स्वास्थ्य और सौन्दर्य का कवच है मशरूम      Publish Date : 29/05/2025

         स्वास्थ्य और सौन्दर्य का कवच है मशरूम

                                                                                                                    डॉ0 गोपाल सिंह एवं प्रोफेसर आर. एस. सेंगर

अच्छे एवं पौष्टिक भोजन से अभिप्राय इसमें विद्यमान आवश्यक सक्ष्म एवं वृहद् तत्व, अधिक आक्सीकारक तत्वों का होना, कम कैलोरी उत्पादकता, कार्बोहाइड्रेट की संतुलित मात्रा, पोटीन एवं वसा की आवश्यक मात्रा आदि गुणों से होती है। मशरूम में उपरोक्त सारे गुण होने के कारण इसे आदर्श भोजन की श्रेणी में रखा गया है।

वनस्पतियां प्रकृति द्वारा प्रदत्त अनुपम उपहार है। सभी जीवों के लिए ये वनस्पतियां कितनी उपयोगी हैं इनका आकलन करना कठिन है क्योंकि ये सभी के जीवन की समस्त आवश्यकताएं पूरी करती हैं। इन वनस्पतियों में एक वर्ग सूक्ष्म वनस्पतियों का है जिसे कवक कहते हैं। साधारणतः ये नम स्थानों तथा पेड़-पौधों के सड़े गले अवशेषों पर पाये जाते हैं। ये कवक इन्हीं अवशेषों में विद्यमान कार्बन एवं नाइट्रोजन युक्त पदार्थों से अपना भोजन प्राप्त करते हैं। जिन्हें मशरूम कहा जाता है। साधारणतः मशरूम की सैकड़ों प्रजातियां हैं। इनमे कुछ अत्यन्त विषैली भी हैं परन्तु उपयोगिता की दृष्टि से मशरूम (कवक) की कुछ प्रजातियां अन्यन्त महत्वपूर्ण एवं उपयोगी हैं। जैसे-शोन्गी, शीटेक, प्लुरोटस, रिशी, काबाराटेक, अमेरिकस आदि हैं। इनका खाद्य रूप में उपयोग अति प्राचीन है इसका लिखित प्रमाण 100 बी.सी. में मिलता है। खाद्य रूप में मशरूम का उपयोग हजारों वर्षों से जापान में प्रारम्भ हुआ था तत्पश्चात् चीन, कोरिया तथा अन्य पश्चिमी देशों में, परन्तु आज इनका उपयोग केवल खाद्य रूप में ही नहीं वरन् पूरे विश्व में औषधि, सौन्दर्य प्रसाधन, स्वास्थ्यवर्धक के रूप में प्रचता से किया जा रहा है।

                                                            

अच्छे एवं पौष्टिक भोजन से अभिप्राय इसमें विद्यमान आवश्यक सक्ष्म एवं वृहद् तत्व, अधिक आक्सीकारक तत्वों का होना, कम कैलोरी उत्पादकता, कार्बोहाइड्रेट की संतुलित मात्रा, पोटीन एवं वसा की आवश्यक मात्रा आदि गुणों से होती है। मशरूम में उपरोक्त सारे गुण होने के कारण इसे आदर्श भोजन की श्रेणी में रखा गया है।

साधारणतः अच्छे एवं पौष्टिक भोजन से अभिप्राय इसमें विद्यमान आवश्यक सूक्ष्म एवं वृहद् तत्य, अधिक आक्सीकारक तत्वों का होना, कम कैलोरी उत्पादकता, कार्बोहाइड्रेट की संतुलित मात्रा, प्रोटीन एवं वसा की आवश्यक मात्रा आदि गुणों से होती है। मशरूम में उपरोक्त सारे गुण होने के कारण इसे आदर्श भोजन की श्रेणी में रखा गया है।

मशरूम का पोषकीय मूल्यांकन

मशरूम में जल की मात्रा 90% होती है जो केवल पत्तेदार सब्जियों (90.8%) को छोड़कर सभी फलों, सब्जियों, अण्डे एवं मांस से अधिक होती है। इसमें खनिज तत्वों की मात्रा भी अन्य खाद्य पदार्थों से अधिक (59%) होती है। इसमें विद्यमान खनिज, लवण, पोटैशियम, फास्फोरस, तांबा, जस्ता, मैगनीशियम, मैग्नीज, फोलेट, लौह तथा दुर्लभ एवं महत्वपूर्ण खनिज सिलेनियम जो कि विटामिन ई के समतुल्य होने के कारण आक्सीकारकरोधी तत्वों का उत्पादन कर कोशिकाशामक स्वतंत्र मूलकों को निष्क्रिय कर कैन्सर एवं बुढ़ापे के रोगों के खतरों से बचाता है। मशरूम में अल्प मात्रा में सोडियम भी होती है। मशरूम में अन्य विटामिन जैसे पेन्टोथिनिक अम्त (B5), बायोटिन (B7), कोबोलेमिनस (B12),प्रोविटामिन-डी तथा ई एवं विटामिन-सी की अधिक मात्रा (81mg/10gm) होती है। मशरूम में विटामिन की अच्छी मात्रा होने के कारण उपरोक्त विटामिनों की पूर्ति हो जाती है जो कि शाकाहारी लोगों के लिए अत्यन्त आवश्यक हैं।

खाद्य एवं औषधि के रूप में मशरूम का उपयोग चीन में 4 हजार वर्ष पूर्व से हो रहा है। इसका कारण है कि मशरूम की पहचान एवं उपयोग सर्वप्रथम चीन, जापान एवं कोरिया में हुई थी। तत्पश्चात् पश्चिमी तथा अन्य देशों में मशरूम का सौन्दर्य के लिए उपयोग वैज्ञानिकों द्वारा किये गये अनुसंधानों के परिणामस्वरूप हाल ही में ज्ञात हुआ है। इससे निर्मित सैकड़ों सौन्दर्यवर्धक उत्पाद चीन, जापान, कोरिया तथा लगभग सभी पश्चिमी देशों में प्रचुरता से उपयोग किये जा रहे हैं।

मशरूम में निहित सौन्दर्यवर्धक तत्व बीटा 1,3-डी-ग्लुकान, बीटा 1,6- डी-ग्लूकान तथा कोजिक अम्ल हैं। बीटा-1,3-डी-ग्लूकान एक कतर उच्च आणविक भार वाला बीटा-1,3-बन्धित ग्लूकोपायरानोस है। इसके गुणों एवं क्रियाशीलता को ध्यान में रखते हुए इसे जैविक प्रतिक्रिया परिवर्तक वाले यौगिकों की श्रेणी में रखा गया है। हमारे शरीर की प्राकृतिक क्रियाविधि की सक्रियता तथा त्वचा के घाव भरने की क्रियाओं के गतिवर्धन में इनका विशिष्ट योगदान है तथा यह हमारी त्वचा में विद्यमान लैन्गरहेन्स कोशिकाओं एवं प्रतिरक्षक कार्यक्षम कोशिकाओं को स्वस्थ रखता है। ग्लूकान का उपयोग तनावग्रस्त त्वचा की क्रियाशीलता में सुधार के लिए अविशिष्ट प्रतिरक्षक प्रेरक के रूप में भी प्रारम्भ हो गया है। बीटा-1,3-डी-ग्लूकान एक प्रमुख पोषक तत्व (उच्च परमाणु भार वाला कार्बोहाइड्रेट का बहुलक) होने के साथ जैविक प्रतिक्रिया परिवर्तक वर्ग के अन्तर्गत आता है। यह अनेकों ईस्ट, कवक, वैक्टीरिया की कोशिका भित्ति तथा कुछ अन्न ग्लूकोज जैसे जई तथा जी में भी पाया जाता है। इसकी संरचना स्रोत के अनुसार भिन्न होने के कारण हमारे शरीर की अनेकों आन्तरिक क्रियाओं को प्रभावित करता है। इसका सबसे अच्छा प्रभाव हमारे शरीर की प्रतिरक्षा एवं रोगरोधी क्षमता पर पड़ता है इसके अतिरिक्त यह कवकरोधी होने के कारण हमारी त्वचा को अनेक संक्रामक रोगों से सुरक्षित रखता है।

कुछ महत्वपूर्ण मशरूम प्रजातियाँ

कोरियोलस बर्तीकलर (Coriolousversicolor)

मशरूम की इस प्रजाति में विद्यमान रासायनिक अपघटक कोर्लोलिन, बीटा-ग्लूकान तथा प्रोटीन सम्बद्ध पॉलीसैकेराइड, जिसे 'क्लीन' कहा जाता है, में प्रमुख सौन्दर्यरक्षक उपयोगी तत्व पाये जाते हैं। वैज्ञानिकों ने अनुसंधान द्वारा इसमें सूक्ष्म जीवाणुरोधी गुण की भी पुष्टि की है। उपरोक्त तत्व हमारे शरीर की त्वचा को सुन्दर एवं कोमल रखने के साथ यूवी किरणों से उत्पन्न त्वचा में जलन, त्वचा का लाल हो जाना समाप्त कर त्वचा के ऊतकों को स्वस्थ रखती है। इसके अतिरिक्त इसका उपयोग त्वचा को सुरक्षित रखने के लिए सामान्य क्रीम, मुहांसे रोधी क्रीम, मालिश उत्पादों एवं सेलूलाइट रोधी उत्पादों में किया जाता है।

प्लुरोटस इरिन्गी (Pleurotuseryngii)

मशरूम की इस प्रजाति में विद्यमान प्रमुख क्रियाशील तत्व बीटा-1,3/1,6-डी-ग्लूकान है। हमारी वाह्य त्वचा में अनेकों प्रतिरक्षण कोशिकायें होती हैं जो कि अन्य त्वचा कोशिकाओं से मिलकर स्वस्व त्वचा की सम्पूर्ण एवं क्रियाशीलता को बनाये रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। बीटा-ग्लूकान महत्वपूर्ण लैगरहेन्स, फाइब्रोब्लास्ट को क्रियाशील करता है। परिणामस्वरूप यह हमारी क्षतिग्रस्त, जली हुई, शुष्क त्वचा को पूर्णतः प्रभावित करती है। इसके अतिरिक्त यह स्वतंत्र मूलकों के उद्ग्रहण में सहायता करने के साथ त्वचा के ऊतकों को वृद्ध होने से रोकता है। इस संदर्भ में हैन्कुक कम्पनी ने इम्यूनो ग्लूकेन नाम से त्वचा एवं सौन्दर्यरक्षक क्रीम, लोशन, सीरप एवं कैप्सूल बाजार में उतारे हैं।

यह हमारे शरीर में कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम करने में अत्यन्त लाभप्रद है। चीन में इसका उपयोग पारम्परिक औषधियों के रूप में, त्वचा को तरूण रखने में होता है।

लेन्टिनस इडोडस (Lentinusedodus)

चीन एवं जापान में इसमें विद्यमान बीटा-ग्लुकान, कोजिक अम्ल तथा गैनोडेरिक एसिड तथा अन्य सक्रिय तत्वों का उपयोग अनेकों हर्बलउत्पादों में किया जाता है। इससे त्वचा रक्षक एवं सौन्दर्यवर्धक क्रीमों का उत्पाद अनेकों अन्तर्राष्ट्रीय कम्पनियों द्वारा किया जा रहा है। इसका मुख्य कारण है कि इसमें कोजिक अम्ल विद्यमान होने के कारण यह त्वचा में मिलेनिन की उत्पत्ति को रोकता है इसके अतिरिक्त इसमें स्तम्भक गुण होने के कारण यह त्वचा को दृढ़ एवं चुस्त रखता है।

शोन्गी मशरूम (Songyi)

इस प्रजाति के मशरूम का निष्कर्षण पूर्णतः प्राकृतिक एवं अनोखा जैव हर्बल होने के कारण त्वचा को कोमल, सुन्दर एवं गोरी करने के लिए जापान में प्रमुखता से उपयोग किया जाता है। इसमें अनेक अमीनो अम्ल, खनिज तथा प्रतिआक्सीकारक रसायन विद्यमान होने के कारण यह त्वचा के लिए अत्यन्त लाभदायक है। यह त्वचा को नया, स्वस्थ, चमकीला बनाने के साथ त्वचा की सभी कोशिकाओं (जिसमें मिलेनिन रंजक कोशिका भी सम्मिलित है) को मृत होने से बचाता है। इसमें विद्यमान एन्जाइम त्वचा में पहुंचने के पश्चात् शरीर की अन्तः स्रावी तंत्र में जैविक क्रियाओं को सामान्य रखने में सहायता के साथ त्वचा के रंग की समस्या को भी समाप्त कर देता है।

सन् 1994 तक सौन्दर्यवर्धक साबुन एवं अन्य प्रसाधन फिनॉल, हाइड्रोक्वीनॉन, पोटैशियम मक्यूंरिक आयोडाइड, कार्बोक्सिलिक तत्वों से निर्मित किया जाता या जो कि हमारे शरीर के लिए अत्यन्त हानिकारक थे। अफ्रीकी देशों में इनके अधिक प्रयोग का कारण उनकी त्वचा का सांवली होना था। इनके दुष्प्रभावों से बचने के लिए अफ्रीका एवं नाइजीरिया ने सन् 1997 से इन प्रसाधनों का उत्पाद एवं उपयोग पूर्णतः प्रतिबन्धित कर दिया है। परिणामस्वरूप आज चीन, जापान एवं कोरिया द्वारा निर्मित सैकड़ का प्रयोग भी आरम्भ कर दिया है। इसीलिए सौन्दर्य प्रसाधन के क्षेत्र सौन्दर्य प्रसाधन उत्पादों का बाजार अत्यधिक बढ़ गया है। जापान की अनेकों सौन्दर्य प्रसाधन कम्पनियों ने मशरूम से निष्कर्षित सिरेमाइड तेल कोरिया के सोंगी मशरूम तेल और जापान के मैटसुटेक मशरूम तेल क उपयोगिता तो शीर्ष पर पहुंच गयी है।

कोजी (Aspergillusoryzae)

यह एक प्रतिजीवीय तन्तुमय प्रकार का कवक है जिसे सामान्यत सोयाबीन, चावल तथा अन्य अनाजों और आलू को किण्वित करने के लि किया जाता है। इसके अतिरिक्त इसे अनेकों एशियाई किण्वित भोज जैसे सोया सॉस, मिसोसेक, टेम्फ तथा चावल का सिरका बनाने में कि जाता है। इसमें कोजिक अम्ल नाम का एक अति उपयोगी एवं महत्वपूर्ण रसायनिक अपघटक पाया जाता है।

लेखकः लेखकद्वव सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, मेरठ के प्रोफेसर हैं।