गोवंश के माध्यम से कृषि विकास, किसानों की आय और निर्यात में वृद्वि      Publish Date : 07/03/2025

गोवंश के माध्यम से कृषि विकास, किसानों की आय और निर्यात में वृद्वि

                                                                                                            प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 कृशानु

योगी सरकार की मंशा गोवंश को प्राकृतिक खेती का आधार बनाने की है। यही कारण है कि सरकार छुट्टा गोवंश के संरक्षण का हर संभव प्रयास कर रही है. साथ ही पशुपालक, गोवंश का पालन करें इसके लिए उनको लगातार प्रोत्साहन भी दे रही है। हाल ही प्रस्तुत किए गए बजट में सरकार ने छुट्टा गोवंश के संरक्षण के लिए 2000 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। इसी क्रम में सरकार ने अमृत धारा योजना भी लागू की है। इस योजना के तहत दो से 10 गाय पालने पर सरकार बैंकों के माध्यम से 10 लाख रुपए तक आसान शर्तों पर उपलब्ध कराएगी। योजना के तहत 3 लाख रुपए तक अनुदान के लिए किसी गारंटर की भी जरूरत नहीं होगी।

सुधरेगी जन, जल और जमीन की सेहत

                                                

दरअसल जन, जमीन और जल की सेहत योगी सरकार के लिए प्राथमिकता पर है। इसका प्रभावी हल है प्राकृतिक खेती। ऐसी खेती जो रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों से मुक्त हो और गोवंश इस खेती का आधार बन सकते हैं। गोवंश के गोबर और मूत्र को प्रसंस्कृत कर खाद और कीटनाशक के रूप में प्रयोग से ही ऐसा संभव है, इससे पशुपालकों को दोहरा लाभ होगा। खुद और परिवार की सेहत के लिए दूध तो मिलेगा ही जमीन की सेहत के लिए खाद और कीटनाशक भी मिलेगा, इनके उत्पादन से गौआश्रय भी क्रमशः स्वावलंबी हो जाएंगे।

यूपी को प्राकृतिक खेती का हब बनाने की तैयारी

उत्तर प्रदेश, देश में प्राकृतिक खेती का हब बन सके, इसके लिए मुख्यमंत्री हर मुमकिन मंच से इसकी पुरजोर पैरवी करते हैं। वह किसानों को भारतीय कृषि की इस परंपरागत कृषि पद्धति को तकनीक से जोड़कर और समृद्ध करने की बात भी करते हैं। इसके लिए उनकी सरकार किसानों को कई तरह की सुविधाएं भी दे रही है। प्राकृतिक खेती के परिप्रेक्ष्य में गंगा के तटवर्ती गांवों और बुंदेलखंड क्षेत्र में प्राकृतिक खेती पर सरकार का खासा जोर है। अब तो इसमें स्थानीय नदियों को भी शामिल कर लिया गया ह। वैश्विक महामारी कोरोना के बाद पूरी दुनिया स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हुई है। हर जगह स्थानीय और ऑर्गेनिक उत्पादों की मांग बढ़ी है और इनकी मांग बढ़ने से इनके दाम भी अच्छे मिलते हैं।

निर्यात बढ़ाने में भी मददगार होंगे प्राकृतिक कृषि उत्पाद

                                         

फूड बिहेवियर में आया यह परिवर्तन वैश्विक है, लिहाजा इनकी मांग अंतराष्ट्रीय स्तर पर भी बढ़ेगी। केंद्र सरकार का फोकस भी कृषि उत्पादों के निर्यात पर है। ऐसे में यह उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए एक मौका भी हो सकता है। मालूम हो कि प्रदेश का निर्यात लगातार बढ़ रहा है और गत सात वर्षों में यह बढ़कर दोगुना हो गया है। बीते साल के आंकड़ों के अनुसार 2017-2018 में उत्तर प्रदेश का निर्यात 88 हजार करोड़ रुपये का था जो कि 2023-2024 में बढ़कर 170 हजार करोड़ रुपये के स्तर तक पहुंच गया है। कृषि उत्पादों का निर्यात बढ़ने से अन्नदाता किसान खुशहाल होंगे। हलांकि, खास बात यह है कि प्राकृतिक खेती से जो भी सुधार होगा वह टिकाऊ (सस्टेनेबल), ठोस और स्थायी होगा।

किसानों के लिए योगी सरकार का प्रयास जारी

मुख्यमंत्री का गोवंश के प्रति प्रेम जगजाहिर है और वह अपने पहले कार्यकाल से ही गोवंश के संरक्षण पर जोर देते आ रहे है।. इस दौरान निराश्रित गोवंश के लिए गोआश्रय खोले गए। प्रति पशु के अनुसार भरण पोषण के लिए पैसा भी दिया जाता है। बजट के पहले अनुपूरक बजट में भी इसके लिए 1001 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था। मुख्यमंत्री की मंशा इन गोआश्रयों को आत्मनिर्भर बनाने की है और ऐसा तभी संभव होगा जब इनके गोबर और मूत्र को आर्थिक रूप से उपयोगी बनाया जाएगा।

पशुपालकों के लिए कई सहूलियत

इसके लिए समय-समय पर सरकार स्किल डेवलपमेंट का भी कार्यक्रम चलाती रही है। इसके साथ ही मनरेगा के तहत भी पशुपालकों को सस्ते में कैटल शेड, पशु बाड़ा और गोबर गैस लगाने की सहूलियतें दी जा रही हैं। मिनी नंदिनी योजना भी गोवंश के संरक्षण और संवर्धन को ही ध्यान में रखकर बनाई गई है, इसमें भी योगी सरकार कई तरह के अनुदान दे रही है।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।