जाति आधारित गणना का अर्थ      Publish Date : 06/06/2025

                      जाति आधारित गणना का अर्थ

                                                                                                                                                          प्रोफेसर आर. एस. सेंगर

हिंदू समाज ने धीरे-धीरे अपने अंदर की कमियों को दूर करते हुए एक संयुक्त समाज के रूप में अपनी भूमिका निभाना प्रारंभ कर रहा है। देश के कई स्वार्थी राजनीतिक दलों को इससे समस्या होने लगी थी, क्योंकि इससे उनकी वोट बैंक की व्यवस्था चरमरा रही है। ऐसे में जातिगत जनगणना की मांग उठाई गई। उन्हें ऐसा लगा था कि यह मांग कभी सत्ता पक्ष स्वीकार ही नहीं करेगा और वह इस आधार पर वे हिंदू समाज में कुछ जातियों की गोलबंदी करने में सफल हो जायेंगे और फिर से अपने लिए वोट सुरक्षित कर लेंगे।

परन्तु जैसे ही कैबिनेट ने जातिगत गणना का निर्णय लिया, अब उनकी यह मांग उनके ही गले का फांस बनने लगी है, क्योंकि जब जातियों के अनुसार जनसंख्या का आंकड़ा आ जाएगा तब उनकी हिस्सेदारी और भागीदारी के नारे की समीक्षा उनकी पार्टी के साथ ही शुरू होगी। अब उनकी समस्या यह है कि अधिकांश पार्टियां या तो एक परिवार की हैं या परिवार के इर्दगिर्द उनकी जातियों की है, क्योंकि इससे बाहर उन्हें कहीं स्वीकार ही नहीं किया जाता है।

                                                           

दूसरी तरफ जिन मुसलमानों को वे अपने लिए सुरक्षित वोट बैंक मानते थे, जब उनकी जातियों के आंकड़े उनके नारों की कसौटी पर कसे जाएंगे, तब अधिकांश राजनैतिक दलों के पास कोई उत्तर नहीं होगा। ऐसे में अब कुछ लोग इस निर्णय का क्रेडिट लेने की बात तो कह रहे हैं, परन्तु इस निर्णय से उनके चेहरे पर किसी प्रकार की कोई प्रसन्नता नहीं दिखाई दे रही है जबकि किसी की कोई मांग स्वीकार करने पर उसके क्रेडिट से अधिक तो उस मांग के उद्देश्य की पूर्ति की प्रसन्नता का आभास होना चाहिए। हिंदू समाज की एकता का आधार यह नहीं है कि लोग अपनी और अपने साथियों जातियों को भुला दें, बल्कि जातियों को जानते हुए भी सभी के साथ एक माता की संतान होने का व्यवहार अब बढ़ने लगा है। यही वह व्यवहार है जो किसी भी समाज की शक्ति होती है।

लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।