जागरूक किसान, सम्पन्न किसान      Publish Date : 16/05/2025

                 जागरूक किसान, सम्पन्न किसान

                                                                                                                          प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 रेशु चौधरी

कम खर्च की खेती करके अपनी कृषिगत आमदनी बढ़ायें और प्रकृति से खिलवाड़ ना करें और अपने खेती के खर्चों को लिखने की आदत बनाएं तथा ध्यान रखें कि अंधाधुंध रसायनों का प्रयोग करने से जहां एक तरफ तो धरती बंजर होती जा रही है, वहीं दूसरी तरफ मानव भी लगातार बीमारियों की गिरफ्त में आता जा रहा है। ऐसे में भले ही मेडिकल साइंस ने चाहे कितनी भी तरक्की क्यों ना कर ली हो लेकिन वर्तमान समय में डाक्टर भी मानव की घटती हुई उमर को नहीं रोक पा रहे हैं।

मानव की औसतन उम्र अब 100 वर्ष से घटकर 60 वर्ष तक रह गई है। अतः इसके लिए हमें स्वयं ही सजग होना पड़ेगा। खेती में केमिकल्स का प्रयोग जरूर करो, लेकिन सजकता से, जहां वास्तव में जरूरी हो, उचित रसायन और उचित समय से और उचित मात्रा में उसका प्रयोग करें। यदि समय निकल जाने के बाद रसायनों का कई गुना मात्रा में भी प्रयोग करोगे तो यह फसल के लिए किसी भी काम का नहीं होगा। इससे केवल खेती की लागत बढ़ेगी और किसान को केवल नुकसान ही होगा। खेतों के आसपास खूब पेड़-पौधे लगाओ, जिन पर पक्षियों के आश्रय बनेंगे और वह फसल के कीटों को नियंत्रित करेंगे।

                                                   

इसके साथ ही आज कार्बनिक खाद की मात्रा का प्रयोग करना लगातार कम होता जा रहा है, क्योंकि पालतू पशुओं की संख्या लगातार कम होती जा रही है। खेतों के समीप लगे इन पेड़ों की पत्तियां गिरकर जमीन में कार्बनिक खाद का काम भी करेंगी और इससे धरती की उर्वरता भी बनी रहेगी।

कीटों के नियंत्रण के लिए फैरोमोन ट्रैप अथवा लाईट ट्रैप का प्रयोग करें।

  • जागरूक बने और संपन्न बने।
  • जागरूक किसान ही एक संपन्न किसान होता है।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।