पर्यावरण की सुरक्षा हेतु मिशन लाइफ Publish Date : 20/01/2024
पर्यावरण की सुरक्षा हेतु मिशन लाइफ
डॉ0 आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 कृषाणु
मिशन लाइफ LIFE Lifetyle for Environment
पर्यावरण के लिए जीवनशैली
‘‘यह शब्द है लाइफ लाइफस्टाइल फॉर एन्वायरमेंट यानी पर्यावरण के लिए जीवनशैली। आज इसकी बहुत अधिक आवश्यकता है कि हम सब एकजुट हो कर पर्यावरण के लिए अनुकूल जीवनशैली अभियान को मिलकर आगे बढ़ाएं। यह पर्यावरण के प्रति सजग जीवनशैली का एक जन आन्दोलन बन सकता है।’’
-नरेन्द्र मोदी, भारत के प्रधानमंत्री
क्या है मिशन लाइफ?
मिशन लाइफ भारत के नेतृत्व में पर्यावरण की रक्षा और उसके संरक्षण के लिए व्यक्तिगत और सामुदायिक कार्रवाई के लिए प्रेरित करने वाला एक वैश्विक जन आन्दोलन है। यूनाइटेड किंगडम के ग्लासगो में आयोजित यूनाइटेड नेशन्स फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (यूएनएफसीसीसी) के कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज़ (कॉप) के 26वें सत्र में भारत के द्वारा जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने के लिए लाइफ- पर्यावरण के लिए जीवनशैली का मंत्र दिया गया। भारत अपने राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) में लाइफ को शामिल करने वाला विश्व पहला देश है।
मिशन लाइफ के उद्देश्य
मिशन लाइफ की दृष्टि को मापनीय प्रभाव में बदलना।
मिशन लाइफ को 2022-27 के दौरान पर्यावरण की रक्षा और संरक्षण के लिए व्यक्तिगत और सामूहिक कारवाई के लिए कम से कम एक अरब भारतीयों और अन्य वैश्विक नागरिकों को जुटाने के उद्देश्य से तैयार किया गया है।
भारत में, सभी गांवों और शहरी स्थानीय निकायों में से कम से कम 80 प्रतिशत को वर्ष 2028 तक पर्यावरण हितैषी बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
इस अभियान का मुख्य उद्देश्य व्यक्तियों और समुदायों का एक ऐसी जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित करना है, जो प्रकृति के अनुकूल हो और प्रकृति को हानि पहुंचाने वाली न हो। इस प्रकार की जीवनशैली अपनाने वाले लोगों को ‘‘प्रो प्लैनेट पीपल’’ (अपने इस ग्रह (पृथ्वी) के प्रति सचेत जन) के रूप में मान्यता मिलती है।
विश्व के लिए यह आवश्यक क्यों है?
- पर्यावरण क्षय और जलवायु परिवर्तन समूची पृथ्वी के पारिस्थितिकी तंत्र और जनसंख्याओं को प्रभावित करता है।
- अब पृथ्वी का तापमान 20 सेल्सियस बढ़ने से अनुमान है कि लगभग अरब लोगों को सूखे के कारण निरन्तर पानी की कमी का सामना करना पड़ेगा।
- यदि प्रत्येक व्यक्ति ने अपने स्तर पर तत्काल कार्यवाई नहीं की तो वर्ष 2050 तक वैश्विक घरेलू उत्पाद में 18 प्रतिशत तक की कमी आ सकती है।
निम्नलिखित उपाय करके भारत की जलवायु परिवर्तन के प्रति व्यावहारिक कटिबद्धता प्रदर्शित की जाएगी।
मिशन लाइफ स्थिरता की ओर तीन मुख्य बदलाव
मांग में परिवर्तन (प्रथम चरण):- विश्वभर में प्रत्येक व्यक्ति को अपने दैनिक जीवन में साधारण किन्तु प्रभावी पर्यावरण हितैषी कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करना।
आपूर्ति में परिवर्तन (द्वितीय चरण):- वैयक्तिक मांग में बड़े पैमाने पर आया व्यापक तौर पर परिवर्तन धीरे-धीर उद्योगों और बाज़ार को परिवर्तित माँग के अनुरूप खरीद और आपूर्ति करने को भी प्रोत्साहित करेगा।
नीति में परिवर्तन (तृतीय चरण):- भारत और विश्व में माँग एवं आपूर्ति में बदलाव लाकर लाइफ अभियान की दीर्घकालिक वृष्टि, औद्योगिक तथा सरकार के स्तर पर बड़े पैमाने पर सतत खपत और उत्पादन में परिवर्तन को प्रोत्साहित करेगा।
यह इस प्रकार से काम करते हैं-
लाइफ, भारत की पर्यावरण हितैषी संस्कृति और पारंपरिक प्रथाओं पर आधारित है। जिसकी रूपरेखा नीचे प्रदान की गई है-
- भारतीय समाज की अनेक पारंपरिक प्रथाएं जैसे जलवायु अनुकूलक वास्तुशिल्प, हाथ धोना और कपड़ों को धूप में सुखाना आदि बिजली खपत में प्रभावी कमी करते हैं। साथ ही पेड़-पौधे पर आधारित खाद्य पदार्थों को वरीयता देना भी लाइफ की नीव के रूप में कार्य कर सकते हैं।
- स्थानीय परिस्थितियों के अनुरूप कई अनूठी जल संचयन तकनीक देशभर में अपनाई जाती है। इनमें से कुछ प्रमुख गुजरात और राजस्थान के सीढ़ीदार कुएं, तमिलनाडु के भूमिगत टंका (टैंक), राजस्थान के जोहड़ (चैक डैम) और नगालैंड की जाबो प्रणाली आदि को शामिल किया जाता हैं और सीढ़ीदार पहाड़ियों पर तालाब जैसी संरचनाओं में जल का संचयन किया जाता है।
- खाना पकाने और परोसने के लिए आमतौर पर मिट्टी के बर्तनों का उपयोग किया जाता है। देशभर में सड़क किनारे संचालित किए जाने वाले ढाबों में पत्तों के बने दौने और पत्तलों पर भोजन और मिट्टी के बने कुल्हड़ों में आज भी चाय परोसी जाती है जो कि बायोडिग्रेडेबल हैं।
मिशन लाइफ का प्रभाव
वर्ष 2022-23 से वर्ष 2027-28 तक की अवधि में एक अरब भारतीय नागरिक इसे सामान्य दैनिक जीवन के रूप को अपनाएंगे तो इससे आप अनुमान लगा सकते हैं कि लाइफ कार्यों का प्रभाव कितना महत्वपूर्ण होगा, जैसा कि कुछ चुने हुए तथ्यों के साथ नीचे देखा जा सकता है-
- लाल बत्ती या रेलवे क्रॉसिंग आदि पर कार एवं स्कूटर आदि का इंजन बन्द करके 22.5 अरब ज्ञॅभ् ऊर्जा तक की बचत की जा सकती है।
- उपयोग में न आ रहा बहता हुआ नल बन्द करके 9 खरब लीटर पानी को खराब होने से बचाया जा सकता है।
- खरीदारी के लिए प्लास्टिक के बैग्स के स्थान पर कपड़े से बने बैग्स का उपयोग कर 37.50 करोड़ टन ठोस कचरा भूमि-भराव में जाने से रोका जा सकता है।
- बेकार हो चुके उपकरण अपने निकटतम रिसायकल इकाई में देने से 7.5 करोड़ टन ई-कचरा एक बार फिर से उपयोग किया जा सकता है।
- बेकार भोजन का घर पर ही कम्पोस्ट बनाने से 15 अरब टन खाद्य-पदार्थ भूमि के भराव में जाने से रोका जा सकता है।
लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।