेशानी होती ही रहती हैं। हम सभी जानते हैं कि कोविड-19 कितनी खतरनाक महामारी थी और इसके कारण न जाने कितने ही लोगों को अपनी जान गवानी पड़ी। कोविड-19 के विश्द्व काम करने वाली वैक्सीन आपके शरीर के अन्दर जाएगी तो यह आपके शरीर में अंदरूनी सूजन या इम्फ्लेमेशन करती है, ऐसे में यह थ्रोम्बोसिस बनना एक आम सी बात है यानी कि यह किसी को भी बन सकते हैं।

    ऐसे में जब थ्रोम्बोसिस को डिसोल्व करने के लिए जितनी मात्रा में रक्त की प्लेटलेट्स की मात्रा की आवश्यकता होती है और रक्त की जांच करने के बाद यह प्लेटलेट्स की मात्रा कम पायी जाती है। यह थ्रोम्बोसिस आपके शरीर में कहीं भी जैसे दिल, लंग्स, हाथ और पैर या शरीर के किसी भी हिस्से में बनने लगते हैं और आपके शरीर में कहीं भी बन सकते हैं। थ्रोम्बोसिस बनने की यह प्रकिक्रया ही थ्रोम्बोसिस या रक्त में थक्कों का बनना या टीटीएस कहलाती है।

ऐसा नही है कि यह परेशानी वैक्सीन लेने वाले सभी लोों को हो लेकिन यह डायबिटिक लोगों, जिन्हें हार्ट सम्बन्धी कुछ परेशानी पहले से ही हो, लीवर सम्बन्धी परेशानी या किडनी से सम्बन्धित परेशानी हो उन्हे यह समस्या प्राथमिकता से हो सकती है। ऐसे में जिन लोगों की इम्यूनिटी कमजोर होती है, कमजोरी होती है और ऐसे लोग जब लम्बी यात्रा कर लेते हैं या कुछ इौर मेहनत का काम करते हैं तो उन्हें भी यह समस्या हो सकती है। हालांकि कोरोना की वैक्सीन लेने के बाद यह स्थिति एक आम रूप से देखी जा रही है।

कोविड की वैक्सीन लेने वाले लोगों के शरीर में जो इस वायरस के विरूद्व काम करने के लिए जो वैक्सीन दिया गया है यह इीक उसी प्रकार से काम करती है जिस प्रकार से कि कोरोना का वायरस। बस केवल इसका प्रभाव उस वायरस के मुकाबले कुछ कम होगा, तो जब यह वैक्सीन आपके शरीर में अन्दर जायेगी तो आपको सूजन आदि होने के कारण थ्रोम्बोसिस की समस्या हो सकती है। यह समस्या सिगरेट, शराब को सेवन करने वाले, अनहैल्दी फूड का सेवन करने वाले, कमजोर लंग्स, कमजोर किडनी और लीवर से ग्रस्त मरीजों में इसके लक्षण जल्द ही डेवलेप हो सकते हैं।

थ्रोम्बोसिस टीटीएस) के लक्षण- आमतौर पर टीटीएस के कुछ खास लक्षण देखने में नही आते हैं। यह लक्षण बहुत कम ही दिखई देते हैं। यह लक्षण उस समय दिखाई देते है जब मरीज के शरीर में अधिक थक्के बनने लगे, अदरूनी सूजन में बढ़ोत्तरी होने लगे।

इसके प्राइमरी लक्षणों में

  • मरीज की साँस फूलने लगती है।
  • मरीज को अधिक थकान हो सकती है।
  • शरीर में भयंकर दर्द हो सकता है।
  • पेट में बहुत तेज या फिर बार-बार होने वाला दर्द हो सकता है।
  • सर में बहुत तेज या फिर बार-बार होने वाला दर्द हो सकता है।
  • मरीज की पल्स रेट कम हो सकती है।
  • मरीज बेहोश हो सकता है या बेहोशी के कारण गिर भी सकता है।
  • मरीज की धड़कने अनियिमित हो सकती है या वे अचनाक ही बढ़ सकती हैं।
  • कुछ लोगों में चेस्ट पेन या हार्ट पेन के लक्षण भी आ सकते हैं।

थ्रोम्बोसिस (टीटीएस) की समस्या को कम करने वाली होम्योपैथिक दवाईयाँ-

                                                                  

1.   आर्निका मोन्टाना- शरीर में कहीं भी ब्लड क्लॉट को नार्मल करने के लिए एक बहुत अच्छी दवा मानी जाती है। ब्लड क्लॉट से छुटकारा पाने के लिए आर्निका मोन्टाना-30 सीएच की दो बूँद सुबह और दो बूँद रात को चार से पाँच महीने तक रेगुलर सेवन करने से यह समस्या दूर हो जाती है।

2.   थूजा ऑक्सीडेन्टेलिस- वैक्सीनेशन, चाहे वह कोरोना वक्सीन हो या बच्चों की होने वाली सामान्य वैक्सीनेशन के बाद होने वाले तमाम साइड इफ्ेक्ट्स को दूर करने में थूजा का कोई जवाब नही है। थूजा-200 की एक खुराक साप्ताहिक रूप से 8-10 सप्ताह तक लगातार लेने से आपकी समस्या का समाधान होगा।

3.   तीसरे नंबर की दवा एक कॉम्बिनेशन है जिसमे दो दवाओं का उपयोग किया जाता है जिनमे से पहली दवा है एलियम सटाईवा- क्यू और दूसरी है कैक्टस ग्रैन्ड-क्यू को दिन में दो बार सेवन करे लाभ होगा। शरीर में अधिक कोलेस्ट्रॉल बढ़ा हुआ, अधिक मोटापा, दिल की धड़कन अनियिमित पल्स रेट अनियमित में लाभ होगा।     

लेखक: मुकेश शर्मा होम्योपैथी के एक अच्छे जानकार हैं जो पिछले लगभग 25 वर्षों से इस क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। होम्योपैथी के उपचार के दौरान रोग के कारणों को दूर कर रोगी को ठीक किया जाता है। इसलिए होम्योपैथी में प्रत्येक रोगी की दवाए दवा की पोटेंसी तथा उसकी डोज आदि का निर्धारण रोगी की शारीरिक और उसकी मानसिक अवस्था के अनुसार अलग.अलग होती है। अतः बिना किसी होम्योपैथी के एक्सपर्ट की सलाह के बिना किसी भी दवा सेवन कदापि न करें।

डिसक्लेमरः प्रस्तुत लेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के अपने हैं।