मशीनों की दुनिया      Publish Date : 11/05/2025

                          मशीनों की दुनिया

                                                                                                                                     प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं इं0 कार्तिकेय

आओ, आज मैं आपको एक ऐसी दुनिया की सैर करता हूं, जहां सब कुछ अलग-अलग सा है। यहां सब काम मशीनें करती हैं। इन्सान कोई भी काम नहीं करता।

खाना बनाने से लेकर झाडू-पोछा आदि तक सामान्य काम तक सब कुछ। इन्सानों की मौज है। पेड़ों पर बहुत बड़े फल लगते हैं। एक फल कई दिनों तक खाया जाता है और सब्जियां भी कई दिनों तक खराब नहीं होती। मोटर-गाड़ियां बिना इंधन के चलती हैं। मोबाइल एक बार चार्ज होने के बाद, कई सालों तक चलता है।

कार आसानी से हवा में उड़ान भर लेती है। लोगों को बाजार नहीं जाना पड़ता है। सब कुछ कुछ ड्रोन पहुंचा देता है। खाने के लिए कई ऐसी चीजें हैं, जिन्हें खाने के बाद कई दिनों तक भूख नहीं लगती है। हर इन्सान अपनी इच्छा से छोटा-बड़ा, मोटा-पतला हो सकता है। चारों तरफ टावर लगे हैं।

पेड़-पौधों का नामो-निशान नहीं है। ऑक्सीजन मशीन से निकलती है। कोई बीमार नहीं पड़ता। लेकिन काम न करने से हाथ-पैरों में ताकत नहीं बची है। सब एक जगह स्थिर हो गए हैं। यह कहानी हमें सिखाती है कि तकनीक का उपयोग मदद के लिए करें, लेकिन उस पर निर्भर न बनें। तकनीक का गुलाम न हों और अपने अधिक से अधिक काम स्वयं करें अन्यथा इसे सच्चाई में बदलने में देर नही लगेगी।

लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।