एक जैवगतिशील पदार्थ गाय सींग की खाद      Publish Date : 07/01/2025

                   एक जैवगतिशील पदार्थ गाय सींग की खाद

                                                                                                                                            प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 रेशु चौधरी

                                                          

जैवगतिशील पदार्थ गाय सींग की खाद, बनाने के लिए, शरद ऋतु में एक गाय जिसने 10-15 दिन पहले बच्चे को जन्म दिया है के गोबर को गाय के सिंग में भर कर जमीन के अन्दर 40-60 सेंटीमीटर गहराई में गाड़ देते है और बसंत या गरमी के मौसम में इस किण्वित खाद को खोद कर निकाल लिया जाता है। इस पदार्थ की 1 चम्मच मात्रा को 40-60 लीटर पानी में मिला कर खेत में प्रयोग करते हैं। पानी में मिला कर इस घोल को एक घंटे के लिए दक्षिणावर्त एवं उत्तरावर्त बारी-बारी से घुमाया जाता है। घूर्णन की इस प्राक्रिया के दौरान सरगर्मी का भंवर बनाता है, जो जैविक यौगिकों के साथ जल को स्फूर्ति देता और पौधों के जीवन के मूल सिद्धांत है। एक गाय सींग खाद 1 हेक्टेयर भूमि के लिए पर्याप्त होता है।

जैवगतिशील पदार्थ सींग सिलिका खाद

                                                   

जैवगतिशील पदार्थ सींग सिलिका खाद, मादा गाय के सींग के अंदर पैक करके भूमी में दबाया गया क्वार्टज़ है, जिसे शरद ऋतु में गाड़ देते है और बसंत या गरमी के मौसम में इस किण्वित खाद को खोद कर निकाल लिया जाता है। इसका उपयोग पौधो की वृद्धि को प्रोत्साहित करने और नियंत्रित करने के लिए किया जाता है। एक सींग सिलिका खाद 25 हेक्टेयर भूमि के लिए पर्याप्त होता है ।

जैवगतिशील पदार्थ

जैवगतिशील पदार्थ को 20 इंच गहरे सुराख में डाल कर बनाया जाता है, एक से दुसरे  पदार्थ के सूराख के बीच की दूरी 5-7 फीट रखते है। जैवगतिशील पदार्थ या वेलेरियन को एक सूराख में डाला दिया जाता है और फिर इसे बाहर चारो तरफ हाथ से पानी देकर फैला दिया जाता है। फिर विन्द्रो पर 1-2 मुट्ठी मृदा को बिखेर दिया जाता है और उसके बाद उसे पूआल से ढँक दिया जाता है।

इस तरह से इसे छः महीने से लेकर एक साल तक विघटित होने लिए इसे ऐसे ही छोड़ दिया जाता है। इस दौरान कार्बनिक अवशेष छोटे कणों में टूटकर पुनः जटिल ह्यूमस के रूप में संश्लेषित हो जाते है। विभिन्न शोधों के माध्यम से पता चलता है कि कम्पोस्ट की खाद को सामान्य तकनीक पद्धतियां से बनाने पर उसके अंदर पोषक तत्व बने रहते है जो कि यंत्रीकृत तरीको से बनाए गए कम्पोस्ट के समान ही प्रभावी भी होते हैं।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।