
सकारात्मकता के साथ आगे बढ़े Publish Date : 06/03/2025
सकारात्मकता के साथ आगे बढ़े
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर
जितनी ज्यादा चाह है उससे ज्यादा मेहनत कर उसे प्राप्त करने की इच्छा ही हमें सकारात्मक बना सकती है। ऐसा कुछ भी नहीं है जो कि बदल ना जा सके। जब हम स्वार्थ से उठकर अपने समय को देखते हुए दूसरे के लिए कुछ करने को तैयार होते हैं तो हम सकारात्मक हो जाते हैं। राजा भागीरथ ने अपनी कठोर तपस्या के माध्यम से गंगा को पृथ्वी पर आने के लिए मजबूर कर दिया था। सच है कि आपके द्वारा किया गया कोई कार्यफल ना दे यह तो नामुमकिन ही है। यह सब कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि आप अपने काम को किस प्रकार से करते हैं।
हम सब यह जानने में लगे रहते हैं कि पड़ोसी के घर क्या हो रहा है और कौन क्या कर रहा है, कौन क्या लाया है, कहां गया और क्या देख रहा है, केवल इस सब पर ही हमारी नजरें होती है। परन्तु जिस बात का हमें पता नहीं होता है, वह यह कि हमारी खुशी कहां है। दूसरों को तो जरूर देखे, पर अपने लिए भी वफादार रहे। देखने का हमारा नजरिया सकारात्मक होना चाहिए। गांधी जी ने कहा है कि जब आप दुखी हो तो अपने से नीचे देखो, फिर सोचो कि आप खुशी हो या दुखी।
यहां देखने का नजरिया महत्वपूर्ण होता है। नीचे की ओर देखते समय अपनी सुविधाओं को देखो और ऊपर देखते हुए उन लोगों के द्वारा किए गए श्रम को समझने का प्रयास करों। काम कोई भी हो यदि वह पसंद ही नहीं है तो वह एक बोझ ही नजर आता है चाहे फिर वह पूजा हो या फिर दोस्तों के साथ मौज मस्ती। बोझ को देर तक उठाना मुश्किल होता है और इसी प्रकार से अनचाहे रास्तों पर देर तक चलना भी हमारे तन मन को कमजोर कर देता है।
ऊर्जा एवं सकारात्मकता से समृद्ध होकर आप जीवन को आनंदित बना सकते हैं। समाज और राष्ट्र के लिए भी ज्यादा उपयोगी साबित हो सकते हैं। अतः सदैव उत्साहित रहकर खुद को ऊर्जा से भरपूर रखें। इससे आपके व्यक्तित्व को एक नई पहिचान मिलेगी। आपका आत्मविश्वास बढ़ेगा और जीवन में सफलता की सीढ़िया पर बहुत जल्दी आप आरोहण कर सकेंगे और काफी आगे तक जा भी सकेंगे।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।