ज्ञान प्रसार द्वारा कृषि प्रौद्योगिकियों का विस्तार Publish Date : 15/01/2025
ज्ञान प्रसार द्वारा कृषि प्रौद्योगिकियों का विस्तार
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 वर्षा रानी
हरित क्रांति के माध्यम से भारतीय कृषि को न केवल खाद्यान्न में आत्मनिर्भरता की राह पर अग्रसर किया गया, बल्कि कृषिगत आय में भी अपेक्षा के अनुसार ही वृद्वि भी की है। इस गौरवशाली उपलब्धि को प्राप्त करने में कृषि विस्तार ने भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। विश्व विकास रिपोर्ट (वर्ष 2008) ने भी बढ़ती मांग-आपूर्ति के दबाव के खिलाफ कृषि क्षेत्र की विकास क्षमता को साकार करने, टिकाऊ, समावेशी और गरीबी-उन्मूलन कृषि और आर्थिक विकास सुनिश्चित करने के लिए कृषि विस्तार को केंद्रीय रूप में पहचान दिलाई है।
भारत में कृषि विस्तार सेवाओं का प्रमुख उद्देश्य किसानों तक नवीनतम कृषि तकनीकों, वैज्ञानिक जानकारी और नवाचारों का प्रभावी प्रसार करना है, ताकि वह फसल उत्पादन में सुधार कर सकें और अपनी आजीविका को बेहतर बना सकें। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद और कृषि विज्ञान केंद्र भाकृअनुप, देश में कृषि अनुसंधान और विस्तार के लिए एक प्रमुख संगठन है। यह वैज्ञानिक अनुसंधान और कृषि शिक्षा के माध्यम से किसानों तक नई कृषि तकनीकों को पहुंचाने का काम करता है।
परिषद के अधीन कृषि विज्ञान केंद्र, पूरे भारत में 700 से अधिक स्थानों पर स्थित हैं, जो क्षेत्राीय आवश्यकताओं के अनुसार किसानों को प्रशिक्षण और प्रदर्शन परियोजनाओं के माध्यम से जानकारी प्रदान करते रहते हैं। कृषि विज्ञान केंद्र कृषि तकनीक, जैविक खेती, फसल विविधीकरण, सूक्ष्म सिंचाई और उर्वरक प्रबंधन के जैसी विभिन्न तकनीकों के प्रचार-प्रसार में एक प्रमुख भूमिका निभाते हैं।
कृषि ज्ञान प्रसार केवल जानकारी प्रदान करने तक ही सीमित नहीं होता है, बल्कि यह किसानों को प्रशिक्षित करके उनकी क्षमताओं का विकास करने पर भी केंद्रित होता है। हाल के वर्षों में, कृषि विस्तार के पारंपरिक तरीकों के स्थान पर बहुलवादी कृषि विस्तार का प्रचलन बढ़ा है। इस प्रणाली में सरकार, निजी क्षेत्र, गैर-सरकारी संगठन (एन.जी.ओ.), किसान संगठनों और अन्य हितधारकों की सहभागिता शामिल होती है।
यह बहुलवादी दृष्टिकोण कृषि विस्तार में विविधता और नवाचार लाता है। इससे विभिन्न स्तरों पर किसानों की आवश्यकताओं को पूरा करने की क्षमता में वृद्वि होती है। इस परिवर्तन से कृषि क्षेत्र में अधिक समग्र और प्रभावी समाधान उत्पन्न हो रहे हैं, जो किसानों की जीवन स्थिति को बेहतर बनाने में सहायक सिद्व हो रहे हैं।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।