
अब है क्षणिक संबंधों का जमाना पल भर के रिश्ते नैनोशिप से परिवर्तित Publish Date : 13/02/2025
अब है क्षणिक संबंधों का जमाना पल भर के रिश्ते नैनोशिप से परिवर्तित
प्रोफेसर आर एस. सेंगर
पल भर के लिए कोई हमें प्यार कर ले गीत के यह बोल रिश्तों की नैनोसिप की और इशारा करते है।
वर्तमान समय के डिजिटल युग के दौरान लगभग प्रत्येक चीज के मायने बदल गए हैं जिनमें हमारे रिश्ते, प्यार और भावनाएं भी शामिल हो गई हैं। कई लोगों ने लव लेटर से लेकर डेटिंग एप्स पर प्यार के इजहार का सफर को देखा होगा परन्तु अब इसमें आजकल एक नया नाम और जुड़ गया है और वह है नैनोशिप।
वर्तमान में समय बहुत तेजी के साथ बदल रहा है और रिश्ते पल भर में बदलते हैं, बल्कि पल भर के लिए ही रिश्ते बनकर रह जाते हैं। पल भर के लिए बनाए जाने वाले इन रिश्तों को ही अब नया नाम दिया गया है नैनोशिप।
बहुत ही कम समय के लिए बनाए और निभाए गए यह रिश्ते आज काफी तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। नैनो टेक्नोलॉजी, नैनो पाठ, नैनो सफर और नैनो चिप के समय में अब संबंध भी नैनो हो चले हैं। ऐसे में रिश्तो का यह नया नाम यानी नैनोशिप दुनियाभर में फैल रहा है। यह एक एक बड़े कमाल की चीज है, जिसमें दर्द बिल्कुल नहीं पीढ़ी की सोच खुशियां सपने और न जाने क्या-क्या इसमें समाया हुआ है। नई पीढ़ी रिलेशनशिप, सिचुएशनशिप टैक्सेशनशिप में ही खुशियों की तलाश में जुटी थी कि नैनोशिप नाम से एक अन्य एडवांस्ड टर्म सामने आ गया है।
अब इसको समझने के फंडे शुरू हो चुके हैं। वैसे नैनो का मतलब जानें तो हम समझेंगे कि यह एक लैटिन शब्द है जिसका अर्थ है सूक्ष्म या अत्यंत छोटा। गणित की भाषा में एक अरब में भाग को नैनो कहा जाता है। विज्ञान गणित और वस्तुओं को उनके सूक्ष्म आकार में नैनोशिप के रूप में जान सकते हैं, लेकिन इंसानियत के संबंधों में नैनोशिप वे संबंध हैं जो की क्षणिक या सूक्ष्म अवधि के रहते हैं। ऐसे रिश्तें कब शुरू हुए और कब खत्म हो जाएंगे इसका गुणा भाग लगाने की कोई जरूरत नहीं, क्योंकि दोनों तरफ से ही नैनोशिप में भरोसा और सहमति होती है।
यह क्षणिक संबंधों का जमाना है
नैनो शब्द के अर्थ सामने आते ही नैनोशिप की दुनिया के ताले भी खुलने लगते हैं, जिसे समझना जितना आसान है उतना ही दिलचस्प भी है। आसान इस तरह से कि नैनोशिप वह संबंध है जो क्षणिक या बहुत कम समय के लिए होते हैं और यह आपसी समझ में आने से पहले ही समाप्त भी हो सकता है। दिलचस्प इसलिए कि इसमें चाहत की गहराई या गंभीरता नहीं दिखाई देती है।
देव आनंद पर फिल्म गीत ‘‘पल भर के लिए कोई हमें प्यार कर ले, झूठा ही सही’’ में गीतकार बहुत पहले ही नैनोशिप का इशारा कर चुके हैं। डबिंग एप, टेक्स्ट वीडियो मैसेज, सोशल साइट्स के माध्यम से रिलेशनशिप निभाने वाली जनरेशन पहले ही अपनी सुविधा अनुसार प्यार संबंधों की परिभाषा करती रही है और इसी का विस्तार है यह आज का नैनोशिप।
मगर इस विचार में संबंधों की आयु नैनों तक सीमित गई है, बावजूद इसके यह सब को स्वीकार है और आगे चलकर इसके और अधिक फलने फूलने की भविष्यवाणियं की जा रही है। अमेरिका की एक डेटिंग एप कंपनी ने 19 से 34 साल की उम्र के 8000 महिला और पुरुषों पर एक सर्वे किया, जिसमें सिंगल्स और डेट कर रहे दोनों तरह के युवा शामिल थे। इन लोगों से बातचीत में पाया गया कि हर किसी के लिए रोमांटिक कनेक्शन बेहद मायने रखते हैं। खासकर सिंगल युवा तो हर छोटी से छोटी बातचीत का मतलब ढूंढ लेते हैं और रोमांस की छोटी सी मोमेंट भी उन्हें खुश कर जाती है या उन पर गहरा प्रभाव डालती है।
अब रोमांस की इस छोटी सी मोमेंट को ही नैनोशिप कहा जा रहा है। इसको समझने वाले कहते हैं कि यदि आप सड़क पर चलते हुए किसी व्यक्ति को देखकर आप मुस्कुराने लगते हैं तो आप नैनोशिप में हो सकते हैं। मेट्रो में किसी से पल भर नजर मिलती है और आपने मुस्कुराया दिया तो यह नैनो सम्बन्ध है। रेस्त्रां में आपके सामने या फिर कोई दूर बैठा आपको देख ले नजर मिले तो आप भी नैनोशिप में जाना चाहेंगे। नैनोशिप से एक बात और निकलती है कि इसमें किसी पर कोई बंदिश नहीं। जब तक मन करे और सुविधाजनक हो और आपसी राजा बंदी हो तब तक आप नैनोशिप में रह सकते हैं। किसी को किसी से लंबे समय तक बंधे रहने की शर्त नहीं। उसके पास इतना समय और धैर्य नहीं और शायद इसकी जरूरत भी ना हो।
नैनोशिप में सात जन्मों का बंधन नहीं
नैनोशिप भले ही नए जमाने का नया ट्रेंड हो, लेकिन इसकी अब स्वीकारता बढ़ती जा रही है। मीडिया और समाज भी इस पर लगातार बातें कर रहे हैं, तो निश्चित ही इसे हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए। भले ही अ।भी यह समाज के एक बहुत छोटे हिस्से में ही व्याप्त है, लेकिन इस तरह के संबंधों को पसंद करने वाले ही इसके नफा नुकसानों पर अधिक स्पष्टता से प्रकाश डाल सकते हैं और उनके अनुसार यह एक ऐसी रिलेशनशिप है जिससे उन्हें मानसिक और भावनात्मक सहारा मिलता है। उनके दिलों दिमाग पर कोई बोझ नहीं रहता और जब ठीक न लगे तब कभी भी ऐसे रिश्ते बिना अपराध बोध के खत्म कर सकते हैं।
नैनोशिप को अधिकतर ऐसे लोग स्वीकार कर रहे हैं जो मजबूत और टिकाऊ रिलेशनशिप के लिए खुद को समर्थ नहीं मानते। वह नैनोशिप को रिश्ते की जिम्मेदारी से बचने का एक खूबसूरत तरीका मान रहे हैं। नैनोशिप उनके लिए कम समय में वह सब कुछ पाने का एक अच्छा तरीका है, जिसके लिए लोग अपनी सारी उम्र निकल देते हैं और अपने रिश्तों को जिंदा रखने के लिए सात जन्मों का साथ निभाना का वायदा करते हैं। इसलिए अगर इस प्रकार से देखा जाए तो नोशिप उनके लिए किसी अजूबे से कम नहीं है।
नई जनरेशन के सोच के फ़ासले हैं नैनोशिप
कहीं मिले, कुछ समय साथ बिताया और फिर अलग हो गए, वह भी बिना किसी शिकवा शिकायत के। न आपको हमसे उम्मीद न हमें आपसे कोई शिकायत न समाज का दबाव और न परिवार का दबाव न लंबी चौड़ी काम और न जन्म जन्मांतर के वायदे। बिना जिम्मेदारियां के सुविधाजनक रिलेशनशिप से अच्छी बात क्या हो सकती है। आगे चलकर रिश्तो के बिगड़ने की गुंजाइश ही नहीं रहती, क्योंकि जो चीज कभी बनी ही नही वह क्या बिगडेगी।
पारिवारिक सामाजिक दबाव का भी कोई जोखिम नहीं और सबसे बड़ी बात है कि यदि दो व्यक्ति आपसी राजा बंदी से अपनी सुविधा अनुसार और जब तक चाहे एक रिलेशनशिप में रहना चाहते हैं तो किसी को क्या। दरअसल समाज वैज्ञानिक, मनोवैज्ञानिक और दीर्घ मजबूत तथा स्थाई रिश्तो के ऊपर विश्वास रखने वाले लोग इसे अलग नजरिए से देखते हैं वह इस समाज परिवार और व्यक्ति के लिए नुकसानदायक मानते हैं।
वह मानते हैं कि नैनोशिप रिश्तों और जिम्मेदारियां से बचने और उन्हें महत्व न देने का नाम है। इसमें आप किसी पर कोई आरोप भी नहीं लगा सकते कोई जवाबदेही तय नहीं कर सकते। क्षणिक रिलेशनशिप की यह कमी ही इस मानने वालों के लिए इसकी खासियत होती है। उनके अनुसार यह कोई समझौता नहीं, न ही कोई मजबूरी है और न ही कोई सशक्त रिलेशनशिप है। इसमें आपसी सहमति और आवश्यकता बड़ा महत्व रखती है। दोनों को पता होता है कि उन्हें क्या चाहिए और कितना आगे बढ़ाना है। इसके आगे की योजना बनाने में समय खर्च करने का झंझट ही नहीं होता। इसलिए इसकी और अधिक युवा आकर्षित हो रहे हैं।
नैनोशिप छोटे घनिष्ठ संबंधों का कनेक्शन माना जाता है। नैनोशिप में सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ही तरह के पहलू शामिल होते हैं। इसका सकारात्मक पक्ष यह है कि इसमें मजबूत संबंध बेहतर समझा और सार्थक संचार होता है, क्योंकि एक को दूसरे से कोई अपेक्षा नहीं होती। यह संबंध लचीले भी होते हैं और खास जरूरत के हिसाब से आसानी से ढल सकते हैं। हालांकि, इसमें कुछ कमियां भी है कम बातचीत होने से अनुभव और दृष्टिकोण सीमित हो सकते हैं। यह रिश्ते कभी-कभी व्यक्ति को अत्यधिक निर्भरता की और ले जाते हैं जो कि एक ठीक स्थिति नहीं है।
साथ ही ऐसे अंतरंग सेटअप में संघर्ष अधिक तेज और हल करने में मुश्किल लग सकते हैं। कुल मिलाकर नैनोशिप नजदीकी बढ़ाने के लिए बहुत बढ़िया है लेकिन नकारात्मक पहलुओं से बचने के लिए सही संतुलन की आवश्यकता है। जीवन काफी लंबा होता है इसलिए ऐसे संबंधों को बनाने के लिए अधिक सोचने समझने की आवश्यकता होती है।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।