ग्लोबल वार्मिंग का भारतीय कृषि पर प्रभाव      Publish Date : 17/06/2025

           ग्लोबल वार्मिंग का भारतीय कृषि पर प्रभाव

                                                                                                                         प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 शालिनी गुप्ता

ग्लोबल वार्मिंग के कारण भारत में जिन क्षेत्रों पर बुरा असर पड़ा उसका एक उदाहरण है कृषि क्षेत्र में गेहूँ के उत्पादन में आई गिरावट। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् (आईसीएआर) ने जलवायु परिर्वतन के कारण खेती पर पड़ने वाले बुरे प्रभाव का पता लगाने के लिए एक बडी परियोजना शुरू की है। आईसीआर के पूर्व महा- निदेशक पी. डी.  शर्मा बताते है। कि अचानक गर्मी बढ़ने से गेंहूँ का उत्पादन एक समय 21 करोड़ 20 लाख टन तक चला गया था। लेकिन उसके बाद यह बढने की बजाय कम होता जा रहा है।

जानकारों का मत है कि धरत्ती के बढ़ते तापमान पर नियंत्रण के लिए समय रहते कार्रवाई किए जाने की आवश्यकता है जिसके लिए अमेरिका समेत अन्य विकसित देशों को भी मिलकर प्रयास करने होंगे।

मनुष्य ही ग्लोबल वार्मिंग का प्रमुख कारण

                                                             

अमेरिका सरकार ने पहली बार माना है कि प्रदूषण के लिए और ग्लोबल वार्मिंग के लिए मनुष्य ही जिम्मेदार है। अमेरिकी पर्यावरण संरक्षण एजेंसी के कई वैज्ञानिकों का मानना है कि तेल शोधन, विद्युत उत्पादन, कलपुर्जों कलपुर्जा निर्माण एवं वाहन चलाने से संबधित मानव गतिविधियों ने ग्लोबल वार्मिंग बढ़ाया है। ऐसी मानवीय गतिविधयों और ग्लोबल वार्मिंग के बीच की कड़ी की जानकारी के बावजूद अमेरिका सरकार ने अभी भी इस संधि पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया है।

आज पूरा विश्व मानने लगा है कि धरती का तापमान बढ़ता जा रहा है, जिसका प्रमुख कारण है बढता प्रदूषण। आज पूरी दुनिया में कार इंजन चलाने के लिए जैविक ईंधन जलकर कार्बन डाइ-ऑक्साइड की मात्रा बढ़ाता है। अमेरिका सरकार ने अपनी रिपोर्ट में ग्लोबल वार्मिंग के विविध कारणों का एक ग्राफ प्रस्तुत किया जिसके अनुसार मनुष्य को ही ग्लोबल वार्मिंग का प्रमुख कारण दर्शाया गया है।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।