जलवायु परिवर्तन के कारण इस बार पड़ेगी अधिक गर्मी      Publish Date : 07/03/2024

         जलवायु परिवर्तन के कारण इस बार पड़ेगी अधिक गर्मी

                                                                                                                                                                                        प्रोफेसर आर एस सेगर

विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने जारी किया आंकड़ा इस साल भी तापमान का बढ़ना जारी ही रहेगा

पिछले साल विकसित हुए अलनीनों का प्रभाव वर्ष 2024 में भी दिखाई देगा। प्रशांत महासागर क्षेत्र में उपलब्ध एक भौगोलिक घटना वाले अलनीनो के कारण दुनिया भर में तापमान में वृद्वि हो रही है।

हाल ही में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार अलनीनो की यह दशा, दुनिया भर में रिकॉर्ड तापमान और मौसम से जुड़ी चरम घटनाओं को बढ़ावा देगी। विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने बताया कि भूमि के हर टुकड़े पर मार्च और मई के बीच का तापमान औसत से अधिक ही रहेगा।

संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी ने कहा कि वर्ष 2023-24 की अलनीनों की घटना ने अब तक के पांच सर्वाधिक प्रचंड ला-निनो में से एक होने का रिकॉर्ड कायम किया है।

क्या है अलनीनो

                                                                     

                                                            

“अलनीनो” प्रशांत महासागर क्षेत्र में उत्पन्न होने वाली एक भौगोलिक घटना है, जिसे तापमान में बढ़ोतरी के लिए जाना जाता है। अलनीनो से आश्य मध्य और पूर्वी पोस्ट कटिबंध प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह का समय-समय पर गर्म होने से है और यह औसतन हर क्षेत्र में लगभग 2 से 7 साल में होता है तथा आमतौर पर 9 से 12 महीने तक इसका असर दिखाई देता है।

डब्लयू एम ओ (विश्व मौसम विज्ञान संगठन) ने कहा कि मार्च में के दौरान अलनीनो के बने रहने की लगभग 60 प्रतिशत संभावना है और अप्रैल से जून के दौरान तटस्थ स्थितियां ना तो एलिनीनों और ना ही ला नीना की 80 प्रतिशत संभावना है।

कुछ प्रदेशों को छोड़कर वर्षा अच्छी रह सकती है

भारत में इस घटनाक्रम पर नजर रखने वाले वैज्ञानिकों का मानना है कि जून से अगस्त तक ला नीनो की स्थिति बनने का मतलब यह हो सकता है कि इस साल मानसून की बारिश 2023 की तुलना में बेहतर होगी। कमजोर रुख के बावजूद अलानीनो दुनिया भर की जलवायु को प्रभावित करना जारी रखेगा।

दुनिया भर का तापमान बढ़ाने में ग्रीन हाउस गैसों की है अहम भूमिका

                                                                      

विश्व मौसम विज्ञान संगठन के महासचिव सेमेस्टर साउलो ने कहा कि जून 2023 के बाद से हर महीने में एक नया मासिक तापमान रिकार्ड बनाया है और वर्ष 2023 अब तक के सबसे गर्म वर्ष के रूप में रिकॉर्ड किया गया था। अलनीनो ने इस रिकॉर्ड तापमान में योगदान दिया है, लेकिन उसको रोक कर तापमान बढ़ाने वाली ग्रीनहाउस गैसेज, स्पष्ट रूप से इसका मुख्य कारण है।

मौसम वैज्ञानिकों का मानना है कि अलनीनो का दुनिया की जलवायु पर सर्वाधिक प्रभाव इसके उत्पन्न होने के दूसरे साल में ही देखने को मिलता है और इस प्रकार से वर्ष 2024 में इसका प्रभाव दिखाई देगा। वर्तमान अलनीनो जून 2023 में विकसित हुई, नवंबर और जनवरी के बीच सर्वाधिक प्रचंड थी। इसने पूर्वी और मध्य पोस्ट कटिबंधीय प्रशांत महासागर के लिए 1991 से 2020 के औसत समुद्री सतह तापमान से लगभग 2.02 डिग्री सेल्सियस ऊपर का चरम तप प्रदर्शित किया और इसने इसे अब तक की पांच सर्वाधिक प्रचंड लानिनो घटनाओं में से एक बना दिया है।

अधिक तापमान कर सकता है फसलों को प्रभावित

                                                                             

तापमान के अचानक बढ़ने और इसके फलस्वरूप होने वाली घटनाओं के कारण फसलों पर दुष्प्रभाव पड़ता है। इससे फसलों की वृद्धि एवं उत्पादकता दोनों ही प्रभावित होती हैं। ऐसे में किसान भाइयों को चाहिए कि वह ऐसे बीज और प्रजाति का चुनाव करें जो प्रतिकूल परिस्थिति में भी अच्छी तरह से वृद्धि और उत्पादन देने में सक्षम हो सकें।

किसान भाइयों को चाहिए कि वह खरीफ और रवि तथा जायद के मौसम में जो भी खेती करें, उसके लिए कृषि वैज्ञानिकों से बात कर ऐसी प्रजातियों की बबुआई करें जो अधिक तापमान को सहन कर सकती हो। इसके अलावा उन्हें सहफसली खेती पर भी ध्यान देना होगा, क्योंकि यदि तापमान के कारण एक फसल को नुकसान पहुंचता है तो इसके साथ लगाई गई दूसरी फसल उनको अच्छा उत्पादन प्रदान कर सकती है। अतः किसानों को अपनी आय को बढ़ाने के लिए सहफसली खेती को अपनाना चाहिए।

लेखक : डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।