खाद्य मिलावट के जहर से स्वास्थ्य पर कहर      Publish Date : 12/02/2025

                    खाद्य मिलावट के जहर से स्वास्थ्य पर कहर

                                                                                                                                           प्रोफसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 रेशु चौधरी

आमतौर पर बाजार में बिकने वाले खाद्य पदार्थों में मिलावट का संशय बना रहता है। दालें, अनाज, दूध, मसाले, घी से लेकर सब्जी व फल तक कोई भी खाद्य पदार्थ मिलावट से अछूता नहीं है। आज मिलावट का सबसे अधिक कुप्रभाव हमारी रोजमर्रा के जीवन में प्रयोग होने वाली जरूरत की वस्तुओं पर ही पड़ रहा है। शरीर के पोषण के लिए हमें खाद्य पदार्थों की प्रतिदिन आवश्यकता होती है। शरीर को स्वस्थ रखने हेतु प्रोटीन, वसा, कार्बोहाईड्रेट, विटामिन तथा खनिज लवण आदि की पर्याप्त मात्रा को आहार में शामिल करना आवश्यक है तथा ये सभी पोषक तत्व संतुलित आहार से ही प्राप्त किये जा सकते हैं।

यह तभी संभव है, जब बाजार में मिलने वाली खाद्य सामग्री, दालें, अनाज, दुग्ध उत्पाद, मसाले, तेल इत्यादि मिलावट रहित हों। खाद्य अपमिश्रण से उत्पाद की गुणवत्ता काफी कम हो जाती है। खाद्य पदार्थों में सस्ते रंजक इत्यादि की मिलावट करने से उत्पाद तो आकर्षक दिखने लगता है, परंतु पोषकता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, जिससे ये स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं।

सामान्य रूप से किसी खाद्य पदार्थ में कोई बाहरी तत्व मिला दिया जाए या उसमें से कोई मूल्यवान पोषक तत्व निकाल लिया जाए या भोज्य पदार्थ को अनुचित ढंग से संग्रहीत किया जाए तो उसकी गुणवत्ता में कमी आ जाती है। इसलिए उस खाद्य सामग्री या भोज्य पदार्थ को मिलावटयुक्त कहा जाएगा। भारत सरकार द्वारा खाद्य सामग्री की मिलावट की रोकथाम तथा उपभोक्ताओं को शुद्ध आहार उपलब्ध कराने के लिए वर्ष 1954 में खाद्य अपमिश्रण अधिनियम (पीएफए एक्ट 1954) लागू किया गया। उपभोक्ताओं के लिए शुद्ध खाद्य पदार्थों की आपूर्ति सुनिश्चित करना स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की जिम्मेदारी है। इसको ध्यान में रखते हुए उपरोक्त खाद्य अपमिश्रण रोकथाम अधिनियम बनाया गया, जिसके मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैः-

  • जहरीले एवं हानिकारक खाद्य पदार्थों से जनता की रक्षा करना।
  • घटिया खाद्य पदार्थों की बिक्री की प्रभावी ढंग से रोकथाम करना।
  • धोखाधड़ी प्रथा को नष्ट करके उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना।

अपमिश्रित खाद्य पदार्थ तथा स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव

खाद्य अपमिश्रण से मूल खाद्य पदार्थ तथा मिलावटी खाद्य पदार्थ में भेद करना काफी कठिन होता है। अपमिश्रित आहार का उपयोग करने से शरीर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और शारीरिक विकार उत्पन्न होने की आशंका बढ़ जाती है। खाद्य अपमिश्रण से आखों की रोशनी जाना, हृदय संबन्धित रोग, लीवर खराब होना, कुष्ठ रोग, आहार तंत्र के रोग, पक्षाघात व कैंसर जैसे रोग हो सकते हैं। अनेक स्वार्थी उत्पादक एवं व्यापारी कम समय में अधिक लाभ कमाने के लिए खाद्य सामाग्री में अनेक सस्ते अवयवों की मिलावट करते हैं, जो हमारे शरीर पर दुष्प्रभाव डालते हैं।

सामन्यातः दैनिक उपभोग वाले खाद्य पदार्थ जैसे दूध, छाछ, शहद, मसाले, घी, खाद्य तेल, चाय-कॉफी, खोया और आटा आदि में मिलावट की जा सकती है। प्रस्तुत सारणी-2 में खाद्य पदार्थों में संभावित मिलावटी पदार्थ तथा उनसे होने वाले रोग के नाम इंगित हैं।

 खाद्य पदार्थों में मिलावट की जांच के लिए केन्द्रीय प्रयोगशालाओं के अतिरिक्त राज्य सरकार के खाद्य निरीक्षक, भोज्य पदार्थों के नमूने को सरकारी/लोक विश्लेषक के पास भेजते हैं। एक गृहणी प्रत्येक खाद्य पदार्थ को परीक्षण केलिए प्रयोगशाला नहीं भेज सकती। अतः यह अवशयक है कि गृहणी को मुख्य खाद्य पदार्थों में कि जाने वाली मिलावट का अनुमान अवश्य हो। खाद्य अपमिश्रण कि जांच के कुछ सरल व घरेलू परीक्षण, जिनसे कोई भी उपभोक्ता आसानी से शुद्धता कि जांच कर सकता है, का संक्षिप्त विवरण सारणी - 2 में दिया गया है।

सारणी 1- मिलावटी खाद्य पदार्थों से होने वाले विभिन्न रोग

क्र.सं.

खाद्य सामग्री

मिलावटी तत्व

शरीर पर दुष्प्रभाव

1.

खाद्यान्न/दालें/गुड़/मसाले

कंकड़, पत्थर, मिट्ठी, रेत और बुरादा

पेट से सम्बन्धित रोग एवं आहार तंत्र सम्बन्धित रोग

2.

सरसों का तेल

आर्जिमोन तेल

नेत्र ज्योति का ह्रास, हृदय सम्बन्धी रोग, ऐपीडेमिक ड्रॉप्सी (अनियंत्रित ज्वर एवं आहार तंत्र प्रभावित) होता है।

3.

चना/अरहर दाल एवं बेसन

खेसरी दाल

लकवा एवं कुष्ठ रोग, जल शोथ एवं लेथारस नामक रोग

4.

बेसन/हल्दी

पीला रंग (मेटानिल)

प्रजनन तंत्र, पाचन तंत्र, यकृत एवं गुर्दे प्रभवित होते हैं।

5.

बादाम का तेल

मिनरल तेल

यकृत सम्बन्धित रोग, कैंसर

6.

समस्त भोज्य पदार्थ

कीटनाशकों के अवयव

शरीर के प्रमुख अंगों निष्क्रिय होना तथा भोज्य विषाक्तता

7.

दालें

टेलकम पाउडर एवं एस्बेस्टस पाउडर

पाचन तंत्र प्रभावित होता है तथा गुर्दे में पथरी की आशंका

8.

लाल मिर्च

रोजमाइन-बी

यकृत, गुर्दे और तिल्ली प्रभावित होती हैं।

8.

हल्दी

सिंदूर (लेड क्रोमेट)

यकृत सम्बन्धित रोग, रक्ताल्पता और गर्भवात की समस्या।

10.

पेय पदार्थ

निषिद रंग एवं रंजक

 

11.

वर्क

एल्यूमिनियम

 

12.

चाय पत्ती एवं कॉफी

लौह चूर्ण/रंग

आहार तंत्र एवं पाचन तंत्र प्रभावित होता है।

खाद्य मिलावट

इस अधिनियम के अंतर्गत मिलावटयुक्त भोज्य पदार्थों को अपमिश्रित माना जाता है तथा निम्नवत् भोज्य पदार्थ मिलावटयुक्त कहे जाएंगेरू

  • यदि दुकानदार ग्राहक की मांग के अनुसार गुणवत्ता वाला भोज्य पदार्थ देने में अक्षम हो।
  • किसी खाद्य पदार्थ में उसके अभिन्न पदार्थों के अतिरिक्त किसी अन्य पदार्थ की उपस्थिति उस खाद्य सामग्री को मिलावटी बना देती है। इसके अतिरिक्त मानक स्तर से कम स्तर वाला भोज्य पदार्थ भी अपमिश्रित माना जाता है।
  • किसी खाद्य सामग्री में कोई अवयव या पदार्थ इस तरह संशोधित किया गया हो, जिससे मूल खाद्य पदार्थ की संरचना, प्रकार तथा गुणवत्ता स्तर इस प्रकार बदल जाए और शरीर पर प्रतिकूल प्रभाव डाले।
  • भोज्य पदार्थ से कोई अवयव आंशिक या संपूर्ण रूप से निकाल लिया गया हो।
  • अस्वास्थ्यकर परिस्थितियों में तैयार, पैक व अनुचित तरीके से संग्रहीत भोज्य पदार्थ द्य को भी मिलावटयुक्त ही कहा जाएगा।
  • यदि भोज्य पदार्थ पूर्णत: या आंशिक रूप से गंदा, दुर्गंधयुक्त, सड़ा हुआ या रोगग्रस्त प्राणी या वनस्पति से प्राप्त किया गया हो या वह खाद्य सामग्री कीड़ों आदि से संक्रमित हो तो इसे मानव उपयोग के लिए अपमिश्रित माना जाता है।
  • यदि आदेशित मानक रंजक के अतिरिक्त कोई अन्य रंजक पदार्थ या उसकी आदेशित द्य सीमा से भिन्न मात्रा खाद्य पदार्थ में उपस्थित हो।
  • यदि किसी खाद्य सामग्री में प्रतिबंधित संरक्षक पदार्थ मिला हो या आदेशित रंजक व संरक्षण पदार्थ का मानकों से अधिक प्रयोग किया गया हो।

सारणी 2- विभिन्न खाद्य पदार्थों में मिलावट किए जाने वाले पदार्थ और उनकी जांच

क्र.सं.

खाद्य पदार्थ का नाम

मिलावटी तत्व

अपमिश्रण की जांच एवं परिणाम

1.

दूध

पानी, स्टार्च, वाशिंग पाउडर एवं यूरिया आदि।

1. दूध में पानी के मिलावट की जांच लैक्टोमीटर के माध्यम से की जाती है। इसकी रीडिंग 28 से 34 हानी चाहिए। यदि लैक्टोमीटर की रीडिंग 28 से कम आती है तो इससे दूध में पानी की मिलावट प्रमाणित होती है।

2. दूध की एक बूँद को पॉलिश की उर्ध्वाधर सतह पर रखने से शुद्व दूध बहुत धीरे-धीरे बहता है, परन्तु यह एक सफेद निशान छोड़ देता है, जबकि पानी मिला हुआ दूध निशान छोड़े बिना ही बह जाता है।

3. दूध में मिलावट करने वाले लोग लैक्टोमीटर की रीडिंग को बढ़ाने के लिए उसमें चीनी या स्टार्च आदि का मिश्रण कर देते हैं। इसकी जांच करने के लिए दूध में आयोडीन को मिलाकर गमग् किया जाता है। दूध को गर्म करने पर यदि उसका रंग नीला हो जाता है तो इसका अर्थ यह है कि द ूध में स्टार्च मिला हुआ है।

4. दूध में यूरिया मिश्रित होने की जांच करने के लिए एक परीक्षण ट्यूब में 0.5 मि.मी. दूध में दो बूँद ब्रोमोथाइमोल/अल्कोहल का मिश्रण करना चाहिए। इसके दस मिनट के बाद इसका रंग नीला होना दूध में यूरिया की उपस्थिति को दर्शाता है।

2.

सरसों के बीज

ऑर्जिमोन

ऑर्जिमोन के बीज की सतह खुरदरी होती है। सरसों के बीज को दबाकर देखने पर वह अंदर से पीले रंग का होता है, जबकि ऑर्जीमोन के बीज का रंग अंदर से सफेद होता है।

3.

सरसों का तेल

ऑर्जिमोन के बीज

नमूने में सांद्र नाइट्रिक अम्ल मिलाकर मिश्रण को थोड़ी देर हिलाने पर, एसिड की परत में लाल-भूरे रंग की एक परत दिखाई देती है तो यह ऑर्जिमोन के मिश्रण का संकेत होता है।

4.

आइसक्रीम

वाशिंग पाउडर

आइसक्रीम में कुछ बूँदें नींबू के रस की डालने पर उसमें बुलबुले बनने लगते है जो आइसक्रीम में वाशिंग पाउडर के मिश्रण का संकेत होता है।

5.

चाँदी का वर्क

एल्युमीनियम

चांदी के वर्क में एल्युमिनियम की मिलावट की आसानी से जांच की जा सकती है, क्योंकि चांदी के वर्क को जलाने पर वह छोटी गेंद के रूप में परिवर्तित हो जाता है, जबकि मिलावट वाली चांदी को जलाने के बाद गहरे ग्रे रंग का अवशेष बच जाता है।

6.

चाय-पत्ती

रंगीन पत्ते

 

 

 

 

 

रंग

चायपत्ती को सफेद रंग के कागज पर रगड़ने से कृत्रिम रंग कागज पर आ जाता है।

लोहा फिलिंग     चायपत्ती के नमूने के ऊपर से चुम्बक फिराने से लौह अवयव चुम्बक में चिपक जाते हैं।

चायपत्ती की शुद्धता की जांच के लिए चीनी मिट्टी के किसी बरतन या शीशे की प्लेट पर नींबू का रस डालकर उस पर चायपत्ती का थोड़ा सा बुरादा डालें। यदि नींबू के रस का रंग नारंगी या दूसरे रंग का हो जाता है तो इसमें मिलावट है। यदि चायपत्ती असली है, तो हरा मिश्रित पीला रंग दिखाई देगा।

7.

शहद

चीनी और पानी(चाशनी)

एक रूई के फाहे को शहद में भिगोकर उसे माचिस की तीली से जलाएं। यदि शहद अपमिश्रित है, तो रूई का फाहा नहीं जलेगा और यदि शहद शुद्ध है तो जल उठेगा।

8.

कॉफी

खजूर/इमली के बीज

 

 

 

 

 

चिकोरी पाउडर

कॉफी पाउडर को गीले ब्लॉटिंग पेपर पर छिड़क लें। इसके ऊपर पोटेशियम हाइड्रॉक्साइड की कुछ बूंदे डालें। यदि कॉफी के आसपास उसका रंग भूरा हो जाये तो समझ लेना चाहिए कि उसमें मिलावट है।

कॉफी पाउडर को पानी में छिड़कने पर वह घुल जाती है, परंतु चिकोरी पाउडर बर्तन के तले में जमा हो जाएगा।

9.

लाल मिर्च पाउडर

ईंट पाउडर

 

रंग

नमूने को पानी में डालने से ईंट पाउडर पानी के तले में जमा हो जाता है।

एक चम्मच मिर्च पाउडर को पानी भरे ग्लास में डालें। पानी रंगीन हो जाता है तो मिर्च पाउडर मिलावटी है।

10.

हल्दी पाउडर

रंग (मेटानिल पीला रंग)

एक चम्मच हल्दी को एक परखनली में डालकर उसमें सांद्र हाइड्रोक्लोरिक अम्ल की कुछ बूंदे डालें। बैंगनी रंग दिखता है और मिश्रण में पानी डालने पर यह रंग गायब हो जाता है, तो हल्दी शुद्ध है। यदि रंग बना रहे तो हल्दी अपमिश्रित है।

11.

चने/अरहर की दाल

खेसरी दाल/ मेटानिल पीला रंग

दाल को एक परखनली में डालकर उसमें पानी डालें तथा हल्के हाइड्रोक्लोरिक अम्ल की कुछ बूंदें डालने के बाद हिलाने पर यदि  घोल का रंग गहरा लाल हो जाए तो समझना चाहिए कि दाल को मेटानिल पीले रंग से रंगा गया है। खेसरी दाल का परीक्षण, दाल को ध्यानपूर्वक देखकर किया जा सकता है। खेसरी दाल हल्के पीले रंग की व हरे रंग का समिश्रण लिए हुए होती है। इसके अतिरिक्त इसमें अरहर की तुलना में अधिक चिकनापन होता है।

12.

केसर

असली और नकली

केसर में मिलावट नहीं होती बल्कि पूरी केसर ही बदल दी जाती है। असली और नकली केसर की पहचान बहुत आसानी से की जा सकती है। नकली केसर को मकई की बाली को सुखाकर, चीनी मिलाकर कोलतार डाई से बनाया जाता है। नकली केसर पानी में डालने पर रंग छोड़ता है, जबकि असली केसर को पानी में घंटों रखने पर भी कोई फर्क नहीं पड़ता।

13.

शुद्ध घी व मक्खन

वनस्पति घी

एक परीक्षण ट्यूब में बराबर अनुपात में एक चम्मच पिघला हुआ घी या मक्खन तथा सांद्र हाइड्रोक्लोरिक अम्ल मिलाएं तथा इसमें एक चुटकी चीनी मिलाने पर यदि लाल रंग की परत दिखाई दे तो वनस्पति घी की मौजूदगी का संकेत है।

14.

कालीमिर्च

पपीते के सूखे बीज

पपीते के बीज हल्के हरे व भूरे रंग के होते हैं तथा काली मिर्च का रंग गहरा काला होता है। काली मिर्च को पानी में डाल दें यदि पपीते के बीज हैं तो वह पानी में तैरने लगेंगे और काली मिर्च डूब जाएगी।

15

साधारण नमक

चॉक पाउडर

एक चम्मच नमक को पानी में घोलने पर अशुद्धियां तल में जमा हो जाती हैं।

16.

हींग

मिट्टी व रेत

हींग को पानी में डालने पर मिट्टी व रेत बरतन के तल में चिपक जाते हैं। शुद्ध हींग को लौ पर जलाने से लौ चमकीली हो जाती है। हींग को साफ पानी में धोने पर यदि हींग का रंग सफेद या दूधिया हो जाये तो हींग शुद्ध होती है।

17.

नारियल का तेल

खनिज तेल

नारियल तेल को ठंडा करने पर वह जम जाता है एवं खनिज तेल ऊपरी सतह पर तैरने लगता है।

18.

जीरा

घास के बीज (काले रंगे हुए)

नमूने को दोनों हथेलियों के बीच रगड़ने से यदि हथेली काली होती है तो जीरा मिलावटी होने का संकेत है।

19.

चीनी का बूरा

चॉक पाउडर

नमूने को एक गिलास पानी में मिलायें, चॉक पाउडर तल में एकत्रित हो जाएगा।

20.

चावल

चावल में मिलावट की जांच करने के लिए दोनों हाथों से चावल की कुछ मात्रा रगड़ें। यदि इसमें पीला रंग हो तो हथेली में लग जाएगा। चावल को पानी में भिगोएं और उसमें सांद्र हाइड्रोक्लोरिक अम्ल की कुछ बूंदे डालें। बैंगनी रंग की उपस्थिति पीले रंग की मिलावट को दर्शाती है।

 

ध्यान रखने वाली बातें

महिलायें हाइड्रोक्लोरिक अम्ल के स्थान पर घरेलू कार्य में उपयोग होने वाले एसिड तथा एसीटोन के स्थान पर नेल पालिश रिमूवर का प्रयोग कर सकती हैं।

मिलावटी पदार्थों से बचने और अपमिश्रण की पहचान के लिए गृहिणियों का जागरूक होना अति आवश्यक है। खाद्य अपमिश्रण एक अपराध है। खाद्य अपमिश्रण अधिनियम (Prevention of Food Adultration Act, 1954) के अंतर्गत किसी भी व्यापारी या विक्रेता को दोषी पाये जाने पर कम से कम 6 महीने का कारावास, जो कि तीन वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, का प्रावधान है। इसके अतिरिक्त मानदण्ड का भी प्रावधान है। खाद्य पदार्थों में मानव स्वास्थ्य के लिए अहितकर है और इसका रोकथाम में उपभोक्ताओं की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है।

प्रत्येक उपभोक्ता (विशेषकर गृहिणियों) को अपमिश्रण से बचने हेतु जागरूक होना चाहिए। इसके लिए कुछ आवश्यक बिंदुओं का ध्यान रखना चाहिए जैसे खुली खाद्य सामग्री न खरीदें। अधिकतर मानक प्रमाण चिन्ह (एगमार्क, एफपीओ , आईएसआई, हॉलमार्क) अंकित सामग्री खरीदें तथा खरीदे जाने वाली सामग्री के गुणों, रंग, शुद्धता आदि की समुचित जानकारी रखें। सदैव जानकार दुकानदारों व सत्यापित कम्पनियों का सामान लें तथा जहां तक हो सके। पैकेज्ड सामान का उपयोग करते समय कम्पनी का नाम व पता, खाद्य पैकिंग व समाप्ति की तिथि, सामान का वजन, गुणवत्ता लेबल का अवश्य ध्यान रखें क्योंकि स्वस्थ और निरोगी जीवन ही सफलता की कुंजी है।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।