मैथ-ईश थिंकिंग बनाती है गणित को एक रूचिपूर्ण विषय      Publish Date : 25/01/2025

        मैथ-ईश थिंकिंग बनाती है गणित को एक रूचिपूर्ण विषय

                                                                                                                                                                  प्रोफेसर आर. एस. सेंगर

गणित के सवालों को हल करने के लिए रटे-रटाए फॉर्मूलों पर ही निर्भर नही रहें, बल्कि इन्हें व्यवहारिक तरीके से हल करने का प्रयास करते रहें।

                                                           

आमतौर पर, गणित विषय अपने सूत्रों और जटिल समाधानों को याद करने पर ही केन्द्रित होता है, जिससे संख्याओं के प्रति एक भय तो होता ही है, साथ ही वास्तविक दुनिया में उनके अनुप्रयोगों की समझ भी सीमित ही होती है। इसीके कारण अधिकतर छात्र गणित विषय से घबराते हैं।

ऐसे मेें मैथ्स फोबिया (गणित से डर) से ग्रस्त छात्रों को ‘‘मैथ-ईश थिंकिंग’’ पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए। इस विधि के अंतर्गत गणित के किसी सवाल को सूत्रों और उसके जटिल समाधानों से अलग उन्हें व्यवहारिक तरीके से सीखने पर ध्यान केन्द्रित किया जाता है, न कि केवल उसके सही उत्तर को प्राप्त करने पर। गणित की इस अवधारणा से छात्रों में गणित विषय के प्रति रूचि तो बढ़ती ही है, इसके साथ ही वह इसे रूचिपूर्ण तरीके से उसे अपने रोजमर्रा के कार्यों में भी आजमा सकते हैं।

क्या है मैथ-ईश की अवधारणा

आमतौर पर कक्षाओं में गणित के प्रश्नों के सटीक उत्तर को खोजने पर बल दिया जाता है, तो वहीं मैथ-ईश की अवधारणा अनुमानों पर आधारित होती है। उदाहरण के लिए, आप कितने वर्ष के हैं? या एयरपोर्ट पहुंचने में कितना समय लगता है? जैसे सवालों का उत्तर देते समय छात्र आमतौर पर अनुमान के आधार पर उत्तर देते हैं, न कि एकदम सटीक उत्तर।

क्या हैं इसके मायने

इसके माध्यम से छात्रों को यह जानने में सहायता प्राप्त होती है कि जिन नियमों या सूत्रों का प्रयोग छात्र सवाल को हल करने के लिए कर रहें हैं, वह उन्हें समझ भी आ रहे हैं अथवा नही। मैथ-ईश अवधारणा केवल सही उत्तर प्राप्त करने के सम्बन्ध में ही नही, अपितु यह छात्रों की सोच और समझ का दायरा बढ़ाने के सम्बन्ध में भी कार्य करती है। उदाहरण के तौर पर देखें, आप किसी स्थान पर पहुँचनें में लगने वाले सटीक समय को नही बताते है, बल्कि एक मोटा-मोटा अनुमान ही प्रस्तुत करते हैं कि आपको वहां पहुँचने में पांच घंटे औश्र तीस मिनट का समय लगता है। इसी प्राकर की सोच छात्र को इन संख्याओं को न केवल अपनी परिक्षाओं में, बल्कि व्यवहारिक तरीके से इनका उपयोग करने में छात्रों की सहायता करती है।

प्रयास के स्थान पर अनुमान

हमेशा सटीक उत्तरों के लिए प्रयास करने के स्थान पर, छात्रों को अनुमान के आधार पर निर्णय लेने पर जोर देना चाहिए। उदाहरण स्वरूप जब छात्रों को दो भिन्नों को जाड़ने के लिए कहा जाता है, तो छात्र तुरंत ही इसके उत्तर का अनुमान लगा लेते हैं और किसी हद तक गलत विकल्पों को हटाने में सक्षम हो जाते हैं।

क्यों की तलाश

                                                      

सामान्य रूप से गणित में छात्रों को नियमों के पालन को प्राथमिकता दी जाती है, जैसे भिन्नों में सामान्य हरों को खोजना और चरों की पहचान करना आदि। यहरं यह समझना भी उतना ही महत्वपूर्ण क विह ऐसा क्यों कर रहें हैं? मैथ-ईश थिंकिंग के माध्यम से छात्र समझ पाने में सक्षम होते हैं कि वास्तव में भिन्नों का अर्थ क्या है और भिन्न हमारे आसपास की दुनिया से किस प्रकार से सम्बन्धित होते हैं।

मैथ-ईश थिंकिंग की अवधारणा छात्रों को गणित विषय को वास्तविक जीवन से जोड़ने और इसे समझने में आसान बनाने में सहायता प्रदान करती है। इसके साथ ही छात्र अपने दैनिक जीवन में सका सहजता के साथ उपयोग कर इसे अधिक रोचक बनाने का प्रयास कर सकते हैं।  

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।