
तीन दशक में धरती के 77\% हिस्सों में जलवायु हुई शुष्क Publish Date : 26/03/2025
तीन दशक में धरती के 77% हिस्सों में जलवायु हुई शुष्क
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर
जलवायु परिवर्तन के चलते धरती का 40 फीसदी से अधिक हिस्सा सूख चुका है, इन्सानों के लिए भी है गंभीर संकट।
धरती के 77 फीसदी से अधिक हिस्सों, की जलवायु बीते 30 वर्षों में अधिक शुष्क हो चुकी है। इस दौरान दुनिया में शुष्क क्षेत्रों में भी बढ़ोतरी हुई है। धरती का 40 फीसदी से अधिक हिस्सा सूखी जमीन में बदल चुका है। सऊदी अरब के रियाद में 16वें संयुक्त राष्ट्र मरुस्थलीकरण रोकथाम सम्मेलन (यूएनसीसीडी) में सोमवार को जारी रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है।
इस रिपोर्ट के अनुसार, दुनियाभर में, शुष्क क्षेत्रों का विस्तार लगभग 43 लाख वर्ग किमी बढ़ा है जो कि भारत के आकार से भी लगभग एक-तिहाई बड़ा है। यह रिपोर्ट सचेत करती है कि अगर आने वाले समय में ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन पर रोक नहीं लगी तो दुनिया के तीन फीसदी नमी वाले इलाके इस सदी के अंत तक शुष्क भूमि में बदल जाएंगे।
यूरोप, अमेरिका पर सबसे अधिक प्रभाव
सूखे से सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में यूरोप का 96 फीसदी हिस्सा, पश्चिमी अमेरिका, ब्राजील, एशिया और मध्य अफ्रीका के हिस्से शामिल हैं। दक्षिण सूडान और तंजानिया में भूमि का सबसे बड़ा हिस्सा शुष्क क्षेत्र में बदला है, जबकि चीन में सबसे बड़ी भूमि क्षेत्र शुष्क चुकी है। शुष्क क्षेत्रों में रहने वाले लगभग आधे लोग एशिया और अफ्रीका में रहते हैं। सबसे अधिक जनसंख्या वाले शुष्क क्षेत्रों में कैलिफोर्निया, मिख, भारत और पाकिस्तान के कुछ हिस्से और उत्तर-पूर्वी चीन आदि शामिल हैं।
जलवायु में स्थायी बदलाव को पलटना मुश्किल
यूएनसीसीडी के कार्यकारी सत्चिद इब्राहीम थियाव ने कहा कि पहली बार शुष्कता संकट को वैज्ञानिक स्पष्टता के साथ बताया गया है, जिससे दुनियाभर में अरबों लोगों को प्रभावित करने वाले अस्तित्व से जुड़े खतरे का पता चलता है। यह समस्या अस्थायी सूखे के जैसी नहीं है, जो कुछ समय बाद खत्म हो जाती है। यह शुष्कता एक स्थायी बदलाव है। सूखा खत्म हो सकता है, लेकिन जलवायु में जो स्थायी बदलाव हो रहे हैं, उनको पलटा नहीं जा सकता।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।