किसान के सपनों को उड़ान देते ड्रोन      Publish Date : 09/01/2025

                      किसान के सपनों को उड़ान देते ड्रोन

                                                                                                                                                            प्रोफेसर आर. एस. सेंगर

आधुनिक समय में खेती-किसानी के कार्यों में उपयोग किए जाने वाला ड्रोन एक ऐसा कृषि यंत्र है, जो वायु में विचरण करता हुआ खेतों में खाद, उर्वरक/कीटनाशक आदि का छिड़काव किसान की इच्छा के अनुसार करने के अलावा खेतों की निगरानी भी कर सकता है।

                                                              

यह एक महंगा कृषि यंत्र है जो हर किसान की पहुँच में नही है। अतः सरकार भी इसके लिए किसानों को अनेक ऐसी सुविधाएं प्रदान कर रही है, जिनसे किसान अपने सपनों को साकार करने में सफल हो सकें और ड्रोन का उपयोग अपने खेती के कामों में कर सकें।

किसानों के हित में अनेक कल्याणकारी योजनाओं का संचालन किया जा रहा है, जिनमें से कुछ तो किसानों तक पहुँ भी नही पाती हैं। इस दूरी को कम करने के लिए सरकार की ओर से अनेक कदम भी उठाए जाते हैं। इसी प्रकार के कदमों में यह भी एक ऐसा ही कदम है। किसी भी ड्रोन को एक रिमोट के माध्यम से संचालित किया जाता है।

सरकार इस प्रकार के कल्याणकारी कार्यक्रमों को जमीन पर उतारने हेतु एक देशव्यापी पहल के रूप में आरम्भ होने वाली है, जिसने अब एक अभिनव मोड़ ले लिया है, जो कि कृषि और सम्बद्व गतिविधियों में ड्रोन प्रौद्योगिकी की परिवर्तनगामी शक्ति को प्रदर्शित करता है।

विकसित भारत संकल्प यात्रा की पहुँच 2.60 लाख से अधिक ग्राम पंचायतों और 4,000 से अधिक शहरी निकायों तक हो चुकी है। जिस प्रकार से यह यात्रा गति पकड़ रही है, ठीक उसी प्रकार से एक उल्लेखनीय पहलू जो ध्यान का केन्द्र बन रहा है, वह है भारतीय कृषि परिदृश्य में ड्रोन्स का एकीकरण होना। इस पहल का उद्देश्य देश के किसानों को अत्याधुनिक तकनीकों से लैस करना, उन्हें उत्पादकता औश्र सतत व्यवहारों में वृद्वि करने हेतु उपयुक्त उपकरण प्रदान करना है।

ड्रोन हैं लाईम लाईट में

                                                           

आज देश के लोग विकसित भारत संकल्प यात्रा की आईईसी वैन एवं ड्रोन के शोज का उत्सुकता के साथ प्रतीक्षा कर रहें हैं। यह दोनों ही इस शो के सितारे बन चुके हैं। घनगरज के साथ उड़ान भरने वाली यह मशीनें दर्शकों, विशेष रूप से किसानों को मंत्रमुग्ध भी कर रहीं हैं, क्योंकि इस पूरे अभियान के दौरान इन मशीनों का प्रत्यक्ष प्रदर्शन किया जाता है। यह प्रदर्शन कृषि के क्षेत्र में ड्रोन क्रांति की क्षमता का प्रदर्शन करते हैं।

लोगों का ध्यान केवल इनकी बढ़ी हुई क्षमता पर ही नही, बल्कि किसानों को सूझबूझ के साथ निर्णय लेने क लिए उपयुक्त ज्ञान और उपकरणों के साथ सशक्त बनाने पर भी है।

इन ड्रोन प्रदर्शनों को दंश के कोने-कोने में स्थित किसान समुदाय, विशेष रूप से महिला किसानों के द्वारा अधिक प्रशंसा प्राप्त हो रही है। केरल से लेकर हिमाचल तक, गुजरात से लेकर त्रिपुरा तक यह एक स्पष्ट संदेश था कि ड्रोन भारतीय कृषि में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रेरक सूत्र है।

प्रत्यक्ष प्रदर्शनों में उर्वरकों के संतुलित उपयोग को प्रमुखता से दर्शाया गया है, जिससे अतिरिक्त रासायनिक उर्वरकों से बचने के महत्व पर जोर दिया गया है। ड्रोन ने नैनो यूरिया, नैनो डीएपी और अन्य सूक्ष्म पोषक तत्वों का छिड़काव किया, जो कि प्रौद्योगिकी के द्वारा कृषि के क्षेत्र में आने वाली सटीकता और दक्षता का प्रदर्शन करता है। ड्रोन के माध्यम से कीटनाशकों के छिड़काव के प्रत्यक्ष प्रदर्शन के अंतर्गत प्रभावी कीट प्रबन्धन में इस तकनीक की क्षमता को अधिक स्पष्ट किया है।

तरल उर्वरकों और कीटनाशकों के हवाई छिड़काव का प्रत्यक्ष प्रदर्शन एक ऐसी ही विधि को बढ़ाव देता है, जो कि सीमित समय सीमा के अंदर अत्याधिक उर्वरक के उपयोग को नियंत्रित करने में सक्षम है।

किसान महिला ड्रोन

                                                                 

  • इस दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के द्वारा महिला किसान ड्रोन केन्द्र को लाँच किया गया है।
  • जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गाँवों में कृषि कार्यों हेतु ड्रोन को नियाजित करने के निहितार्थ सवाल किया, तो उन्होनें बताया कि ड्रोन समय की बचत करने के साथ ही साथ जल सम्बन्धी चुनौतियों का समाधान प्रदान करने में भी सहयता करता है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि निकट भविष्य में कृषि में ड्रोन का उपयोग महिला नीति विकास का एक प्रतीक बनकर उभरेगा। इसके अतिरिक्त उन्होंने विकसित भारत संकल्प यात्रा में महिलाओं की भागीदारी के महत्व पर भी भरपूर जोर दिया।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।