बच्चा यदि सवाल पूछे तो उसको पूछने दें सवाल      Publish Date : 10/02/2025

               बच्चा यदि सवाल पूछे तो उसको पूछने दें 

                                                                                                                                                          प्रोफसर आर. एस. सेंगर

आपकी सोच ही आपको किसी को भीड़ से अलग करती है। लेकिन बच्चों में सोच को विकसित करना एक कठिन काम है। इसके लिए जरूरी है कि बच्चे को सवाल पूछने दिए जाएं।

कई बार माता-पिता के अधिक प्यार और चिंता करने की आदत बच्चों के विकास में बाधक बन जाती है। माता-पिता बच्चे के सोचने से पहले ही इच्छित वस्तु तुरंत ही लाकर उसे दे देते हैं। कई बार बच्चों को प्रश्न पूछने पर उसे चुप करा देते हैं, कभी डांटकर तो कभी सवाल का कारण ही खत्म करके। ऐसे में बच्चे में चुनौतियों का सामना करने, परिस्थितियों का चिंतन और विश्लेषण करने की क्षमता विकसित नहीं हो पाती, जबकि प्रश्न करने की आदत बच्चों के विकास के लिए अत्येत ही आवश्यक होती है।

                                                                    

दरअसल, बच्चा जब सवाल पूछता है तो इसका अर्थ यह है कि वह किसी समस्या पर सोच रहा है। किसी विषय को गहनता से समझने का प्रयास कर रहा है। बच्चों में सोच का विकास समय की मांग है। इससे उन्हें विषय में गहरी अंतर्दृष्टि मिलती है, साथ ही उनमें चीजों का सटीक विश्लेषण और जांच करने की क्षमता भी विकसित होती है। इसके लिए कुछ जरूरी उपायों के बारे में जानना जरूरी है।

तर्क करने के तरीके: बच्चों में तर्कशील सोच विकसित करना जरूरी है, लेकिन इसके लिए पहले उसे मानसिक रूप से तैयार करना भी आवश्यक है। सबसे पहले अपने बच्चे को सहज बनाएं। फिर संदेह और भ्रम को स्पष्ट करने के लिए उसे अधिक प्रश्न पूछने के प्रति प्रेरित करें। इसके लिए जरूरी है कि उसे चर्चाओं में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करें। उसे अपनी बात रखने और तर्क करने के तरीके समझाएं। बताएं कि तकों के पीछे हमेशा एक कारण होना चाहिए। साथ ही बच्चे को लेखन के प्रति भी प्रोत्साहित करें, क्योंकि लेखन उसे कुशाग्र बुद्धि बनाने में सहायक हो सकता है।

पहेलियों का हलः पहेलियों को सुलझाने से बच्चों में विश्लेषण करने की शक्ति बढ़ती है। साथ ही मस्तिष्क चुनौतियों के संपर्क में आता है और अधिक सक्रियता से उसे हल करने के बारे में सोचता है। इसके लिए क्रॉसवर्ड, वर्ड-सर्च,नंबर, रिलेशनल और लॉजिक पजल्स को हल करने के लिए बच्चे को प्रेरित करें।

                                                                    

विषयों की विवेचनाः विवेचनात्मक चिंतन गतिविधियां कई तरीकों से समाधान प्राप्त करने के अवसर प्रदान करती हैं। इसके लिए बच्चे से ओपन एंडेड प्रश्न पूछें, जैसे कि तुम ऐसा क्यों सोचते हो? क्या तुम परिणाम की भविष्यवाणी कर सकते हो? तुम इस समस्या का समाधान कैसे करोगे? इससे पहले कि वह कोई तर्क रखे, उसे शोध करने के लिए कहें। बताएं कि तथ्य स्पष्ट, सटीक, तार्किक और प्रासंगिक होने चाहिए।

दोनों पहलुओं पर चिंतनः प्रत्येक बात के दो पक्ष होते हैं। विचारों के अंतर को स्वीकार करने और तर्क के दूसरे पक्ष के प्रति जागरूक होने के लिए बच्चे को प्रोत्साहित करें। इससे उसकी सोचने की क्षमता बढ़ेगी। बच्चे को उसकी गलतियों पर डांटें नहीं, बल्कि धैर्य के साथ सोचने, सीखने और विकसित होने का समय दें। कोई भी जन्मजात परफेक्शनिस्ट नहीं होता।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।