
नैरोबी मक्खी का आतंक और उससे बचाव Publish Date : 22/02/2025
नैरोबी मक्खी का आतंक और उससे बचाव
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 रेशु चौधरी
नैरोबी मक्खी एक कृषि और मानव मित्र कीट है, जो न तो काटती है और न ही डंक मारती है। बल्कि शरीर के किसी भी अंग पर इस मक्खी के बैठने पर खुजलाहट, जलन और घाव हो जाता है और कभी-कभी तो आँखों की ज्योति भी चली जाती है। ऐसा इस मक्खी के द्वारा पेडेरिन नामक पदार्थ के स्राव करने के चलते होता है। ऐसे में जब कभी भी यह नैरोबी मक्खी किसी व्यक्ति के शरीर पर बैठे तो इसे बिना स्पर्श किए ही उड़ा देना चाहिए और साथ ही अपनी आँखों को छूने से बचना चाहिए।
जून, 2022 में जब सिक्किम मणिपाल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मझीतारी के 100 से अधिक छात्र नैरोबी मक्खी की चपेट में आए, तभी से यह मक्खी लगातार चर्चा का विषय बनी हुई है। इसके बाद बिहार सरकार ने इसकी गम्भीरता को देखते हुए इसके लिए प्रदेश में रेड अलर्ट जारी कर दिया। वास्तव में नैरोबी मक्खी, कोई मक्खी नही है, यह एक भृंग (बीटल) है और यह कोलियोप्टेरा गण (ओडर) के स्टेफिलिनिडे परिवार से सम्बन्धित है। इस परिवार के सदस्यों को रोव बीटल के नाम से भी जाना जाता है। स्टेफिलिनिडे की पहिचान मुख्य रूप से उसके छोटे एलीट्रा (आगे के पंख) के माध्यम से की जाती है, जो कि आमतौर पर इनके पेट के आधे से अधिक खंड़ों को दर्शाते हैं। वंश (जीनस) पेडेरस की दो प्रजातियों (पी. एक्जिमियस एवं पी. सबियस) को नैरोबी मक्खी कहा जाता है।
नैरोबी पूर्वी अफ्रीकी देश केन्या की राजधानी है। मूल रूप से यह कीट पूर्वी अफ्रीका में पाया जाता है और वहां इसका भयंकर प्रकोप देखा गया है। यही कारण है कि इसे नैरोबी मक्खी या केन्या मक्खी के नाम से पुकारा जाता है। हालांकि अब यह मक्खी केवल केन्या तक ही सीमित नहीं है, बल्कि आज यह सम्पूर्ण विश्व के उष्णकटिबंधीय और समशीतोष्ण क्षेत्रों में भी व्यापक रूप से देखी जा रही है।
नैरोबी मक्खी का परिचय
यह भृंग लगभग एक से.मी. लम्बा होता है। इसका सिर, पेट का पिछला भाग और एलीट्रा काले रंग के होते हैं तथा गर्दन और पेट का शेष भाग नारंगी रंग का होता है। नैरोबी मक्खी नमी वाले स्थान जैसे कि धान के खेत आदि में पाई जाती है और यह रात्री के समय होने वाले प्रकाश के प्रति आकर्षित होती है।
नैरोबी मक्खी के द्वारा होने वाले नुकसान
इस कीट के ग्रब और व्यस्क दोनों ही फसलीय कीटों के शिकारी होते हैं इसलिए यह कृषि और मानव मित्र कीटों की श्रंखला में आते हैं। जबकि कभी-कभी यह मानव को शारीरिक रूप से नुकसान भी पहुँचाते हैं। सामान्य रूप से सिंचित मृदा में काम करने वाले किसान ही इसकी चपेट में आते हैं, जबकि कभी-कभी यह कीट विभिन्न कारणों के चलते आवासीय क्षेत्रों की ओर भी पलायन करते हैं, जैसे घरों के अंदर से आने वाली रोशनी अथवा कटी हुई फसल के साथ आदि।
कीटनाशकों के प्रयोग से इनके आहार यानी फसलीय कीटों में कमी आ जाने के कारण आहार की तलाश में यह मक्खी आवासीय क्षेत्रों में भी आ जाती है। नैरोबी मक्खी की मादा नमी युक्त स्थान पर एक-एक कर अंड़े देती है। भारी वर्षा के बाद जब फसल के कीटों में वृद्वि होती है तो इसके साथ ही नैरोबी मक्खी का प्रकोप भी बढ़ जाता है। यह मक्खी न तो काटती है और न ही डंक मारती है, परन्तु शरीर पर बैठने पर यह एक अम्लीय पदार्थ पेडेरिन का स्राव करती है।
पेडेरिन का निर्माण इस कीट के शरीर में पाए जाने वाले एक सहजीवी बैक्टीरिया के माध्यम से होता है। इस अम्लीय पदार्थ के सम्पर्क में आने पर असामान्य जलन, जल्द ही सूजन या फिर त्वचा में घाव बन जाते हैं। सूजन की गम्भीरता प्रत्येक यक्ति, पेडेरिन की मात्रा और इसके सम्पर्क में आने की अवधि के ऊपर निर्भर करती है।
कम गम्भीर मामलों में त्वचा में हल्की सी लालिमा नजर आती है तो मध्यम रूप से गम्भीर मामलों में खुजली लगभग 24 घंटे के बाद शुरू होती है। इसके बाद लगभग 48 घंटे में त्वचा पर छाले बनने लगते हैं, जो कि आमतौर पर सूख जाते हैं और निशान भी नहीं छोड़ते हैं।
जब विष पूरे शरीर में व्यापक रूप से फैल जाता है तो मामला अति गम्भीर हो जाता है। इसके कारण प्रभावित व्यक्ति को बुखार, तंत्रिका में दर्द और जोड़ों में दर्द या उल्टी की समस्या भी हो सकती है। यदि यह विष प्रभावित व्यक्ति की आँखों के सम्पर्क में आ जाता है तो यह अस्थाई अंधेपन का कारण भी बन सकता है। इसके साथ ही कई व्यक्तियों में घाव इतना गहरा भी हो सकता है कि उन्हें डॉक्टर से सर्जरी कराने की आवश्यकता भी हो सकती है।
निवारण के उपाय
- बिना स्पर्श किए ही इन मक्ख्यिों को शरीर पर से उड़ा देना चाहिए।
- शरीर के जिस भाग पर भी यह मक्खी बैठती है उसे साबुन और पानी की सहायता से अच्छी तरह से धो देना चाहिए।
- सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करना चाहिए।
- पूरे शरीर को ढंकने वाले वस्त्रों को पहनने में प्राथमिकता देनी चाहिए।
- चश्मा पहनकर रखें और यथासम्भव आँखों को छूने से बचें।
- रात में प्रकाश करने से बचें।
- नैरोबी मक्खी के प्रजनन स्थलों पर इमिडाक्लोप्रिड, फिप्रोनिल और डेल्टामेथ्रिन आदि कीटनाशकों छिड़काव करते रहना चाहिए।
- किसी प्रकाश स्रोत की सहायता से नैरोबी मक्खी का बड़ी संख्या में संग्रहण कर किसी कीटनाशक की सहायत से इन्हें नष्ट किया जा सकता है।
- शरीर पर चकत्ते दिखाई देने पर अविलंब डॉक्टर से सम्पर्क करना आवश्यक है।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।