चमत्कारी पौधा है बिच्छु घास      Publish Date : 21/02/2025

                        चमत्कारी पौधा है बिच्छु घास

                                                                                                                        प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 वर्षा रानी

बिच्छु घास एक प्रकार का जंगली पौधा होता है। इसे छूने पर करंट जैसा अनुभव होता है। इसका वैज्ञानिक नाम अर्टिका हाइओका है। यह औषधीय जड़ी-बूटी नेटल परिवार से संबंधित है। यह मुख्य रूप से एंटीऑक्सीडेंट का काम करती है। इस पौधे के पत्ते, जड़ और तने सभी समान रूप से उपयोगी होते हैं। सर्दी, खांसी, बुखार, शरीर में कमजोरी, मोच, जकड़न, मलेरिया आदि के उपचार में इसका उपयोग किया जाता है।

                                                 

दर्द होने पर पेनकिलर के रूप में भी इसका उपयोग होता है। पर्वतीय क्षेत्रों में इसकी साग-सब्जी बनायी जाती है। इसकी तासीर गर्म होती है और यह पालक के साग की तरह स्वादिष्ट होती है। इसमें विटामिन ‘ए’, ‘बी’, ‘डी’, आयरन, कैल्शियम, मैंगनीज, मैग्नीशियम, फॉस्पफोरस, सोडियम, जिंक, कॉपर, राइबोफ्लेविन आदि तत्व प्रचुर मात्रा में होते हैं। बिच्छु घास स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभदायक है। इसमें बहुत से विटामिन और मिनरल के अलावा प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट भी पाये जाते हैं।

उपयोग:

                                                              

बिच्छु घास की चायः बिच्छु घास की बनी हर्बल चाय का फ्लेवर खीरे की तरह होता है। यह सर्दी-खांसी एवं बुखार में तुरंत आराम देती है।

हृदय को रखे स्वस्थः इसकी बूटी में मैग्नीशियम और पोटेशियम पाया जाता है, जो हृदय को स्वस्थ रखने में फायदेमंद होता है।

घावों को भरने में है कारगरः इसमें एंटी बैक्टीरियल और एंटी इंफ्रलेमेटरी तत्व पाये जाते हैं, जो घाव को शीघ्र भरते हैं।

रक्त संचरण में उपयोगीः रक्त परिसंचरण में बिच्छु बूटी एक गुणकारी औषधि के रूप में कार्य करती है और इसकी मदद से रक्तसंचार की गति को सामान्य किया जा सकता है।

कैंसररोधी गुणः इसमें कैंसररोधी गुण पाये जाते हैं और कई प्रकार के कैंसर की रोकथाम में यह प्रभावी है।

हड्डियों की मजबूतीः इसमें कैल्शियम और विटामिन ‘डी’ पाये जाते हैं, जो हड्डियों को मजबूत बनाने में फायदेमंद होते हैं।

खून की कमी को दूर करने में उपयोगीः इसमें मौजूद आयरन से खून की कमी दूर होती है।

रोग प्रतिरोधक क्षमताः यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ावा देती है।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।