अनुसंधान व नवाचार से रक्षा क्षेत्र को मजबूती प्रदान कर रहा आईआईटी      Publish Date : 14/05/2025

अनुसंधान व नवाचार से रक्षा क्षेत्र को मजबूती प्रदान कर रहा आईआईटी

                                                                                                                                               प्रोफेसर आर. एस. सेंगर

रडार को चकमा देने वाली नैनो मैटेरियल तकनीक से लेकर बनाए गए 30 तरह के ड्रोन:

भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया टकराव में मानव रहित हवाई वाहन (यूएवी) और ड्रोन की अहमियत को देश दुनिया ने देखा। आईआईटी कानपुर दस वर्ष से भविष्य के गुद्ध के लिए अनुसंधान कर रहा है। आईआईटी के विज्ञानियों ने विमानों च मिसाइलों को रडार की पकड़ से बचाने के लिए एक विशेष नैनो मैटेरियल तकनीक विकसित की है जिससे बड़े-बड़े वायुयान, मिसाइल, टैंक य सैन्य स्थलों को एक तरह से अदृश्य किया जा सकेगा। कम व अधिक दूरी वाले ड्रोन व यूएवी का विकास किया है जिसमें सर्वाधिक चर्चा में कामीकाजी ड्रोन है जिससे देश की सैन्य मारक क्षमता कई गुना बढ़ गई है।

आईआईटी के विज्ञानियों ने प्राथमिकता में शामिल रक्षा क्षेत्र को ध्यान में रखकर कई अहम अनुसंधान किए हैं। इसको ऐसे समझा जा सकता है कि उ0प्र0 सरकार ने यूपी में डिफेंस कारीडोर के विकास में आईआईटी कानपुर को अपना नालेज पार्टनर बनाया है। आईआईटी में यूपी सरकार की मदद से ड्रोन एक्सीलेंस सेंटर भी स्थापित किया गया है। आईआईटी के निदेशक प्रो. मणीन्द्र अग्रवाल ने बताया कि बीते पूरे वर्ष सैन्य क्षेत्र की जरूरतों को समझने के लिए कई अहम कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं।

                                                  

इस साल आईआईटी के वार्षिक उत्सव टेककृति की थीम भी रक्षाकृति रही है, जिसमें भारतीय सेनाओं के अध्यक्षों ने हिस्सा लिया है। आईआईटी के कई स्टार्टअप और रक्षा क्षेत्र के संगठन एक साथ मिलकर काम कर रहे हैं।

सेना को ड्रोन और यूएवी उड़ाने का प्रशिक्षण भी दे रहा आईआईटी

ड्रोन और मानव रहित हवाई वाहनों (यूएवी) की उड़ान के लिए आईआईटी के विज्ञानियों की टीम एक उन्नत रिमोट पायलटिंग ट्रेनिंग माड्यूल और साफ्टवेयर-इन-द-लूप सिम्युलेटर (एसआइटीएल) का विकास कर रही है। इसके तहत सैन्य कर्मियों को आईआईटीकी टीम यूएवी उड़ान का प्रशिक्षण भी देगी।

आईआईटी कानपुर से मैटेरियल साइंस एंड इंजीनियरिंग में एमटेक और पीएचडी कर चुके डा. विशाल चक्रधारी ने आरएफ नैनो कंपोजिट नाम से कंपनी बनाई है। आईआईटी के स्टार्टअप इन्क्यूबेशन एंड इनोवेशन सेंटर के साथ काम कर रही कंपनी ने कार्बन और फेराइट आधारित नैनो मटेरियल को पालीमर के साथ मिलाकर ऐसी कोटिंग तैयार की है जो रडार की तरंगों को अब्जार्व करती है।

अदृश्य कर देगा अनालक्ष्य मैटामटेरियल की मदद से छिद्रादरण

‘अनालक्ष्य’ तैयार किया गया है जिसके नीचे हवाई जहाज से लेकर टैंक को छुपाया जा सकेगा। इस आवरण में छुपी वस्तु को सिंथेटिक अपर्चर रडार से लेकर सैटेलाइट इमेज और इंफ्रारेड कैमरों से भी नहीं पहचाना जा सकेगा। ताप अवरोधी होने की वजह से अगर इस आवरण के नीचे जहाज या टैंक को इंजन स्टार्ट रहने पर भी रखा जाता है तो थर्मल इमेज कैमरे भी पहचान नहीं कर सकेंगे। इस सिस्टम का पिछले साल आईआईटी निदेशक प्रो. मणीन्द्र अग्रवाल और एयरमार्शल आशुतोष दीक्षित ने लोकार्पण भी किया है।

कामीकाजी ड्रोन ने बढ़ाई मारक क्षमता

                                                         

आईआईटी का एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग पिछले दो दशक से ड्रोन टेक्नोलाजी के अनुसंधान व विकास पर काम कर रहा है। संस्थान के शिक्षकों और छात्रों ने लगभग एक दर्जन स्टार्टअप बनाए है जो ड्रोन निर्माण और विकास क्षेत्र में काम कर रहे हैं। भारतीय नौसेना से लेकर वायु एवं थल सेना तक इन ड्रोन को अपने बेड़े में शामिल कर चुकी है। कामीकाजी ड्रोन ऐसे ड्रोन हैं जो विस्फोटक को साथ लेकर अपने लक्ष्य पर जाकर हमला कर सकते हैं। भारतीय सेना ने अब आईआईटी से हल्के व हाई पेलोड ड्रोन की मांग की है जिस पर काम किया जा रहा है।

लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।