वैरिकोसील के लिए सर्वश्रेष्ठ होम्योपैथिक दवाएं      Publish Date : 04/04/2024

                     वैरिकोसील के लिए सर्वश्रेष्ठ होम्योपैथिक दवाएं

                                                                                                                                                           डॉ0 राजीव सिंह एवं मुकेश शर्मा

    वैरिकोसील अंडकोश (एक थैली जो अंडकोष को धारण करती है) में नसों (पैम्पिनीफॉर्म प्लेक्सस) की असामान्य वृद्धि को संदर्भित करती है। वैरिकोसील से असुविधा हो सकती है लेकिन अधिकतर यह कोई लक्षण पैदा नहीं करता है। यह एक बहुत ही आम समस्या है और लगभग 100 में से 10 से 15 पुरुष इस समस्या से पीड़ित पाए जाते हैं। हालाँकि यह जीवन के लिए ख़तरनाक समस्या नहीं है, लेकिन इससे शुक्राणुओं की संख्या कम हो सकती है और पुरुष बांझपन भी हो सकता है।

                                                                           

    वैरिकोसील एक सर्जिकल समस्या है, परन्तु होम्योंपैथी में बहुत कारगर दवाईयाँ हैं जो इस समस्या का मैनेमेंट कर आपको राहत प्रदान कर सकती हैं। वैरिकोसील एक गम्भीर समस्या होती है जिसके कारण सम्बन्धित व्यक्ति में इंफर्टिलिटी तक कॉज हो सकती है। यह पुरूषों में पायी जाने वाली एक समस्या है और यह इंफफर्टिलिटी यानि कि नंपुंसकता तक को ट्रिगर कर सकती है। हमारे इस लेख में कुछ सर्वश्रेष्ठ होम्योपैथिक दवाईयों का वर्णन किया जा रहा है जो आपको इस गम्भीर समस्या से राहत प्रदान कर सकती हैं।

क्या होता है वैरिकोसील

    पुरूष के वृषण के अंदर जो रक्त लाने और ले जाने वाली रक्तवाहिकाएं होती है, जब किसी कारण से उके रक्त संचार में बाधा आने लगती है तो यह समस्या उत्पन्न होती है। यह स्थिति कष्टदायी और पीड़ादायी स्थिति होती है।

वैरिकोसील के लक्षण

                                                            

    वैरिकोसील की स्थिति में जब सम्बन्धित व्यक्ति खड़ा होता है तो उसे वृषणों में भारीपन और असुविधजनक स्थिति महसूस होती है और इसमें दर्द होता है जो कि व्यक्ति के वृधण से पैर अर्था जंघा (थाई) तक एक्सटेंड करता है और इंफर्टिलिटी इसका सबसे बड़ा लक्षण होता है। हालांकि कुछ लोगों में यह अपने शुरूआती दौर में कोई भी लक्षण प्रदशित नही करता है।

वैरिकोसील के कारण

      वृषण में ब्लड कैरी करनने वाली र्स्पममैटिक कॉड जब डायलेटेड हो जाती है और डायलेटेड होने की स्थिति को ही वैरिकोसील कहते हैं।

वैरिकोसील के लिए होम्योपैथिक दवाएं

सबसे पहले आपको बता दे कि यहाँ दी गई दवाएं निश्चित् रूप से कारगर है, परन्तु आप बिना किसी कुशल होम्योपैथ की सलाह लिए इन दवाओं का सेवन न करें क्योंकि प्रत्येक दवा के कुछ निश्चित लक्षण होते है जिनको जानने के बाद ही एक होम्योपैथिक चिकित्सक किसी भी दवा का सम्बन्धित व्यक्ति के लिए निर्धारण करते हैं। इस परिप्रेक्ष्य में आपके लक्षण कुछ भिन्न भी हो सकते हैं और इस प्रकार से सेवन की गई दवाई आपको लाभ प्रदान के स्थान पर आपको नुकसान भी पहुँचा सकती है।

वैरिकोसील के उपचार के लिए कुछ प्रभावी होम्योपैथिक दवाएं

                                                                   

1. स्टिेफिशग्रियाः- जब वैरिकोसील का कारण बचपन में की गलतियों अर्थात सेल्फ मॉस्टरबेसन के कारण वैरिकोसील की स्थिति उत्पन्न हो जाती है तो इसके निदान के लिए होम्योंपैथी की बहुत अच्छी दवाई है। इसके लिए आप स्टिेफिशग्रिया-30 की दो दो बून्द सुबह, दोपहर एवं रात को ले सकते हैं। यह दवाई आपके वैरिकोसील के साथ आपके शरीर पर सेल्फ मास्टरबेसन के कारण उत्पन्न दुप्रभावों को भी ठीक करने में सक्षम है।

2. हेमेमेलिसः- होम्योपैथी में वैरिकोसील को ठीक करने वाली नंबर एक होम्योपैथिक दवा है हेमेमेलिस। जब वैरिकोसील से प्रभावित व्यक्ति की स्पर्ममेटिक कॉड और उसके वृषणों में सूजन आ जाती है तो आप स्थिति में हेमेमेलिस-30 की दो दो बूँद सुबह, दोपहर और रात में लेकर इस समस्या से निजात पा सकते हैं।

3. बेलाडोनाः- यदि कोई व्यक्ति वैरिकोसील से पीड़ित है और वह बहुत दर्द महसूस करता है तथा यह दर्द ऊपर की ओर जाता है और शाम के समय उसकी समस्याएं बढ़ जाती हैं तो इस स्थिति में वह व्यक्ति होम्योपैथिक मेडिसिन बेलाडोना-200 का दिन में तीन बार सेवन कर सकता है।  यह दवाई आपके दर्द में राहत देगी और वैरिकोसील को भी मैनेज करेगी।

4. रस टॉक्सः- वैरिकोसील से ग्रसित व्यक्ति को जब अण्डक़ोष में हैवीनेस और इचिंग की समस्या का अनुभव होता है और उसे वैरिकोसील की शिकायत हो तो वह इसके लिए रस टॉक्स-एम की दो दो बूँद 15-15 मिनट के अंतर से प्रतिसप्ताह ले सकता है। यह दवाई आपके वैरिकोसील और वृषण में भारीपन के साथ ही इचिंग की समस्या को भी समाप्त करेगी।

5. आमोनियम म्यूरः- जब कोई व्यक्ति वैरिकोसील से ग्रस्त होता है और यह उसके बाएं अण्ड़कोष में होता है तथा उसे खाँसी बहुत आती है तो वह अपने अण्ड़कोष में झटका महसूस करता है तो इस स्थिति को ठीक करने के लिए वह अमोनियम म्यूर- 30 दिन में दो दो बूँ, तीन बार इस स्थिति में ले सकते हैं। यह दवाई खाँसी के साथ ही अण्ड़कोष में झटके लगने की समस्या को ठीक करते हुए वैरिकोसील की समस्या को भी ठीक कर देगी।

6. नक्स वोमिकाः- किसी व्यक्ति को वैरिकोसील की शिकायत है और इसके साथ ही वह नाईटफॉल की अधिकता की समस्या से भी जूझ रहा है। इस दवा का रोगी अपने आपको अपनी महिला मित्र के साथ असहज अनुभव करता है। इस स्थिति में होम्योपैथी की यह दवाई सम्बन्धित व्यक्ति की नाईटफॉल की समस्या आर वैरिकोसील की समस्या को ठीक कर उसे राहत प्रदान करती है।

7. लेकेसिसः- जब व्यक्ति को वैरिकोसील की शिकायत हो और वृषण के ऊपर नीले रंग की नसें दिखाई देती हों और वह डिप्रेस्ेड हो। यदि किसी व्यक्ति में यह तीनों सिम्पटम्स मौजुद हो तो वह लेकेसिस-1एम की तीन खुराक 15-15 मिनट के अंतर से प्रतिसप्ताह ले सकता है। यह दवाई उस व्यक्ति की वैरिकोसील, नसों में नीलेपन और डिप्रेशन की समस्या को ठीक करने में मदद करेगी।

8. पल्सेटिला नाईग्राः- जब किसी व्यक्ति को वैरिकोसील की शिकायत हो और इसके साथ ही उसे हाइड्रोशील हो तथा उसके अण्ड़कोषों में बहुत दर्द हो रहा हो तो सम्बन्धित व्याक्ति पल्ेटिला-30 की दो दो बूँद प्रति दिन तीन बार सेवन कर सकता है। इस दवाई से अण्ड़कोष में दर्द, वैरिकोसील और हाइड्रशील को ठीक करने में उसकी मदद करेगी।

9. ऑर्निका मोन्टानाः- अण्ड़कोष के क्षेत्र में चोट लगने के कारण् उत्पन्न वैरिकोसील की समस्या जब बहुत अधिक दर्दनाक हो तो आप इसके लिए ऑर्निका-1एम की पंद्रह पंद्रह मिनट के अंतर से तीन डोज प्रत्येक सप्ताह ले सकते हैं यह दवाई चारेट के कारण उत्पन्न वैरिकोसील और दर्द की समस्या को ठीक करेगी।

10. क्लेमेटिस इरेक्टाः- दाएं वृषण में वैरिकोसील अथर्रात राईट साईडेड वैरिकोसील को ठीक करने के लिए क्लेमेटिस-30 की दो दो बूँद दिन में तीन बार ले सकते हैं। यह दवाई आपके राईट सायडेड वैरिकोसील को पूरी तरह से ठीक कर देगी।

लेखक: मुकेश शर्मा होम्योपैथी के एक अच्छे जानकार हैं जो पिछले लगभग 25 वर्षों से इस क्षेत्र में कार्य कर रहे हे। होम्योपैथी के उपचार के दौरान रोग के कारणों को दूर कर रोगी को ठीक किया जाता है। इसलिए होम्योपैथी में प्रत्येक रोगी की दवाए दवा की पोटेंसी तथा उसकी डोज आदि का निर्धारण रोगी की शारीरिक और उसकी मानसिक अवस्था के अनुसार अलग.अलग होती है। अतः बिना किसी होम्योपैथी के एक्सपर्ट की सलाह के बिना किसी भी दवा सेवन कदापि न करें।

डिसक्लेमरः प्रस्तुत लेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के अपने हैं।