आतंक और अलगवाद के विरूद्व भारत की स्थिति      Publish Date : 21/05/2025

                     आतंक और अलगवाद के विरूद्व भारत की स्थिति

                                                                                                                                                         प्रोफसर आर. एस. सेंगर

भारत को आतंकवाद व अलगाववाद की चुनौती से निबटने के लिए घरेलू तथा बाह्य दोनों ही स्तरों पर एक व्यापक रणनीति पर काम करने की आवश्यकता है। आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई का यह निर्णायक कदम है, यदि इस समय प्रभावी कदम नहीं उठाए गए, तो आतंकवाद की चुनौती अधिक गम्भीर रूप धारण कर सकती है।

घरेलू स्तर पर भारत को आतंकवाद से लड़ने की अपनी क्षमता व सूचना तंत्र को अधिक मजबूती प्रदान करने का आवश्यकता है, क्योंकि इस क्षमता के अभाव में आतंकवाद भारत के अन्दर तेजी से अपने पैर पसार रहा है। इसके साथ ही भारत को कश्मीर में पनप रही अलगाववाद की भावना का निराकरण करने के लिए आवश्यक आर्थिक एवं राजनीतिक उपाय अपनाने की आवश्यकता है। कश्मीर में युवा पीढ़ी भ्रमित हो रही है। उसके विकास व आगे बढ़ने के अवसर कम/सीमित होते जा रहे हैं। वहीं लोकतंत्र को भी सक्रिय बनाने की आवश्यकता है।

देश के विभिन्न भागों में निवास कर रहे कश्मीर के निवासियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार की है। यदि भारत कश्मीर को अपना अग मानता है तो यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता भी है कि कश्मीर के लोग भारत से अपने को अलग न समझें।

बाह्य स्तर पर कूटनीतिक व सैनिक दोनों प्रकार के उपायों को यथासम्भव आवश्यकतानुसार प्रयोग किए जाने की आवश्यकता है। कूटनीतिक स्तर पर भारत का यह प्रयास होना चाहिए कि आतंकवाद के मामले पर पाकिस्तान को विश्व में अलग-थलग करने का प्रयास किया जाए और साथ ही वहां कार्यरत् आतंकवादियों को विश्व स्तर पर प्रतिबन्धित करने के प्रयास भी तेज किए जाने चाहिए। वर्तमान में विश्व स्तर पर आतंकवाद के विरुद्ध एक सक्रिय माहौल बना हुआ है। भारत को निरन्तर प्रयास करना चाहिए कि पाकिस्तान के आतंकवादी समूहों के वित्तीय नेटवर्क को ध्वस्त किया जा सके। सैनिक उपायों में वास्तविक सैनिक कार्यवाही से अधिक आवश्यकता इस बात की है कि पाकिस्तान तथा वहाँ कार्यरत आतंकी समूहों को स्पष्ट संकेत दिया जाए कि भारत अब आतंकवाद के विरुद्ध जीरो टॉलरेन्स की नीति पर ही चलेगा।

भारत के विरुद्ध पुनः किसी आतंकी कार्यवाही को अंजाम दिया जाता है, तो भारत आत्मरक्षा में ऐसे आतंकवादियों के विरुद्ध कार्यवाही करने के लिए विवश होगा। कुल मिलाकर घरेलू व बाह्य दोनों प्रकार के उपायों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि आतंकवाद के समर्थकों तथा आतंकवादियों, दोनों के लिए उनकी गतिविधियों घातक होगी, तभी आतंकवाद पर नियंत्रण लगाने में मदद मिल सकेगी, चूंकि आतंकवाद व अलगाववाद भारत की सुरक्षा तथा अखण्डता के लिए वर्तमान में एक बड़ा खतरा है, अतः भारत उसकी अनदेखी करने का जोखिम नहीं उठा सकता। विगत तीस वर्षों में आतंकवाद के प्रति नरम नीति के कारण ही आज यह एक गम्भीर चुनौती बन गया है।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।