बजट घोषणा से देश में अब नही होगी खाद की कमी      Publish Date : 02/02/2025

            बजट घोषणा से देश में अब नही होगी खाद की कमी

                                                                                                                                       प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 कृशानु

हाल ही में पेश किए गए बजट में पूर्वी भारत में एक नए यूरिया संयंत्र की स्थापना की घोषण के बाद उर्वरक निर्माता कंपनियों के शेयरों में तेजी देखी जा रही है। वैसे जनवरी के महीने से ही इन कंपनियों के शेयर में बढ़ोत्तरी दर्ज की जा रही है। विशेष रूप से, राष्ट्रीय केमिकल एंड फर्टिलाइजर्स (आरसीएफ), मद्रास फर्टिलाइजर्स, मंगलौर केमिकल एंड फर्टिलाइजर्स और नेशनल फर्टिलाइजर्स के जैसी कंपनियों के शेयर में तेजी देखी जा रही है। शेयरों में यह तेजी इस आशा के कारण है कि घोषित किए गए नए संयंत्र के स्थापित होने के बाद उर्वरक उद्योग में आशातीत वृद्वि होगी और इन कंपनियों के लिए व्यापार के नए अवसरों का सृजन होगा।

बजट 2025 में एक बड़ी घोषणा

भारत के कृषि क्षेत्र के विकास में उर्वरकों का एक महत्वपूर्ण योगदान रहा है। देश में सबसे अधिक मात्रा में नाईट्रोजनयुक्त उर्वरकों में यूरिया का प्रयोग किया जाता है। ऐसे में बजट में असोम में 1.27 लाख टन क्षमता वाला एक नया यूरिया प्लांट की स्थापना की घोषणा की गई है। यूरिया का यह प्लांट देश में उर्वरक उत्पादन को वृद्वि प्रदान करने और किसानों के लिए गुणवत्तापूर्ण उर्वरक उपलब्ध कराने में एक तहत्ती भूमिका निभाएगा।

वर्ष 2023-24 में देश का कुल उर्वरक उत्पादन लगभग 4.52 करोड़ टन रहा। यूरिया के अलावा, डीएपी (डॉय अमोनियम सल्फेट) भी एक महत्वपूर्ण उर्वरक है, यह फॉस्फोरस का एक प्रमुख स्रोत होता है। इसके साथ ही एनपीके (नाइट्रोजन, फॉस्फोरस एवं पोटेशियम) कॉम्पलेक्स उर्वरक भी व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। सरकार के द्वारा दूसरा यूरिया नीम-कोटेड को भी अब अनिवार्य कर दिया गया है, इससे यूरिया की प्रभरावशीलता में काफी वृद्वि हुई है।

अब होंगी उर्वरकों की पर्याप्त मात्रा में उपलब्धता

भारत सरकार ने देश में उर्वरक उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। इसमें नई उत्पादन इकाईयों की स्थापना और मौजूदा संयंत्रों का आधुनिकीकरण करना भी शामिल है। उर्वरक मंत्रालय के द्वारा लागू की गई विभिन्न रणनीतियों के फलस्वरूप, देश में उर्वरकों का उत्पादन और खपत दोनों में ही वृद्वि हुई है, विशेषरूप से यूरिया की खपत में।

सरकार के द्वारा संतुलित उर्वरक के उपयोग को बढ़ाव देने के लिए पोषक आधारित सब्सिडी (एनबीएस) योजना को भी आरम्भ किया गया है, इस योजना का उद््देश्य मृदा की उर्वरता को बनाए रखते हुए फसलों के उत्पादन को बढ़ाना है। ऐसे सभी प्रयासों के चलते भारत उर्वरक उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होने की दिशा में अग्रसर है। हाल ही भारत सरकार के द्वारा फर्टिलाइजर कंपनियों के लिए राहत पैकेज की घोषण और जीएसटी को हटाने के प्रस्ताव के बाद, इन कंपनियों के शेयरों में तेजी देखी जा रही है।

सरकार का हर प्रयास दर्शाता है कि सरकार की नीतियं उर्वरक उद्योग को मजबूत बनाने और किसानों को गुणवत्तापूर्ण उर्वरक उपलब्ध कराने की दिशा में सहायक सिद्व हो रहा है।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।