केले के तने से बनाएं जैविक खाद Publish Date : 13/12/2023
केले के तने से बनाएं जैविक खाद
प्रो0 आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 रेशु चौधरी
केले के तने से कैसे बनाएं जैविक खाद?
हमारे किसान भाई आमतौर पर केले के पेड़ के तने को बेकार समझकर ही फेंक देते हैं तो कभी-कभी खेत में इसको ऐसे ही छोड़ दिया जाता है। इस प्रकार से यह मिट्टी की उर्वरक क्षमता को हानि ही पहुंचाता है। अब तक इस स्थिति से बचने के लिए किसान बेकार समझे जाने वाले इस तने के माध्यम से जैविक खाद बना सकते हैं, और इससे किसान अच्छी कमाई भी कर सकते हैं
जैविक खाद से उपजाए गये फसल उत्पादों की डिमांड आजकल बहुत है। अत: इसका उपयोग कर किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।
यदि देखा जा जाए तो वर्तमान समय में पढ़े लिखे लोग भी खेती की ओर रूख कर रहे हैं। जो नई-नई तकनीकी का उपयोग कर खेती को एक बंपर मुनाफे वाला बिजनेस बना रहे हैं। ऐसे में यदि कोई आम किसान भी खेती के माध्यम से बंपर कमाई करना चाहता हैं, तो आज हम अपने इस लेख के माध्यम से एक बहुत ही उपयोगी जानकारी प्रस्तुत करने जा रहे हैं।
आज हम केले के एक ऐसे प्रोडक्ट के बारे में बात कर रहे हैं, जिसे अक्सर किसान भाई बेकार ही समझकर फेक देते हैं। वास्तव में केले का बेकार समझे जाने वाला यही प्रोडक्ट किसानों के लिए बंपर कमाई का बेहतर माध्यम भी बन सकता है। हम किसान भाईयों को केले के तने से जैविक खाद बनाने की विधि के बारे में विस्तार से बताने जा रहे है।
किसान भाई आमतौर पर केले के तने को बेकार समझकर या तो फेंक देते हैं या फिर उसे अपने खेत में ऐसे ही छोड़ देते हैं। ऐसा करने से पर्यावरण को तो नुकसान पहुंचता ही है, परन्तु इसके साथ ही मिट्टी की उपजाऊ शक्ति में भी क्षीण होती जाती है। जबकि केले का बेकार समझे जाना वाला यही तना, इसकी जैविक खाद बनाकर मोटी कमाई का जरिया भी बन सकता है।
केले के तने से जैविक खाद बनाने की विधिः-
केले के तने से जैविक खाद बनाने की प्रक्रिया अत्यंत सरल है और इससे किसान अच्छी आमदनी कमा सकते हैं। पहले, एक गड्ढा बनाएं और उसमें केले के तने को डालें। इसके बाद, गोबर और खरपतवार जैसे उर्वरकों को भी इसी के साथ मिला दें। उसके बाद, डिकंपोजर का छिड़काव करें और कुछ दिनों में ही एक बेहतरीन जैविक खाद तैयार हो जाएगी।
केले की खेती करने वाले किसान अब केले के फल के अतिरिक्त केले के तने अर्थात थंब का भी उपयोग अतिरिक्त कमाई के लिए कर सकेंगे। मेरठ स्थित सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौ0 विश्वविद्यालय में अब केले के अवशेष बचे तने से जैविक खाद बनाने का तरीका सीखा जा सकता है। केले के तना से तरल और ठोस दोनों ही प्रकार के जैविक खाद बनाए जा सकते हैं। केला किसान केले से बने जैविक उर्वरकों का इस्तेमाल अपने खेत में कर सकेंगे और इसके साथ ही वे इसको बेचकर कमाई भी कर सकेंगे।
आमतौर पर देखा जाता है कि केले के पौधों से फल लेने के बाद उसके तने को फेंक दिया जाता है, जिससे आम नागरिक को भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। विश्वविद्याल प्रशासन के इस कदम से फेंके गए केले के अवशेष से होने वाली बदबू से भी लोगों को राहत मिलेगी। कृषि वैज्ञानिक आर एस सेंगर बताते हैं कि विश्वविद्यालय के द्वारा अब किसानों को इसका प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है।
डॉ0 सेंगर ने बताया कि कृषि विवि ने अनुसंधान के तहत केले के तने/थंब से वर्मी कंपोस्ट तैयार किया गया है, जिसमे 35 प्रतिशत गोबर डाला जाता है। उन्होंने बताया कि इसका परीक्षण पपीते के पौधे में किया गया, जिसके उत्साहजनक परिणाम सामने आए। उन्होंने दावा किया कि इसका उपयोग करने से पपीते के उत्पादन में वृद्धि देखी गई।
विवि के शोधकर्ता बताते हैं कि केले के तने और अवशेष से बने जैविक ठोस और तरल खाद में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश व जिंक आदि भरपूर मात्रा में पाया जाता है। उन्होंने बताया कि किसान अगर केले के अवशेष से बनाये गए जैव उर्वरक का उपयोग यदि खेती में प्रथम वर्ष भी करते हैं तो उन्हें रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग 50 प्रतिशत से भी कम करना पड़ेगा।
अगले दो से तीन वर्षों में किसानों को रासायनिक उर्वरक का उपयोग नहीं करना होगा। उन्होंने दावा करते हुए कहा कि केले के तने से बने खाद डालने के बाद फसलों में कीटों का प्रकोप नहीं के बराबर होता है। उन्होंने बताया कि कई किसान केले के अवशेष से जैविक खाद बना भी रहे हैं। एक हेक्टेयर केले की खेती से जो तना या थंब बचता है, उससे करीब सात से 10 हजार लीटर तक रस प्राप्त किया जा सकता है। इसे तरल उर्वरक के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।
लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।