सवाल आपके जवाब हमारेः Publish Date : 18/03/2023
सवाल आपके जवाब हमारेः इस कालम में हम किसानों की विभिन्न समस्याओं का समाधान करेंगे.
डा0 आर. एस. सेंगर
सवालः डा0 साहब नमस्कार, सर मेरी समस्या यह है कि मैने गुलाब के पौधे लगाए है, उनमें नई कोपलें आने के साथ ही सूख जाती है, इसके लिए कोई बेहतरीन उपचार बताएं?
सुशील कुमार, ग्राम अम्बराला, मोदीनगर।
जवाबः नमस्कार सुशील जी, आप इस समस्या के समाधान के लिए वर्ष में एक बार खेत की गहरी जुताई करें बौर गुलाब के पौधों में, अच्छी तरह से सड़ी हुई गा्रबर की खाद के साथ डी.ए.पी. डालें और अभी पौधों में पानी कुछ कम ही डालें।
सवालः डा0 साहब नमस्कार, सर मेरी भैंस को थनैला नामक रोग हो गया है, कृपया इसका समाधान बतलाने की कृपा करें?
योगेन्द्र शर्मा ग्राम कल्याणपुर मेरठ।
जवाबः योगेन्द्र जी, थनैला अर्थात मैसआइटिस नामक रोग से पीड़ित पशु को अन्य पशुओं से अलग ही रखना चाहिए और उनके दूध को भी स्वस्थ पशुओं के दूध से अलग ही रखना चाहिए। इसके उपचार के लिए आप गरम पानी में मैगसल्फ, बोरिक एसिड या नीम की पत्तियां डालकर उसमें एक मोटे सूती कपड़े को भिगोकर रोगी अयन और थन की अच्छी तरह से सफाई करें।
सूजन को कम करने के लिए प्रभावित थन पर कैटगाल, आयोडैक्स मरहम अथवा बेलाडोना और ग्लीसरीन के मिश्रण को सुबह-शाम दूध निकालने के पश्चात् लगाएं, इसके साथ ही रोगी पशु को 4 से 5 दिन तक प्रतिदिन 20 लाख युनिट प्रोफेन पैनिसिलिन डाइक्रिस्टीसीन, म्यूनोमाइसिन फार्ट, ओम्नामाइसीन का टीका पशु की मांसपेशिी में लगवाएं, इस प्रकार से थनैला रोग ठीक हो जाता है।
सवालः कड़कनाथ मुरगी पालन के बारे में अपने सुझाव देने की कृपा करें?
हरीश कुमार, ग्राम उखलीना मेरठ।
जवाबः हरीश जी, कड़कनाथ मुर्गी अधिकतर मध्य प्रदेश में मिलती है, परन्तु आप इस इस नस्ल की मुरगी को केन्द्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान, इज्जतनगर, बरेली से प्राप्त कर सकते हैं। कृषि विज्ञान केन्द्र झबुआ में भी इस प्रजाति के चूजों को पाला जा रहा है।
कड़कनाथ मुरगी की नस्ल काफी अच्छी एवं महंगी होती है, जिसे काफी पसंद भी किया जाता है। चिकन के रूप में इस नस्ल की मांग अच्छी रहती है और इस नस्ल के मुरगी पालन में लाभ भी अच्छा प्राप्त होता है।
सवालः डा0 साहब नमस्कार, सर मै यह जानना चाहता हूं कि मुझे अजोला कल्चर कहां से मिल सकता है?
सुदेश सैनी, अजराड़ा मेरठ।
जवाबः सुदेश जी, अजोला कल्चार आप अपने नजीदीकी कृषि विज्ञान केन्द्र अथवा सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कहीं से भी प्राप्त कर सकते हैं।
सवालः सर नमस्कार, मै, विपिन मुरगी पालन अथवा बकरी पालन में कोई एक काम करना चाहता हूं, कृपया मुझे यह जानकारी दें कि इन दोनों में से कौन सा काम अधिक अच्छा रहेंगा।
विपिन, ग्राम सतवाई मेरठ।
जवाबः विपिन जी, हम आपको अवगत कराना चाहते हैं कि मुरगी पालन का कार्य कम समय में अर्थात 45 दिन में, अधिक आय अर्जित की जा सकती है, जबकि बकरी पालन करने के लिए आपको कम से कम 6 महीने का समय चाहिए होता है। इस हिसाब से आप अपना फैंसला ले सकते हैं कि आपके लिए कौन सा काम अच्छा रहेगा।
वहीं यदि तुलनात्मक दृष्टि से देखा जाए तो आर्थिक दृष्टि से बकरी पालन करना अधिक लाभकारी होता है। बकरियां, क्योंकि जल्दी जल्दी बच्चे देती हैं जिससे कुछ ही समय में इनकी संख्या बहुत अधिक बढ़ जाती है।
सवालः सर नमस्ते, मै यह जानना चाहता हूं कि जीवामृत किस प्रकार बनाया जाता है?
सुगम, ग्राम पबरसा, मेरठ।
जवाबः सुगम जी, जीवामृत बनाने के लिए आप 10 किलोग्राम, गाय को गोबर और गोमूत्र का मिश्रण तैयार करे, इसके बाद इस मिश्रण में एक किलोग्राम बेसन, एक किलोग्राम गुड़, एक किलोग्राम खेत की मिट्टी तथा एक किलोग्राम मौसमी फसल को डाल कर इससे बनने वाले घोल को एक सप्ताह तक सड़ाना होता है तथा प्रतिदिन लगभग पांच मिनट तक इसे किसी छड़ अथवा लकड़ी के डण्ड़े की सहायता से चलाना होता हैं।
इस प्रकार से जीवामृत तैयार हो जाता है और इसका घोल बनाकर आप आपी फसले के ऊपर छिड़काव कर सकते हैं।
डा0 आर. एस. सेंगरए सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठए में प्रोफेस एवं कृषि जैव प्रौद्योगिकी विभाग अध्ययक्ष हैं।